Jamshedpur: प्लास्टिक वेस्टेज ह्यूमन बॉडी के लिए जानलेवा हो सकती है. इससे कार्सियोजेन प्रोड्यूस होता है जिससे कैंसर होने के चांसेज बढ़ जाते हैं. इतना ही नहीं प्लास्टिक के टूटने से मिथेन गैस निकलती है जो नर्वस सिस्टम को हैम्पर करती है. इससे मेंटल डिसऑर्डर के केसेज बढ़ सकते हैं.

बढ़ रहा प्लास्टिक वेस्टेज
 जूलॉजी के प्रोफेसर केके शर्मा ने बताया कि पानी का नेचर एसिडिक होता है। ऐसे में जब हम कलरफुल वॉटर बॉटल में पानी पीते हैं तो पानी के साथ प्लास्टिक के महीन पार्टिकल्स बॉडी में चले जाते हैं, जो बॉडी के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। यूं तो प्लास्टिक को बॉयोडीग्रेड होने में करीब 1,000 साल लगते हैं। दिनों-दिन लैंडफिल एरियाज में प्लास्टिक वेस्ट के बड़े पाइल क्रिएट हो रहे हैं। नदियों और अदर वॉटर बॉडीज में भी प्लास्टिक वेस्टेज बढ़ता जा रहा है। ये एन्वॉयरमेंट को काफी अफेक्ट कर रहा है। को-ऑपरेटिव कॉलेज के जूलॉजिकल डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ केके शर्मा ने बताया कि लैंडफिल्स में कई तरह के माइक्रोऑर्गनिज्म रहते हैं, जो प्लास्टिक को  बॉयोडीग्रेड करते हैं। उन्होंने बताया कि जब प्लास्टिक टूटता है तो मिथेन गैस निकलती है, जो ग्लोबल वॉर्मिंग का सबसे बड़ा रिजन है। सिटी की दोनों ही नदियां स्वर्णरेखा और खरकई नदियों में इन दिनों प्लास्टिक वेस्टेज का देश झेल रही हैं। इनकी साफ-सफाई की ओर न तो एडमिनिस्ट्रेशन का ध्यान है और न ही आम लोगों का।

15 जुलाई से लगेगा fine
पॉलीथिन को 15 जुलाई से झारखंड में बैन किया जा रहा है। पॉल्यूशन डिर्पाटमेंट के इंजीनियर सत्यप्रकाश ने बताया कि इस दौरान 25 दिनों के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत लोगों को नुक्कड़ नाटक के माध्यम से पॉलीथिन के नुकसान के बारे में बताया जा रहा है। उन्हें यह मैसेज दिया जा रहा है कि लोग पॉलीथिन का यूज नहीं करें। इसके लिए दो टीमें बनाई गई हैं, जो सिटी के डिफ्रेंट-डिफ्रेंट एरियाज में जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। साथ ही पैम्फलेट बांट कर भी इस अभियान को और ज्यादा इम्पैक्टफुल बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 15 जुलाई से पूरे झारखंड में 50 माइक्रोन से थीन पॉलीथिन के यूज पर स्ट्रिक्टली बैन लगा दिया जाएगा। फिलहाल, इन दिनों पॉल्यूशन डिपार्टमेंट की लाख कोशिशों के बाद भी सिटी में पॉलीथिन का धड़ल्ले से यूज हो रहा है।

इन दिनों सिटी में नुक्कड़ नाटक के थ्रू लोगों का पॉलीथिन यूज न करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही लोगों को इसके
हॉम्र्स के बारे में भी बताया जा रहा है।
सत्यप्रकाश, इंजीनियर, पॉल्यूशन डिपार्टमेंट

लोगों को जागरूक होना चाहिए। प्लास्टिक का कम से कम यूज हो तो अच्छा है। खासकर प्लास्टिक को कूड़े में न फेंकें।
डॉ विजय शंकर, फीजिशियन, गुरुनानक हॉस्पिटल, मानगो


Posted By: Inextlive