पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अपनी पार्टी एनसीपी से इस्तीफा दे दिया है.

संगमा राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहते हैं जबकि एनसीपी यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन कर रही है।

पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने बताया कि संगमा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने कहा, “अगर वो पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं तो हमें मेघालय विधानसभा अध्यक्ष को भी बताना होगा कि वो अब एनसीपी के सदस्य नहीं हैं.”

आठ बार सांसद रहे संगमा फिलहाल मेघालय की तूरा विधानसभा सीट से विधायक हैं। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि एनसीपी के कोटे से केंद्र में मंत्री बनीं पीए संगमा की बेटी अगाथा संगमा का क्या होगा। पहले कहा जा रहा था कि चूंकि अगाथा भी अपने पिता के लिए चुनाव प्रचार कर रहीं थीं, उनको भी पद से हटाया जा सकता है।

'मैदान में डटे रहें संगमा'

इससे पहले जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने एक चिट्ठी दिखाते हुए संगमा के हवाले से कहा, “इन हालात में मेरे पास राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। मेरा पार्टी नेतृत्व को शर्मिंदा करने का कोई इरादा नहीं है.”

स्वामी ने आगे कहा, “एनसीपी और कांग्रेस ने संगमा का अपमान करने की कोशिश की है और उन्होंने आत्मसम्मान बचाने के लिए इस्तीफा दिया है.” संगमा को समर्थन देने के मुद्दे पर विपक्षी एनडीए गठबंधन ने अपना रुख अब तक साफ नहीं किया है लेकिन बीजेपी सांसद और जाने माने वकील रामजेठमलानी ने उनसे मैदान में बने रहने की अपील की है।

समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में जेठमलानी ने कहा, “मैंने एनसीपी नेता और लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष संगमा से बात की है। मैंने उनसे ये निजी आश्वासन लिया है कि वो उम्मीदवारी से पीछे नहीं हट रहे हैं। मैंने उन्हें बताया है कि मैं निजी रूप से आपके लिए चुनाव प्रचार करूंगा.” ताजा घटनाक्रम के बाद सबकी नजरें एनडीए के रुख पर टिकी हैं।

प्रणब बनाम संगमा!संगमा एनसीपी की इच्छा के विरुद्ध जाकर राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने पर अड़े हैं। यूपीए का हिस्सा होने के नाते एनसीपी सत्ताधारी गठबंधन के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है।

संगमा ने राष्ट्रपति पद के चुनाव से पीछे हटने की एनसीपी को अपीलों को ठुकरा दिया था। वैसे संगमा को अभी तक ओड़िसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का खुल कर समर्थन मिल पाया है। संगमा एनसीपी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं।

1999 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेश मूल के मुद्दे पर संगमा, शरद पवार और तारिक अनवर ने पार्टी छोड़ी थी और तब पवार के नेतृत्व में एनसीपी का गठन किया गया। हालांकि जल्द ही कांग्रेस और एनसीपी में गठबंधन हो गया और केंद्र के अलावा महाराष्ट्र में भी दोनों पार्टियां सरकार चली रही हैं।

Posted By: Inextlive