दिल्ली विधानसभा भंग किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी भाजपा और कांग्रेस को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक विधानसभा भंग किए जाने की कार्यवाही लोकतंत्र के लिए घातक हो सकती है.


सरकार बनाने की संभावना से इनकार नहींगौरतलब है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद विधानसभा भंग नहीं करने को न्यायोचित ठहराते हुए कहा था कि ऐसा 'जनहित' में किया गया और सरकार बनाने के लिए भाजपा द्वारा दावा किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.केंद्र सरकार ने दिया हलफनामाशीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में सरकार ने दलील दी थी कि इतनी कम अवधि में चुनाव कराना जनहित में नहीं था, जैसी कि उपराज्यपाल ने सिफारिश की थी. केंद्र ने विधानसभा भंग नहीं किए जाने को लेकर दायर याचिका पर न्यायालय के नोटिस के जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया.कम अवधि में चुनाव जनहित में नहीं


हलफनामे में कहा गया कि उपराज्यपाल ने दो कारण दिए थे कि दिसंबर के पहले सप्ताह में संपन्न चुनाव के बाद 28 दिसंबर, 2013 को ही सरकार का गठन हुआ था और इसलिए इन परिस्थितियों में इतनी कम अवधि में अगला चुनाव कराना न तो उचित था और न ही जनहित में था.सरकार की संभावना बंद नहीं

हलफनामे के अनुसार, उपराज्यपाल ने यह भी कहा था कि इन परिस्थितियों में निकट भविष्य में किसी अन्य राजनीतिक दल या गठबंधन द्वारा सरकार बनाने का दावा करने की संभावना बंद नहीं की जानी चाहिए.उपराज्यपाल की कार्रवाई उचितकेंद्र सरकार ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा दिए गए कारण सही और उपयुक्त थे और विशेष रूप से विधानसभा की अस्थिर स्थिति के संदर्भ में इसे स्वीकार करना ही उचित था. हलफनामे के अनुसार, दिल्ली में भाजपा द्वारा सरकार बनाने का दावा करने की अभी भी संभावना है और इस संदर्भ में विधानसभा को भंग करना सही नहीं होता.राष्ट्रपति शासन को दी थी चुनौतीदिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किए जाने को चुनौती देने की आम आदमी पार्टी की याचिका पर 24 फरवरी को केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. लेकिन न्यायालय ने इस मामले में भाजपा और कांग्रेस को नोटिस जारी करने से गुरेज करते हुए कहा था कि वह सिर्फ संवैधानिक मसले पर गौर करना चाहता है और राजनीतिक झमेले में नहीं पड़ना चाहता.

Posted By: Satyendra Kumar Singh