-डेढ़ महीने से ज्वाइंट डायरेक्टर सीबीआई का लेटर फांक रहा है धूल

-ऑफिस के लिये तीन कमरों की मांग को लिखा लेटर

-करोड़ों की बकायेदारी न चुकाने की वजह से राज्य संपत्ति विभाग कर रहा टालमटोल

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LUCKNOW: अमरमणि त्रिपाठी की पुत्रवधू और अमनमणि त्रिपाठी की पत्‍‌नी सारा सिंह की रहस्यमय हादसे में हुई मौत को लेकर सीबीआई की जांच ऑफिस की दरकार में अटक गई है। सचिवालय सूत्रों के अनुसार, जांच टेकअप करने के बाद सीबीआई की ज्वाइंट डायरेक्टर ने प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी को लेटर लिखकर ऑफिस के लिये तीन कमरों की मांग की। लेकिन, यह लेटर सचिवालय की एक टेबल से दूसरी टेबल तक चहलकदमी ही कर रहा है। ऐसा नहीं है कि राजधानी में कमरों की कमी हो गई है, बल्कि सीबीआई के पूर्व के 'इतिहास' को देखते हुए राज्य संपत्ति विभाग कमरे देने में टालमटोल कर रहा है।

मां ने लड़ी थी सीबीआई जांच के लिए बड़ी लड़ाई

अमनमणि त्रिपाठी की पत्‍‌नी सारा सिंह की फीरोजाबाद के सिरसागंज में बीती 9 जुलाई को रहस्यमय सड़क हादसे में मौत हो गई थी। हालांकि, कार में बैठे अमनमणि को खरोंच तक नहीं आई थी। जिसके बाद सारा की मां सीमा सिंह ने गवर्नर राम नाईक, सीएम अखिलेश यादव और डीजीपी जगमोहन यादव से मिलकर पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। सीएम अखिलेश यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। जिसके बाद 24 अक्टूबर को सीबीआई ने प्रदेश सरकार की सिफारिश को मंजूर करते हुए जांच टेकअप कर एक डीएसपी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दिया। 30 अक्टूबर को सीबीआई ने नई दिल्ली में मामले की एफआईआर दर्ज की थी।

डेढ़ महीने पहले लिखा था लेटर

गत 2 नवंबर को सीबीआई की ज्वाइंट डायरेक्टर नीना सिंह ने प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन को लेटर लिखा। इसमें उन्होंने जांच टीम के ऑफिस के लिये तीन कमरे, दो गाडि़यां, कंप्यूटर सिस्टम व अन्य ऑफिस सामग्री की मांग की थी। सचिवालय सूत्रों के मुताबिक, लेटर को चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन ने संबंधित अधिकारियों को कार्यवाही के लिये अग्रसारित कर दिया। पर, डेढ़ महीना बीतने के बावजूद सीबीआई को कोई जवाब नहीं मिला। आलम यह है कि टीम कमरे की आस में सचिवालय व एनेक्सी के चक्कर लगा रही है।

'इतिहास' ध्यान में रख टालमटोल

संगीन मामलों मे तो सीबीआई देश की सबसे विश्वसनीय एजेंसी है। पर, बकाया चुकाने के मामले में फिसड्डी ही साबित हुई है। दरअसल, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे के ध्वंस की जांच के वक्त 1993 में सीबीआई ने पहली बार प्रदेश सरकार से ऑफिस के लिये डालीबाग स्थित वीआईपी गेस्ट हाउस में दो कमरे लिये। इसके साथ ही मधुमिता हत्याकांड, खाद्यान्न घोटाला, एनआरएचएम घोटाला, दवा घोटाला और एलडीए प्लॉट घोटाला समेत कई घोटालों में सीबीआई की जांच टीमों ने ऑफिस के लिये डालीबाग वीआईपी गेस्ट हाउस में 11 कमरे, डालीबाग ऑफिसर्स कॉलोनी में पांच कमरे और विक्रमादित्य मार्ग गेस्ट हॉउस में 6 कमरे यानि कुल 22 कमरे सीबीआई ने लिये। सभी कमरे अब तक सीबीआई के ही कब्जे मे हैं। नियमत: इन कमरों का किराया सीबीआई को अदा करना था। पर, ऐसा हो न सका और किराये की बकायेदारी 3.25 करोड़ तक जा पहुंची।

सीएस ने राज्यसंपत्ति को भेजी चिट्ठी

राज्य संपत्ति विभाग के सूत्रों के मुताबिक, विभाग कई बार पत्र लिखकर बकाया चुकाने की मांग कर चुका है लेकिन, सीबीआई ने भुगतान नहीं किया। सीबीआई के इसी 'इतिहास' को ध्यान में रखकर अब विभाग कमरे देने में हीलाहवाली कर रहा है। उच्चपदस्त सूत्रों के मुताबिक, मुख्य सचिव आलोक रंजन ने ऑफिस के लिए आए आवेदन को राज्यसंपति विभाग को अग्रसारित कर दिया है.् फिलहाल राज्य संपति में मामला लटका हुआ है।

Posted By: Inextlive