RANCHI:कांके डैम से शहर की करीब 20 परसेंट आबादी को पानी मिलता है। यानी करीब तीन लाख लोग इस डैम का पानी उपयोग करते हैं। वर्तमान में यह डैम प्रतिदिन चार एमजीडी पानी शहर को देता है। जरूरत के हिसाब से पानी में लगातार कटौती की जा रही है। आने वाले दिनों में यह मात्रा बढ़ेगी जिसके लिए कांके डैम अभी तैयार नहीं है। डैम के नीचे का गाद और इसके सूखते जलस्रोत एक बड़ी परेशानी की तरफ इशारा कर रहे हैं। डैम की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है जमीन की तह में जमा गाद। गाद की वजह से डैम का संबंध जमीन से टूट गया है। प्राकृतिक जलस्रोत समाप्त हो चुका है। गंदगी की वजह से पानी का कुछ हिस्सा भी उपयोग के लायक नहीं है। लगातार पानी की जरूरतें बढ़ रही है। डैम की हालिया स्थिति बढ़ती आबादी को पानी देने में असमर्थता दिखाती है।

खतरे में है डैम का जलस्रोत

कांके डैम पोटपोटो नदी पर बना है, डैम में पानी का एकमात्र जलस्रोत यही नदी है। कुछ वर्षो पहले डैम में शहर के अन्य क्षेत्रों से भी पानी आता था, लेकिन आसपास मकानों के निर्माण के बाद ये स्रोत समाप्त हो गए। पोटपोटो नदी का अस्तित्व भी खतरे में है। हर वर्ष जलधारा कम हो रही है और डैम में पानी आने के सारे विकल्प बंद हो रहे हैं। पोटपोटो नदी को कब्जा कर लोगों ने अपने मकान बना लिए हैं, जिसके कारण पानी का बहाव काफी कम होता जा रहा है।

जीर्णोद्धार की नहीं है कोई योजना

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों से बातचीत के दौरान पता चला कि डैम की सफाई और जीर्णोद्धार संबंधी कोई भी योजना वर्तमान में नहीं है, अधिकारियों का कहना है कि अभी डैम में काफी पानी है, सफाई के लिए पहले पानी सुखाना होगा। आने वाले दिनों में जरूरतों के अनुसार कदम उठाए जाएंगे। 2015 में डैम की सफाई हुई थी। जितनी आपूर्ति होती है उस हिसाब से हम खतरे के निशान से ऊपर हैं। भविष्य में डैम के कैचमेंट एरिया को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।

मैला हुआ पानी, लोग हलकान

राजधानी रांची के सबसे पुराने जलाशयों में से एक कांके डैम की मौजूदा हालत बेहद खस्ता है। समय के साथ इस डैम के जल ग्रहण की क्षमता कम होती जा रही है। डैम की सतह उथली हो गयी है, जिसमें गाद व गंदगी भरी हुई है। इससे डैम का पानी गंदा व प्रदूषित हो गया है। कई जगहों पर पानी का रंग हरा व काला है और इससे दुर्गध आती रहती है। गंदे पानी को फिल्टर करनेवाला एसटीपी भी वषरें से बंद पड़ा है।

डैम में नालियों का गंदा पानी

रातू रोड और कांके रोड के घरों से निकलनेवाली नालियों का गंदा व प्रदूषित जल कांके डैम में जा रहा है। बिहार सरकार ने पाइपलाइन के माध्यम से नालियों का गंदा जल डैम में जाने से रोकने की योजना बनायी थी। लगभग 82 लाख रुपये खर्च कर पाइपलाइन बिछायी गयी थी। बाद में झारखंड सरकार ने उस कार्य को आगे बढ़ाया। 2.62 करोड़ रुपये की लागत से डैम के फाटक के नीचे हथिया गोंदा में एसटीपी का निर्माण कराया।

2128.5 फीट है जल ग्रहण कैपासिटी

कांके डैम की जल ग्रहण क्षमता का अधिकतम स्तर 2128.5 फीट है। इसके बाद डैम का फाटक खोलने की नौबत आती है। पिछले वर्ष बारिश में दो बार फाटक खोला गया था। डैम के फिल्टरेशन प्लांट से राजधानी को प्रतिदिन 1.60 करोड़ लीटर से अधिक जलापूर्ति की जाती है। एक वीआइपी लाइन व एक पब्लिक लाइन से दिन में दो बार (सुबह व शाम) जलापूर्ति की जाती है। सुबह में दोनों लाइन खोली जाती हैं। पब्लिक लाइन दो घंटे तक खुली रहती है। वीआइपी लाइन सुबह से शाम में बंद होने तक खुली रहती है।

Posted By: Inextlive