सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्‍तर प्रदेश में बतौर लोकायुक्‍त इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्‍टिस वीरेंद्र सिंह को नियुक्‍त करने के अपने आदेश को वापस लेते हुए एक अन्‍य रिटायर्ड जज जस्‍टिस संजय मिश्रा को उनके स्‍थान पर नियुक्‍त कर दिया है।


पलटा फैसला सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए जस्टिस संजय मिश्रा को उत्तर प्रदेश का नया लोकायुक्त नियुक्त किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह को यूपी लोकायुक्त नियुक्त करने का आदेश वापस ले लिया। जस्टिस मिश्रा 2014 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए थे। इससे पहले 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त नियुक्त किया था। गौरतलब है कि जस्टिस रंजन गोगोई की खंडपीठ ने अपने पिछली सुनवाई के दौरान यूपी सरकार पर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए ओपन फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस मिश्रा का नाम उत्तर सरकार के पैनल में था। सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर को वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त बनाने वाला आदेश दिया था।सर्वोच्च न्यायालय ने जाताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने पूर्ववर्ती आदेश को वापस लेते हुए जस्टिस संजय मिश्रा को उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त बनाया है। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश लोकायुक्त के एक नाम पर सहमत नहीं हो सके। कोर्ट ने आदेश में उत्तर प्रदेश का सख्त नाराजगी जताई और कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक साधारण से मामले में उत्तर प्रदेश के संवैधानिक पदाधिकारी एक राय नहीं बना सके। नियुक्ति के लिए कई बार वक्त दिया गया। लंबी बैठकों का दौर चला और जस्टिस वीरेंद्र सिंह का नाम यूपी सरकार ने कोर्ट के सामने रखा, लेकिन हमें उनके बारे में कई तथ्य साफ नहीं हैं। जाहिर है कि उनके नाम पर गंभीर संदेह है। इसके कारण उनका नाम हटाया जा रहा है। उम्मीद है कि अब संजय मिश्रा के नाम पर सभी में सहमति बनेगी। दुख इस बात का है कि पहले यह पता चलता कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह के नाम पर सहमत नहीं हैं तो इस प्रकार के हालात नहीं होते।अखिलेश सरकार पर लगे थे गुमराह करने के आरोप


इससे पहले जस्टिस रंजन गोगोई की खंडपीठ ने अपने पिछली सुनवाई में अखिलेश सरकार पर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए ओपन फैसला सुरक्षीत रख लिया था। 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह यूपी का लोकायुक्त नियुक्त किया था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने वीरेन्द्र सिंह के नाम पर आपत्ति जताता हुए कहा था कि चयन समिति में इस नाम पर चर्चा या सहमती हुयी ही नहीं थी। जिसके बाद सच्चिदानंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वीरेंद्र सिंह की नियुक्त का विरोध किया। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने वीरेंद्र सिंह के शपथ पर रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई, कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री, चीफ जस्टिस और नेता विपक्ष 18 माह बाद भी एक भी नाम पर सहमति नहीं बना सके। हम मानते हैं कि लोकायुक्त के संभावितों की सूची देने में गुमराह किया गया। उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त का नाम तय करने में इतना वक्त लगा। 18 महीने तक कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया।प्रदेश सरकार के पैनल में था संजय मिश्रा का नाम

जस्टिस संजय मिश्रा का नाम उत्तर प्रदेश सरकार के उस पैनल में था, जो नाम सुप्रीम कोर्ट में भेजे गए थे। उनकी छवि साफ-सुथरी मानी जाती है। जस्टिस संजय मिश्रा नवंबर 2014 में इलाहबाद हाईकोर्ट से रिटायर हुए थे। गौरतलब है कि जस्टिस मिश्रा में 1977 में अपना करियर शुरू किया था और दिसम्बर 2005 में वे पूर्णकालिक जज बने थे। 24 सितम्बर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने थे।

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Posted By: Molly Seth