- मेरठ के शनि मंदिर में महिलाओं का है बेशक प्रवेश, नहीं छूती मूर्ति को

Meerut: शनि शिंगणापुर में बेशक महिलाओं के प्रवेश को शुक्रवार को अनुमति मिल गई किंतु बात करें मेरठ की तो यहां शनिभक्तों का कहना है कि सनातन धर्म में परंपरा सर्वोपरि है। शिंगणापुर में 400 साल पुरानी परंपरा का कोई न कोई तथ्य जरूर रहा होगा। यहां भी शनि मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश वर्जित नहीं है किंतु वे मूर्ति को हाथ नहीं लगाती और न ही सरसों का तेल चढ़ाती हैं।

प्रवेश पर नहीं है रोक

मेरठ के प्रसिद्ध कैंट स्थित शनि शक्ति पीठ शनि धाम मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं है। इस मंदिर में पुरुष के साथ महिलाएं प्रवेश करतीं हैं और पूजा पाठ करती हैं। किंतु परंपरा है कि महिलाएं शनिदेव की मूर्ति पर सरसों का तेल नहीं चढ़ाती बल्कि प्रतीकात्मक समीप रखी एक शिला पर तेल चढ़ाती हैं। वहीं परंपरा है कि पति के साथ जाने वाली महिलाएं तेल अर्पण करते समय पति के हाथ को छू लेती हैं। शनिवार को इस मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। शनि उपासकों का भी मानना है कि परंपरा कायम रहनी चाहिए।

क्या कहते हैं महंत

शनि पीठाधीश्वर महंत महेंद्र दास ने आई नेक्स्ट को बताया कि शनि शिंगणापुर में 400 साल पुरानी परंपरा का बेशक बढ़ा आधार रहा होगा। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में परंपरा सर्वोपरि है। महज बराबरी के लिए हिंदू संस्कृति के खिलवाड़ ठीक नहीं, मंदिर में प्रवेश पर रोक को कानून की नजर से न देखें। उन्होंने महिलाओं से भी अपील की कि वे परंपराओं का ध्यान रखें। शनि और हनुमान दो देवों की प्रतिमाओं को स्पर्श करने की अनुमति महिलाओं को नहीं है और ये उनके हित में ही है। परंपराओं के साथ खिलवाड़ के दुष्परिणाम भी सामने आते रहे हैं।

क्या कहते हैं शनिभक्त

जिद और परंपरा अलग-अलग है। कानून बेशक बराबरी का हक दे किंतु परंपराओं से बढ़कर कुछ नहीं। हिंदू संस्कृति में परंपराओं को कानून से ऊपर रखा गया है। मान्यता को मान्य बनाना होगा, शनि मूर्ति को न छूने के निर्देश हैं।

जतिन कंसल, शनिभक्त

मैं पिछले 15 सालों से शनिधाम आ रही हूं। दर्शन हमेशा हुए किंतु कभी भी मूर्ति का छूने या तेल अर्पण करने की आवश्यकता नहीं समझी। हिंदू धर्म में मान्यताएं सर्वोपरि हैं। परंपरा को तोड़ने का खामियाजा भी भुगतना होता है।

कमलेश देवी, शनिभक्त

कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, किंतु परंपरा और आस्था पर कानून को नहीं थोपना चाहिए। महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता में कोई संशय नहीं हैं किंतु इस मसले को धार्मिक नजरिए से ही देखना चाहिए।

राजेंद्र जैन, शनिभक्त

शनि शिंगणापुर में महिलाओं प्रवेश पर रोक को मान्यता के साथ जोड़ा गया है। हालांकि समय बदल गया है, महिलाएं और पुरुष समान हैं, किंतु धार्मिक मसलों पर कई समझौते करने होते हैं। महिलाओं को खुद ही फैसला लेना चाहिए, कि उन्हें प्रवेश करना है अथवा नहीं?

अनिल शर्मा, शनिभक्त

Posted By: Inextlive