हवाई सुरक्षा पर जोर, धरातल पर कमजोर
-अधिकारी दे रहे निर्देश नजर नहीं आ रही सुरक्षा किसी ओर
-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिएलिटी चेक में हुआ खुलासा -गंगा घाटों से लेकर कचहरी तक सुरक्षा गायब सीन-वन बम धमाके का गवाह बन चुके दशाश्वमेध घाट के एंट्री प्वाइंट पर डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर लगा तो है। इनके बीच कौन क्या लेकर गुजर रहा है पता नहीं चलता है। क्योंकि ये काम नहीं कर रहा है। शाम को आरती के वक्त यहां पुलिसकर्मी बैठते तो हैं लेकिन लोगों को चेक नहीं करते हैं। सीन-टू शीतला घाट पर बम धमाके के बाद बने पुलिस पाकेट पर ताला लगा है। घाट पर क्या हो रहा है इस पर किसी की नजर नहीं है। घाट पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ है। पुलिसकर्मी सिर्फ आरती के वक्त आते हैं। ठीक से जांच भी नहीं होती है। इसका फायदा उठाकर ही बम ब्लास्ट करा दिया था। सीन-थ्रीकचहरी के कई एंट्री गेट पर डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर नजर नहीं आ रहा है। सेंट्रल बार की ओर जाने वाले गेट के पास दो डीएफएमडी है लेकिन काम नहीं कर रहे हैं। बम धमाके से कचहरी परिसर दहल चुका है। घटना के बाद से सुरक्षा के मद्देनजर इंट्री प्वाइंट पर डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर लगा गया था।
यह सीन बता रहे हैं कि शहर के संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा नहीं है। दिखाने के लिए तामझाम लगाया गया है लेकिन काम नहीं कर रहा है। यह खुलासा हुआ शनिवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिएलिटी चेक में। इस रिएलिटी चेक के दौरान टीम ने हर उस स्थान पर पर सिक्योरिटी को चेक किया जहां पहले हादसे हो चुके हैं। गंगा घाटों पर भी सुरक्षा का इंतजाम नजर नहीं आया। जबकि कुछ दिनों में ही बाबा विश्वनाथ के भक्तों रेला यहां उमड़ेगा। दो दिन पहले कमिश्नरी सभागार में डीजीपी ने बनारस व प्रयागराज मंडल के अधिकारियों संग सुरक्षा पर मंथन कर किया था। उन्होंने कावरियों की सुरक्षा पर जोर दिया था। पूरे सावन माह तक बनारस से प्रयागराज तक हेलिकाप्टर से निगहबानी की बात कही थी।
कई बार दहला बनारस दुनिया में मशहूर शहर बनारस आतंकियों के निशाने पर हर वक्त रहा। कई बार आतंकियों ने बम धमाका करके इसे दहलाया। कई बार दहलाने की साजिश रची। इसके बावजूद शहर की सुरक्षा को लेकर पुलिसिया रवैया गंभीर नहीं हुआ। इसका उदाहरण संकटमोचन, कैंट ब्लास्ट, शीतलाघाट, दशाश्वमेध घाट और कचहरी धमाका हैं। इन हादसों में दर्जनों लोगों की जान चली गयी। उमड़ेगा लाखों भक्तों का रेलासावन में बाबा विश्वनाथ के दर्शन को लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती। देश ही नहीं दुनिया भर से लोग दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। इनके बीच कौन आ पहुंचेगा कोई नहीं जानता है। कई बार इंटेलिजेंस एजेंसी ने कांवरियों के वेश-भूषा में आतंकियों के आने की आशंका जाहिर की थी। यह खतरा कभी भी हो सकता है।
सुरक्षा है लापता - सात दिसम्बर 2010 को हुए शीतलाघाट ब्लास्ट के बाद लगे तमाम सुरक्षा इंतजाम नजर नहीं आए -घाट के एंट्री पाइंट पर ऊपर की ओर लगे दो मेटल डिटेक्टर काम नहीं कर रहे हैं। -अहिल्याबाई घाट से शीतलाघाट पर आने वाले रास्ते पर लगाये गए दो मेटल डिटेक्टर लापता हैं -पुलिस चौकी पर ताला जड़ा है उसकी कंडीशन भी ठीक नहीं है। - सुरक्षा के लिए बनाये गए पॉइंट्स से फोर्स नदारद है - महिला पुलिस भी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही हैं - सैकड़ों स्नानार्थी झोला या बैग लेकर आए हैं इनको कोई चेक नहीं कर रहा है। हर तरफ अजनबी -दशाश्वमेध घाट अजनबी चेहरों की भरमार है। - घाट पर के एंट्री पाइंट पर लगे दो मेटल डिक्टेक्टर काम नहीं कर रहे हैं।दशाश्वमेध घाट पर बने मंच के पास सीढि़यों पर डीएफएमडी नहीं हैं
घाटों की सुरक्षा-चाक चौबंद बनाने के लिए काम किया जा रहा है। वर्दी और सादे वर्दी में पुलिसकर्मी घाटों पर नजर बनाए हुए हैं। खराब पड़े डीएफएमडी को बदलने की प्रक्रिया चल रही है। आनंद कुलकर्णी एसएसपीभीड़ को रोकने के लिए मंच के पास लगी बैरिकेडिंग भी गायब है
-घाट पर कई गेरुआ वस्त्रधारी अपना ठिकाना बना चुके हैं -अवैध गाइडों की भरमार है पूरे घाट पर -भिखारी भी घाट के एक कोने से लेकर दूसरे तक टहल रहे हैं -दर्शन-पूजन करने देश के कोने-कोने से आए दर्शनाथियों के साथ विदेशी टूरिस्ट भी हैं कई बार हुए धमाके 2006 मार्च में संकटमोचन और कैंट ब्लास्ट हुआ 2007 नवम्बर में कचहरी में हो चुका है धमाका 2010 दिसम्बर को हुए शीतला घाट पर ब्लास्ट कचहरी की सुरक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। कोई भी बिना किसी रोकटोक के अंदर-बाहर कर सकता है। डोर मेटल डिटेक्टर लापता हो गए हैं। कुछ हैं तो बदहाल अवस्था में है। रत्नदीप जायसवाल, एडवोकेट अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए कुछ ठोस उपाय होने चाहिए। जिला प्रशासन इस बारे में बिल्कुल गंभीर नहीं है। जबकि कचहरी कैम्पस में ब्लास्ट भी हो चुका है। विकास सिंह, एडवोकेट गंगा घाटों पर सिक्योरिटी का कोई इंतजाम नहीं है। इस लापरवाही का फायदा दहशतगर्द उठा सकते हैं। डीएफएमडी सिर्फ शोपीस बन गए हैं। विशाल यादव, दशाश्वमेध