जावेद जाफरी के बेटे मीजान के आपोजिट 'मलाल' मूवी से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली संजय लीला भंसाली की भांजी शरमिन सहगल का कहना है कि वह अभी अपनी बॉडी को लेकर इतनी कॉन्फिडेंट नहीं हैं कि मूवीज में इंटिमेट सीन्स कर सकें...


feature@inext.co.inKANPUR: मलाल मूवी को क्रिटिक्स और ऑडियंस से मिलेजुले रिव्यूज मिले हैं पर इस मूवी से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाले एक्टर्स मीजान जाफरी और शरमिन सहगल का फ्यूचर अच्छा बताया जा रहा है। बता दें कि मूवीज में आने से पहले शरमिन अपने अंकल संजय लीला भंसाली को उनके कई प्रोजेक्ट्स में असिस्ट कर चुकी हैं। अपनी डेब्यू मूवी की तैयारी के लिए न सिर्फ उन्होंने अपनी एक्टिंग पर काफी काम किया बल्कि उन्होंने अपना वजन भी कम किया ताकि वह स्क्रीन पर ज्यादा खूबसूरत लग सकें।पहले तो 'बॉडी कॉन्फिडेंस' बनाना हैहाल में एक इंटरव्यू में जब शरमिन से पूछा गया कि क्या कोई ऐसी चीज है जिसे ऑनस्क्रीन करने को लेकर वह किसी तरह की हिचकिचाहट
महसूस करती हैं, तो उनका जवाब था, 'एक एक्ट्रेस के तौर पर मुझे बहुत कुछ करना है और मैं खुद को लिमिटेड नहीं करना चाहती हूं। पर मैं अभी स्क्रीन पर सेक्स सीन या न्यूड सीन नहीं कर पाऊंगी। मुझे ऐसे सीन करने के लिए बॉडी कॉन्फिडेंस डिवेलप करना है। मुझे लगता है कि चाहे आप लड़का हों या लड़की, अगर आप इसको लेकर कॉन्फिडेंट नहीं हैं कि आप क्या परफॉर्म कर रहे हैं तो आप स्क्रीन पर बुरे ही दिखेंगे।'आखिर ये 'डबल स्टैंडड्र्स' क्यों?


शरमिन का कहना है कि मूवीज के लिए ग्लैमरस दिखना बुरा नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि जेंडर के बेसिस पर स्टैंडड्र्स सेट करना भी गलत होता है। उन्होंने कहा, 'मुझे बुरा लगता है जब कोई कहता है कि तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि तुम एक लड़की हो। हमसे हमेशा उम्मीद की जाती है कि हम नम्र हों, हमें लोगों के बीच डकार नहीं लेनी चाहिए, फार्ट नहीं करना चाहिए या हमें लोगों के बीच में कुछ खास तरीके से ही बैठना चाहिए क्योंकि हम लड़कियां हैं।'Malaal Movie Review: फिल्म बुरी नहीं है, बस रूटीन है, एक क्लीशे लवस्टोरीजेंडर के बेसिस पर न तय हो सही-गलतशरमिन ने आगे कहा, 'मेरा मानना है कि यह सब गलत नहीं है क्योंकि सब नैचुरल है लेकिन या तो ये सब बातें सभी पर लागू हों या किसी पर नहीं। आखिर आप ऐसा कैसे कह सकते हैं कि लड़कों का गालियां देना सही है और लड़कियों का गलत। मेरा कहना है कि अगर कुछ गलत है तो गलत है। केवल जेंडर के बेसिस पर इन्हें सही-गलत नहीं ठहराना चाहिए।'

Posted By: Vandana Sharma