सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने केजरीवाल के खिलाफ लंबित मानहानि के दो मुकदमों पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मानहानि के दो मुकदमे लंबित हैं. पहले में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल ने केजरीवाल के खिलाफ याचिका दायर की है जिस पर सुनवाई आठ हफ्ते के लिए टाल दी है.  दूसरे मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय सडक़ एवं भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी व वकील सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत व कडक़डड़ूमा अदालत मे मानहानि के मुकदमे दाखिल कर रखे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों ही मुकदमों की सुनवाई पर भी फिलहाल रोक लगा दी है.

आपराधिक मुकदमा चलाने के कानून को दी है चुनौती
अरविंद केजरीवाल ने मानहानि पर आपराधिक मुकदमा चलाए जाने के कानून आइपीसी की धारा 499 व 500 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. केजरीवाल ने कानून को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व अन्य मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है.
 
अब केंद्र को देना है जवाब
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने कानून मंत्रालय से छह सप्ताह में जवाब मांगा है. इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका में पक्षकार बनाए गए गडकरी व वकील शर्मा को भी नोटिस जारी किया है. केजरीवाल ने याचिका में गडकरी और शर्मा की ओर से दाखिल किए गए मानहानि के मुकदमों को भी निरस्त करने की मांग की है.
 
सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि के आपराधिक कानून को चुनौती देने वाली अरविंद केजरीवाल की याचिका को इसी मसले पर पहले से लंबित भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के साथ संलग्न करने का आदेश दिया है. स्वामी की याचिका पहले से ही शीर्ष न्यायालय में लंबित है, जिसमें आइपीसी की धारा 499 व 500 को निरस्त करने की मांग की गई है.
 
गलत हैं धारा 499 व 500
केजरीवाल ने कानून को चुनौती देते हुए दलील दी है कि मानहानि पर आपराधिक मुकदमा चलाए जाने का कानून आइपीसी धारा 499 व 500 अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है. अब परिस्थितियां बदल गई हैं. हम ऐसे लोकतंत्र में रहते हैं, जहां अभिव्यक्ति की आजादी है. ये धाराएं अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार अनुच्छेद 19 व बराबरी के हक अनुच्छेद 14 का हनन करती है. याचिका में सीआरपीसी की धारा 199(2) को भी असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है.

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Posted By: Molly Seth