चुनावी चेकिंग के नाम पर आईजी की कार में सवार होकर प्रॉपर्टी कारोबारी का रुपयों से भरा बैग लूटने के आरोपी तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ एसआईटी को अभियोजन स्वीकृति मिल गई है.

पुलिस मुख्यालय से मिली अभियोजन स्वीकृति

चार्जशीट तैयार करने में जुटी एसआईटी

कांग्रेस नेता और तीन पुलिस कर्मियों पर हैं आरोप

लूटी गई रकम का खुलासा और रकम आज तक नहीं मिली

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DEHRADUN: चुनावी चेकिंग के नाम पर आईजी की कार में सवार होकर प्रॉपर्टी कारोबारी का रुपयों से भरा बैग लूटने के आरोपी तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ एसआईटी को अभियोजन स्वीकृति मिल गई है. इसी के साथ एसआईटी पूरे मामले को कंपाइल कर उनके खिलाफ चार्जशीट तैयार करने में जुटी है. अब किसी भी दिन चार्जशीट पेश की जा सकती है. एसआईटी ने अपनी जांच में लूट कांड के साक्ष्य जुटाए हैं, जिन्हें चार्जशीट और केस को मजबूती के साथ कोर्ट के समक्ष पेश करने के लिए एसआईटी पर्याप्त मान रही है. हालांकि कैश बरामद नहीं हो पाने के चलते इस केस में तीनों पुलिसकर्मियों और कथित साजिशकर्ता फिलहाल जमानत पर हैं.

चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक किसी भी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी पर आपराधिक केस में कोर्ट प्रोसेडिंग चलाने के लिए उसके नियोक्ता से अभियोजन स्वीकृति लेनी होती है. एसआईटी ने इस केस में दरोगा दिनेश नेगी और दो अन्य पुलिसकर्मियों हिमांशु उपाध्याय व महेश अधिकारी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के लिए पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा था. पुलिस मुख्यालय से उनके खिलाफ अभियोजन चलाने की स्वीकृति मिल गई है. ऐसे में एसआईटी अब चार्जशीट तैयार करने में जुटी है. जल्द ही वर्दी वाले लुटरे कांड में चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी है.

रकम का नहीं चला पता
इस केस में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बहुचर्चित लूट कांड, पुलिसवालों पर आरोप, एसआईटी को जांच, सभी आरोपी गिरफ्तार हो चुके, और वारदात को 70 दिन बीत गए, लेकिन आज तक न यह पता चला कि लूटी गई रकम कितनी थी और न उसमें से फूटी कौड़ी भी बरामद हो पायी. चूंकि आरोप पुलिस वालों पर थे. ऐसे में शातिराना स्टाइल में वारदात को अंजाम देकर लूट की रकम को ऐसी जगह दफन किया गया कि एसआईटी भी न उगलवा पायी. एक तरफ कानून के जानकारों का कहना है कि लूट की रकम बरामद नहीं होने का आरोपियों को कोर्ट में लाभ मिल सकता है, वहीं जांच कर रही एसआईटी की मॉनिटरिंग कर रहे अफसरों का दावा है कि देश में कई ऐसे केस हैं, जिनमें वारदात साबित हुई तो लूट गया माल बरामद होना आरोपियों को सजा दिलाने में कहीं आड़े नहीं आया.

कहानी स्टेप बाय स्टेप
4 अप्रैल की रात लोकसभा चुनाव से पहले दून में राजपुर रोड पर डब्ल्यूआईसी से निकले प्रॉपर्टी कारोबारी अनुरोध पंवार को गढ़वाल रेंज आईजी की स्कॉर्पियो कार में सवार होकर तीन पुलिस वालों ने चुनावी चेकिंग के नाम पर रोककर रुपयों से भरा बैग लूट लिया था.

7 अप्रैल को अनुरोध पंवार ने पुलिस उच्चाधिकारियों से शिकायत की. शिकायत की जांच में राजपुर रोड के सीसीटीवी कैमरों का फुटेज और डब्ल्यूआईसी के सीसीटीवी की रिकार्डिग में पूर्व डीजीपी का पीआरओ रहा एसआई दिनेश नेगी, आईजी गढ़वाल रेंज का ड्राइवर और हिमांशु उपाध्याय और घुड़सवार पुलिस के सिपाही महेश अधिकारी को चेहरा बेनकाब हुआ.

10 अप्रैल को प्रारम्भिक जांच में वारदात की पुष्टि होने पर डालनवाला थाने में कांग्रेस नेता अनुपम शर्मा एवं तीन अन्य के खिलाफ लूट की एफआईआर दर्ज कर ली गई. दो दिन पुलिस ने मामले की जांच की, लेकिन जिला पुलिस पर जांच में सुस्ती के आरोप लगे.

12 अप्रैल एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस मुख्यालय ने इस हाईप्रोफाइल मामले की जांच के लिए एसटीएफ के अधिकारियों की एसआईटी गठित कर उसको सौंपी. एसआईटी ने त्वरित जांच शुरू की और चौथे दिन एक्शन लिया.

16 अप्रैल को कांग्रेस नेता अनुपम शर्मा सहित दरोगा दिनेश नेगी, आईजी के ड्राइवर हिमांशु उपाध्याय और महेश अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया. चारों से एसआईटी ने काफी पूछताछ की, लेकिन उनसे कैश वाला बैग बरामद नहीं किया जा सका. चूंकि बैग पुलिसकर्मियों के लूटने के साक्ष्य थे. अपने ही विभाग के तीन शातिर पुलिस वालों से एसआईटी भी कैश से भरा बैग नहीं उगला पायी. एक एक कर चारों आरोपियों को जमानत मिल गई.

Posted By: Ravi Pal