RANCHI: सिटी में आशियाना बनाने का सपना अब माफिया के कब्जे में है। ये माफिया बालू के कारोबार में दबंगई करने वाले रसूखदार हैं। इनकी पकड़ इतनी गहरी है कि राजधानी और इससे सटे आसपास के तमाम नदी घाटों से एक टेम्पो बालू भी बिना इनकी अनुमति के उठाया नहीं जा सकता। शहर में रहने वाले आम लोगों के आशियाने का सपना इन बालू माफियाओं की मर्जी पर टिका है। इन माफिया वालों का ही कारनामा है कि शहर में अचानक बालू के दाम में तेजी से वृद्धि हो रही है। 10 हजार रुपये एक हाईवा जो बालू मिलता था, वह आज करीब 50 प्रतिशत बढ़कर 15 हजार रुपया हो गया है।

447 बालू घाटों से सरकारी उठाव बंद

पिछले एक साल से झारखंड के 472 बालू घाटों में 447 पर सरकारी तौर-तरीके से बालू उठाव नहीं हो रहा है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो झारखंड में सिर्फ 25 बालू घाटों से बालू की ढुलाई हो रही है। विभाग और सरकार का दावा है कि इन्हीं 25 बालू घाटों की सप्लाई से झारखंड भर में बालू की डिमांड पूरी की जा रही है। अगर सरकार की फाइलों में यह घाट बंद पड़े हैं और उसके बावजूद इन घाटों से शहर में बालू की आपूर्ति की जा रही है तो इससे साफ है कि बालू घाट के इन 500 करोड़ से ऊपर के कारोबार पर सीधे माफिया का राज चल रहा है।

24 जिले और सिर्फ 25 बालू घाट

झारखंड में शायद ही ऐसा कोई प्रोजेक्ट बचा हो, जो बालू की कमी की वजह से बंद पड़ा हो। आम लोगों के घर बनाने से लेकर सरकारी योजनाओं के अलावा माइंस में बालू भरने से लेकर वो तमाम काम हो रहे हैं। लेकिन झारखंड में तो सिर्फ 25 बालू घाट से ही बालू निकाले जा रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि बाकी का बालू आ कहां से रहा है। इसका जवाब यह है कि बालू उन्हीं बालू घाटों से आ रहे हैं जिसे सरकार ने बंद रखा है।

आखिर क्यों बढ़ा बालू का भाव

एक मोटी रकम सीधे सरकारी अधिकारियों की जेब में जा रही है, जिसके बाद इन फाइलों में बंद पड़े बालू घाटों से लगातार बालू उठाया जा रहा है। बालू के अवैध कारोबार से जुड़े लोगों के खजाने अवैध कमाई से भर रहे हैं और शहर में घर बनाने वाले लोगों की हालत खराब है। बड़े प्रोजेक्ट्स में भी लगातार बालू की आपूर्ति ऊंचे दामों पर की जा रही है और इसके एवज में टेंडर के इस्टीमेटेड कॉस्ट में भी बढ़ावा किया जा रहा है।

6 सर्कल में बंटे हैं बालू घाट

झारखंड को सरकार ने बालू के लिए छह सर्कल में विभाजित किया है। रांची, धनबाद, दुमका, हजारीबाग, कोल्हान और पलामू। सबसे ज्यादा जिले संताल के दुमका सर्कल के पास हैं। उसके बाद रांची का नंबर आता है। यह आश्चर्य की बात है कि रांची जिले में एक भी बालू घाट से बालू उठाव नहीं हो रहा है। लेकिन रांची जिले में सैकड़ों प्राइवेट और सरकारी प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।

रांची सर्कल

जिला बालूघाटों चालू बालू घाट

रांची 24 00

गुमला 14 01

खूंटी 16 01

लोहरदगा 12 02

सिमडेगा 13 05

वर्जन

खनन विभाग समय-समय पर बालू घाटों की जांच करता रहता है। लेकिन अगर घाट बंद हैं तो उठाव कैसे हो रहा है, यह जांच का विषय है। यह गैरकानूनी है।

राय महिमापत रे, डीसी, रांची

Posted By: Inextlive