- संकटमोचन मंदिर में छह दिवसीय संगीत समारोह का हुआ दमदार आगाज

- कला के साधकों ने दीं एक से बढ़कर एक परफॉर्मेसेज

- दिग्गज कलाकारों के मेले में सरहद पार से आए गजल सम्राट गुलाम अली की खास प्रस्तुति का देर रात तक इंतजार करते रहे भक्त

VARANASI:

राम चरणों के दास बजरंगबली के दरबार में बुधवार को कला के साधकों का मेला लगा। तरह-तरह की राग-रागीनियों, भाव-मुद्राओं और तालों का अनूठा संगम। कोई गायन का माहिर, कोई वादन का सिद्धहस्त तो कोई खनकते घुंघरुओं का बेमिसाल फनकार। मंच पर चढ़े तो रचा नृत्य व संगीत का कुछ ऐसा मायाजाल कि हर आंख रही खोयी और हर मन रहा तल्लीन। छह दिवसीय संकटमोचन संगीत समारोह के पहले दिन संकटमोचन मंदिर में कुछ ऐसा ही माहौल देखने को मिला। दिग्गज कलाकारों के इस मेले में खास रहा महाबली के दरबार में सरहद पार से पहुंचे गजल गायकी के बेताज बादशाह गुलाम अली का आना। अपने अलग अंदाज और आवाज में गुलाम अली साहब ने सुरों की कुछ ऐसी महफिल सजाई की मंदिर परिसर में मौजूद हर शख्स वाह- वाह कर उठा।

घुंघरुओं की खनक से हुई शुरुआत

समारोह की शुरुआत बिरजू महाराज के बेटे दीपक महाराज की प्रस्तुति से हुआ। उन्होंने कथक की परंपरागत शैली में उपज, थाट, उठान, रेला और बंदिशें प्रस्तुत की। नृत्य ऐसा कि उनके थिरकते पांवों की जुगलबंदी देख परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजमाय हो उठा।

नायक-नायिका की दिखी दास्तां

दीपक महाराज की शानदार प्रस्तुति के बाद उनके पिता बिरजू महाराज ने मंच संभाला। उन्होंने मंगल मूर्ति मारुति नंदन धुन से अपनी परफॉर्मेस की शुरुआत की। उसके बाद उन्होंने घुंघरू व तबले की जुगलबंदी को पेश किया। जिसमें घुंघरू को नायिका व तबला को नायक माना गया था। उनकी इस प्रस्तुति का उद्देश्य नायिका के लिए नायक की दीवानगी दर्शाना था। उसके बाद उन्होंने परंपरागत तिहाई, परन व मेघ की चाल की भांति चलना प्रस्तुत किया। शेर और हाथी और मयूर की चाल पर आधारित उनकी प्रस्तुति खास रही। उन्होंने अपने कार्यक्रम का समाप न सूर के पद ओधो मोहि गज बिसरत नाहिं से किया।

राम रतन धन पायो

बिरजू महाराज की शानदार प्रस्तुति के बाद प्रख्यात बांसुरी वादक पं। हरिप्रसाद चौरसिया ने मंच संभाला। उन्होंने राग दुर्गा की प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत की। इसमें उन्होंने आलाप, जोड़ और झाला बजाया। इसके बाद रूपक ताल में निबद्ध विलंबित गत सुनाई। जिसके बाद तीन ताल में निबद्ध द्रुत रचना प्रस्तुत की। उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों को धुन पायो जी मैने राम रतन धन पायो पर परफॉर्म कर विराम दिया।

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बॉक्स

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हर साल की तरह इस साल भी संगीत व नृत्य की इस महफिल में चित्र प्रदर्शनी लगाई गयी। इसमें चित्रों के जरिए हनुमान जी के विविध रूपों को प्रदर्शित किया गया। जिन्हें बीएचयू के विजुअल आ‌र्ट्स फैकल्टी के स्टूडेंट्स ने रूप दिया था। इसके अलावा इस चित्र प्रदर्शनी में महर्षि दिवंगत प्रो। वीरभद्र मिश्र से जुड़ी यादों को भी चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।

Posted By: Inextlive