- राजधानी के तमाम सरकारी दफ्तरों में आग लगने का सिलसिला जारी

- स्वास्थ्य भवन में दो बार, मंडी परिषद और कौशल विकास दफ्तर में भी लग चुकी है रहस्यमय आग

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LUCKNOW: इसे सरकारी मशीनरी की लापरवाही कहें या फिर फायर सर्विस की नाकामी, सूबे के सरकारी भवनों में लगने वाली आग के मामले दफन हो जाते हैं। फायर सर्विस ज्यादातर मामलों में आग लगने की वजह शार्ट सर्किट बताता है। विभागीय जांच में भी आग लगने की स्पष्ट वजह पता नहीं चल पाती है। यही वजह है कि साल-दर-साल सरकारी फाइलें आग की भेंट चढ़ती जाती हैं और इसकी राख तमाम घोटालों को दफन कर देती है। कुछ ऐसे ही मामले जिनमें आग ने घोटाले के आरोपियों को उनके अंजाम तक पहुंचने न दिया-

केस:1

जगह: स्वास्थ्य भवन

दिन: 15 जून 2015

कैसरबाग स्थित स्वास्थ्य भवन की दूसरी मंजिल पर भीषण आग लग गई। आग ने ऑफिसर्स के पांच कमरों को अपनी चपेट में ले लिया। बिल्डिंग से धुआं निकलते देख सिक्योरिटी गा‌र्ड्स ने इसकी सूचना फायर कंट्रोल रूम को दी। जिसके बाद करीब एक दर्जन फायर टेंडर्स ने 12 घंटे की मशक्कत के बाद आखिरकार आग पर काबू पाया। हादसे में चिकित्सा अनुभाग व वित्त अनुभाग में रखी एनआरएचएम घोटाले की महत्वपूर्ण फाइलें, कंप्यूटर, एसी और फर्नीचर जलकर खाक हो गए। दिलचस्प बात यह है कि आग लगने के दो दिन पहले से दफ्तर में छुट्टी चल रही थी। आशंका जताई गई कि आग शॉर्ट सर्किट के चलते लगी। पर, ऑफिस बंद होने की वजह से बिल्डिंग का बिजली कनेक्शन डिस्कनेक्ट था।

जांच का हश्र: घोटाले को दबाने की चर्चा होने पर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन की सिफारिश पर सीएम ने मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी। लेकिन, एसटीएफ भी वजीरगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करने के अलावा कुछ खास कर न सकी।

केस: 2

जगह: स्वास्थ्य भवन

दिन: 5 अगस्त 2015

अभी पिछले अग्निकांड पर उठा बवाल थमा भी नहीं था कि एक बार फिर स्वास्थ्य भवन में आग गई। इस बार आग लगी फ‌र्स्ट फ्लोर पर डायरेक्टर जनरल के दफ्तर में। जानकारी मिलने पर पहुंची चार फायर टेंडर्स ने दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। लेकिन, तब तक वहां रखे जरूरी दस्तावेज और फाइलें जलकर खाक हो चुकी थीं। बताया जाता है कि इस अग्निकांड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तमाम महत्वपूर्ण फाइलों के साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती से संबंधित कागजात थे।

जांच का हश्र: एसटीएफ पुराने अग्निकांड की जांच कर ही रही थी कि इस अग्निकांड में एक बार फिर सरकार की पेशानी पर बल ला दिये। स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने तो सिलसिलेवार ढंग से लग रही आग को सरकार के खिलाफ साजिश तक बता डाला। हालांकि, इसके बावजूद एसटीएफ किसी नतीजे पर न पहुंच सकी।

केस: 3

जगह: मंडी परिषद मुख्यालय

दिन: 16 मई 2016

विभूतिखंड में लोहिया पथ पर उत्तर प्रदेश राज्य मंडी परिषद का मुख्यालय स्थित है। तड़के करीब दो बजे अचानक बिल्डिंग की पांचवी मंजिल से लपटें और धुआं निकलने लगा। देखते ही देखते आग ने छठी मंजिल को भी चपेट में ले लिया। जानकारी मिलने पर एक दर्जन फायर टेंडर्स को मौके पर बुलाया गया। करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। लेकिन, इस दौरान इन दोनों फ्लोर्स पर स्थित अकाउंट सेक्शन, विपणन सेक्शन में रखी सैकड़ों फाइलें जलकर खाक हो गई। बताया जाता है कि वहां पर बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत कराए गए करोड़ों रुपये के काम, जनेश्वर मिश्रा पार्क में कराए गए करोड़ों रुपये के काम की फाइलें रखी हुई थीं, जो कि इस अग्निकांड में जलकर खाक हो गई।

जांच का हश्र: कृषि उत्पादन आयुक्तने विशेष सचिव कृषि के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी को जांच सौंपते हुए सात दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की है। रिपोर्ट का आना अभी बाकी है।

केस: 4

जगह: कौशल विकास मिशन दफ्तर

दिन: 18 मई 2016

अलीगंज स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान स्थित कौशल विकास मिशन के दफ्तर में आग लगने से हड़कंप मच गया। जिसकी सूचना फायर कंट्रोल रूम को दी गई। मौके पर पहुंची दो फायर टेंडर्स ने करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। लेकिन, तब तक वहां रखी सैकड़ों फाइलें व अन्य जरूरी दस्तावेज जलकर खाक हो चुके थे। यह अग्निकांड भी दफ्तर के सबसे संवेदनशील सेक्शन माने जाने वाले अकाउंट सेक्शन में लगी। सूत्रों की मानें तो इस अग्निकांड में घोटाले से संबंधित फाइलें जलकर राख में तब्दील हो गई हैं।

जांच का हश्र : शुरुआती जांच के बाद फायर डिपार्टमेंट की ओर से बताया गया कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी। हालांकि, ऑफिसर्स यह नहीं बता सके कि बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट दफ्तर की उसी जगह पर क्यों होता है जहां जरूरी फाइलें रखी होती हैं।

घोटालेबाज देते हैं 'अग्निदेवता ' को आहुति

प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह राजधानी के विभिन्न महत्वपूर्ण दफ्तरों में सिलसिलेवार ढंग से लग रही आग को पूरी तरह साजिश मानते हैं। वे कहते हैं कि आखिर क्या वजह है कि इन सभी अग्निकांडों में वही फाइलें जलकर खाक होती हैं, जिनका संबंध किसी घोटाले से हो। यह उसी तरह की बात है कि जैसे थानों के मालखाने में चूहे कपड़े और अन्य सामान नहीं बल्कि सिर्फ नोट की गड्डियां, गांजा-भांग और यहां तक कि ज्वैलरी भी 'खा' जाते हैं। दरअसल, यह आग खुद नहीं लगती बल्कि घोटालेबाज खुद 'अग्निदेवता' को आहुति देते हैं। इस आहुति का फायदा यह होता है कि उनके कृत्यों पर हमेशा के लिये पर्दा पड़ जाता है। पूर्व डीजीपी कहते हैं कि इन घोटालेबाजों के हौसले इसलिए बुलंद होते हैं क्योंकि इसके पीछे की जिम्मेदारी तय नहीं की जाती। उन्होंने बताया कि अगर इस तरह के अग्निकांडों को रोकना है और घोटालेबाजों को सजा दिलानी है तो संवेदनशील फाइलों की डुप्लीकेट कॉपी व उनके डिजिटलाइजेशन पर तुरंत काम शुरू करना होगा।

सीबीआई भी हुई थी हैरान

मनरेगा घोटाले की जांच करने के लिए सीबीआई ने जब सभी जिलों से दस्तावेज मांगने शुरू किये तो हड़कंप मच गया। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि जब उन्होंने दस्तावेज न देने वाले जिलों पर दबाव बनाया तो उन्होंने दफ्तर में आग लगाने की धमकी तक दे डाली। बाद में बड़ी मुश्किल से शासन के हस्तक्षेप के बाद दस्तावेज मिले। दस्तावेजों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि सीबीआई ने अतिरिक्त एहतियात बरतते हुए जिला प्रशासन से उसे सिक्योरिटी चेस्ट में रखने को कहा। इसके पीछे वजह थी कि घोटालेबाज कहीं उसे भी आग के हवाले न कर दें।

Posted By: Inextlive