संकष्टी चतुर्थी आज मनाई जा रही है। यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन श्री गणेश की पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से मनचाहा फल मिलता है। आइए जानें संकष्टी चतुर्थी की पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक चन्द्र मास में दो चतुर्थी होती हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। हालाँकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने में होता है लेकिन सबसे मुख्य संकष्टी चतुर्थी पूर्णिमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार माघ के महीने में पड़ती है और अमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार पौष के महीने में पड़ती है। संकष्टी चतुर्थी अगर मंगलवार के दिन पड़ती है तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं और इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। पश्चिमी और दक्षिणी भारत में और विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधिक प्रचलित है।

यह है शुभ-मुहूर्त
द्रिक पंचाग के अनुसार, 3 दिसंबर को संकष्टी चतुर्थी का शुभ-मुहूर्त शाम को 7 बजकर 51 मिनट का है। यह चंद्रोदय का समय है। वहीं चतुर्थी 3 दिसंबर को शाम 7 बजकर 26 मिनट से शुरु होकर 4 दिसंबर को शाम 8 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में गुरुवार को शाम को भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं।

व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं होती पूरी
भगवान गणेश के भक्त संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से चन्द्रोदय तक उपवास रखते हैं। संकट से मुक्ति मिलने को संकष्टी कहते हैं। भगवान गणेश जो ज्ञान के क्षेत्र में सर्वोच्च हैं, सभी तरह के विघ्न हरने के लिए पूजे जाते हैं। इसीलिए यह माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी तरह के विघ्नों से मुक्ति मिल जाती है।

कैसे रखा जाता है व्रत
द्रिक पंचाग में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का उपवास कठोर होता है जिसमे केवल फलों, जड़ों (जमीन के अन्दर पौधों का भाग) और वनस्पति उत्पादों का ही सेवन किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान साबूदाना खिचड़ी, आलू और मूँगफली श्रद्धालुओं का मुख्य आहार होते हैं। श्रद्धालु लोग चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद उपवास को तोड़ते हैं। उत्तरी भारत में माघ माह के दौरान पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही भाद्रपद माह के दौरान पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। सम्पूर्ण विश्व में गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। तमिलनाडु में संकष्टी चतुर्थी को गणेश संकटहरा या संकटहरा चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

स्थान आधारित संकष्टी चतुर्थी के दिन
यह जानना महत्वपूर्ण है कि संकष्टी चतुर्थी के उपवास का दिन दो शहरों के लिए अलग-अलग हो सकता है। यह जरुरी नहीं है कि दोनों शहर अलग-अलग देशों में हों क्योंकि यह बात भारत वर्ष के दो शहरों के लिए भी मान्य है। संकष्टी चतुर्थी के लिए उपवास का दिन चन्द्रोदय पर निर्धारित होता है। जिस दिन चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र उदय होता है उस दिन ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इसीलिए कभी कभी संकष्टी चतुर्थी का व्रत, चतुर्थी तिथि से एक दिन पूर्व, तृतीया तिथि के दिन पड़ जाता है।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari