जंगल से कम नहीं स्कूल के मैदान
-स्कूल में बच्चों के खेल के मैदान बने जंगल
-अव्यवस्थाओं और गंदगी की भेंट चढ़ रहे स्कूल कालेज ALLAHABAD: स्कूलों में पढ़ाई के साथ स्टूडेंट्स को फिजिकल स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए भी शासन की ओर से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसी बीच शासन की ओर से एक मीटिंग आयोजित हुई जिसमें स्कूलों में पढ़ाई के साथ ही साफ-सफाई की व्यवस्था सुधारने पर भी जोर देने की बात कही गई। लेकिन शासन के इतने बड़े फैसले की जानकारी शहर के शिक्षा विभाग के अधिकारियों को ही नहीं है। इसी का असर है कि स्कूल की बिल्डिंग से लेकर स्टूडेंट्स के खेलने के मैदान तक चारों तक अव्यवस्था फैली हुई है। शहर के कई ऐसे स्कूल एंड कॉलेज हैं, जहां स्टूडेंट्स के खेलने के मैदान किसी जंगल से कम नहीं लगते हैं। ऐसे में शासन की सारी कवायद सिर्फ कागजी ही साबित हो रही है।घास कटाई को भी नहीं पैसे
स्कूल में बच्चों को फिजीकली फिट रखने के लिए प्ले ग्राउण्ड दिया गया है, लेकिन वहां बच्चों के खेलने तक के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। स्कूल की बिल्डिंग की बात करें, तो वहां भी साफ-सफाई की व्यवस्था बिलकुल न के बराबर है। केपी इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। योगेन्द्र सिंह ने बताया कि स्कूल में बजट की कमी प्रत्येक ढंग से मुश्किलें खड़ी करने का काम करती है। स्कूल चाह कर भी स्कूल की व्यवस्थाओं में सुधार नहीं कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल स्कूलों में ब्लैक बोर्ड तक बनवाने के लिए बजट की समस्या आ रही है। ऐसे में स्कूल की साफ-सफाई की व्यवस्था किसी प्रकार की जाये। जहां तक शासन की ओर से जारी फरमान की बात है, तो उसको लेकर डीआईओएस कार्यालय से किसी भी प्रकार का कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है।
स्कूलों के सामने ये समस्याएं -शासन से कोई फंड नहीं मिलता, जिसके कारण बजट का अभाव बना रहता है। -क्लासेज में टूटे ब्लैक बोर्ड है, जिनकी मरम्मत के लिए भी पैसे की कमी है। -क्लास सिक्स्थ से एर्थ तक बच्चों की फीस नहीं लेनी पड़ती, जिससे पैसों की क्राइसिस बनी रहती है। -शहरों में अगर बच्चों को साफ सफाई के लिए जागरूक करना बेहद टफ टास्क है। वर्जन शासन की मीटिंग में मैं नहीं गया था, इस प्रकार के किसी भी आदेश की जानकारी नहीं है। अगर कोई आदेश आता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। कोमल यादव, डीआईओएस