जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता में तीन जजों की खंड पीठ ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता अपनी बात समझाने में सफल रहे हैं और आरबीआई का सर्कुलर खारिज करने योग्य है। अनुपातिकता के आधार पर कोर्ट याचिकाकर्ताओं को मंजूरी देते हुए सर्कुलर को खारिज करती है। खंडपीठ में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम शामिल थे।

कानपुर। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया बनाम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रिट पिटिशन (सिविल) नंबर 528/2018 पर फैसला सुनाया। फैसले के मुताबिक, आरबीआई ने 5 अप्रैल, 2018 को 'स्टेटमेंट ऑन डेवलपमेंटल एंड रेगुलेटरी पाॅलिसीज' जारी करते हुए व्यक्तिगत या कारोबारी संस्थानों को वर्चुअल करेंसी में डील न करने का निर्देश दिया था। यदि कोई पहले से वर्चुअल करेंसी में डील कर रहा है तो वह इस प्रकार के लेन-देन से संबंध खत्म कर ले। इस बाबत आरबीआई ने 6 अप्रैल, 2018 को एक सर्कुुलर भी जारी किया था।

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आरबीआई के सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

आरबीआई के निर्देश और सर्कुलर को याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वे अपनी याचिका के माध्यम से चाहते थे कि कोर्ट केंद्रीय बैंक को यह आदेश दे कि वह वित्तीय संस्थानों या बैंकों को क्रिप्टो करेंसी में कारोबार करने से न रोके। पहली रिट पिटिशन के याचिकाकर्ता इंडस्ट्री के विशेषज्ञ हैं, जिन्हें इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है। कोर्ट में वे ऑनलाइन और डिजिटल सर्विसेज इंडस्ट्री के हित को पेश कर रहे थे। दूसरी रिट पिटिशन के याचिकाकर्ताओं में वे शामिल हैं जिनमें से कुछ ऐसी कंपनियां हैं जो, ऑनलाइन क्रिप्टो असेट एक्सचेंज प्लेटफार्म चलाती हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh