ALLAHABAD: बेली हॉस्पिटल के इमरजेंसी में एडमिट नेहा दर्द से कराह रही थी. उसके हाथ पांव की चमड़ी छिल गई थी. काफी खून भी बह रहा था. बेटी की ये हालत देखकर मां के आंसू रोके नहीं रुक रहे थे. रह-रहकर वो अपने आंसू पोछती और फिर नेहा को ढाढस बंधाती. इस पर उनके गले लिपटकर नेहा यही बोलती कि मम्मी अब इस बस से स्कूल नहीं जाउंगी. नेहा की तरह ही करीब आधा दर्जन बच्चों की हालत भी कुछ ऐसी ही थी. बेली हॉस्पिटल में एडमिट ये बच्चे घायल थे. ये बच्चे उस बस में सवार थे जो उन्हें घर ले जाते वक्त रास्ते में पलट गई. ये सभी महर्षि पंतजलि विद्या मंदिर और ऋषिकुलम पंतजलि स्कूल के स्टूडेंट थे. गंभीर रूप से घायल एक बच्ची को निजी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है. फिलहाल घटना का कारण बस का एक्सल टूट जाना बताया जा रहा है.

मजार चौराहे के पास हुआ हादसा

घटना करीब 2.30 बजे की है। पहले ऋषिकुलम स्कूल और फिर महर्षि पंतजलि विद्या मंदिर के बच्चों को लेकर एक जर्जर मिनी बस रवाना हुई। बस ओवरलोडेड थी। 35 सीटर इस बस में 40 से ज्यादा बच्चे बैठे थे। ये क्लास 3 से लेकर आठ तक के स्टूडेंट थे। ज्यादातर दारागंज व बक्शीखुर्द एरिया के रहने वाले हैं। बस शिवकुटी मजार चौराहा तक पहुंची थी, तभी ये हादसा हो गया। अचानक बस लहराने लगी और बच्चे दहशत से चीखने लगे। कोई कुछ समझ पाता कि बस पलट गई। बस जर्जर थी। ऐसे में कुछ सीटें भी निकल गई और बच्चे इनके नीचे दब गए।

 शीशा्र जाली तोड़कर निकाला बाहर

बस पलटी तो आसपास से गुजर रहे लोग सन्न रह गए। वे भागकर बस के पास पहुंचे। प्रत्यक्षदर्शी केंद्रीय विद्यालय ओल्ड कैंट के स्टूडेंट अनुभव ने बताया कि बच्चे बुरी तरह सहमे हुए थे। वे लगातार चीख रहे थे। बस गेट की ओर से पलटी थी। ऐसे में बच्चों को निकालने का कोई रास्ता भी नहीं समझ आ रहा था। पब्लिक ने बस का फ्रंट ग्लास व बैक में लगी जाली को तोड़कर बच्चों को निकालना शुरू किया। इसके बाद बस को सीधा किया गया। मौका देखकर बस ड्राइवर भागने लगा। हालांकि आक्रोशित लोगों ने उसे पकड़ा और फिर जमकर धुनाई की। फिर भी पुलिस के आने से पहले ही वह भाग निकला।

 ऑफिसर्स भी पहुंचे भागकर

घटनास्थल पर मौजूद लोगोंने बच्चों के पैरेंट्स को घटना की जानकारी दी। तब तक शिवकुटी पुलिस भी मौके पर पहुंच चुकी थी। पुलिस तुरंत 20 से ज्यादा घायल बच्चों को बेली हॉस्पिटल ले आई। उधर घटना की सूचना मिली तो प्रशासन के भी हाथ-पांव फूल गए। एडीएम सिटी, एसपी सिटी भागकर हॉस्पिटल पहुंचे। स्कूल स्टॉफ भी हॉस्पिटल पहुंचा। मामला बच्चों का था, ऐसे में हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन भी तेजी से जुट गया। फटाफट बच्चों का फस्र्ट एड करने के बाद उनका ट्रीटमेंट स्टार्ट किया गया। करीब 12 बच्चों को हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने एडमिट किया। बाकी को प्राइमरी ट्रीटमेंट करने के बाद छुट्टी दे दी गई। उधर गार्जियन रोते-बिलखते बेली हॉस्पिटल पहुंचे। घायल हुए ज्यादातर बच्चों के पिता बाहर पोस्टेड हैं। ऐसे में बच्चों की मां और रिलेटिव्स पहुंचे। पैरेंट्स में स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन और बस चालक को लेकर आक्रोश साफ नजर आ रहा था। बच्चों से मिलकर उनसे बात कर लेने के बाद ही वे कुछ रिलैक्स हुए।

 पलक की हालत बनी हुई थी गंभीर

घायल हुए एक दर्जन से ज्यादा बच्चों में क्लास एट्थ स्टूडेंट पलक सचान की हालत गंभीर है। उसके सिर पर चोट आई है। पार्वती के पिता डॉ। विनोद सचान बाहर पोस्टेड हैं। सूचना मिलने पर मां मंजू सचान घबराई हुई हॉस्पिटल पहुंची। डॉक्टर्स ने बताया कि पलक का सीटी स्कैन किया गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद आगे का ट्रीटमेंट स्टार्ट किया जाएगा। बेली हॉस्पिटल में एडमिट बच्चों में नेहा यादव, कौशिकी, मनु, अनुष्का, वैष्णवी, मोरिशा बरनवाल, सर्वेश यादव, दिव्यांशु श्रीवास्तव शामिल हैं।

 ज्यादातर वेहिकल हैं जर्जर

सिटी स्थित स्कूलों में लगी 40 प्रतिशत से ज्यादा वेहिकल जर्जर हैं। प्रशासन ने सख्ती दिखाई तो स्कूली बसों के ड्राइवर हड़ताल पर चले गए। उसके बाद फिर प्रशासन ने चुप्पी साध ली। स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन भी बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए उनकी जान से खिलवाड़ करता है। वेडनसडे को पलटी बस भी जर्जर थी। एसओ शिवकुटी बीके सिंह ने बताया कि ड्राइवर मौके से भाग निकला। बस में कोई भी डॉक्युमेंट नहीं मिले हैं। उनके मुताबिक शुरुआती पड़ताल में पता चला है कि स्कूल बस महेंद्र नाम का ठेकेदार चलवाता था। किसी और से खरीदने के बाद उसने बस स्कूल से अटैच करा दी थी। बक्शी खुर्द और दारागंज एरिया के करीब 40 से ज्यादा बच्चे इस बस से स्कूल आते-जाते थे।

 हमारा कोई लेना-देना नहीं: प्रिंसिपल

खास बात ये है कि इस पूरे हादसे से स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन पूरी तरह पल्ला झाड़ रहा है। महर्षि पंतजलि विद्या मंदिर की प्रिसिंपल सुष्मिता कानूनगो कहती हैं कि यह बस स्कूल की नहीं थी। पैरेंट्स ने खुद मिलकर इसको हायर किया था। प्रिंसिपल ने इस बात से भी इंकार किया है कि बस फीस स्कूल में जमा होती है। उनका कहना है कि पैरेंट्स खुद ही ठेकेदार को ही फीस देते थे। उधर पैरेंट्स और शिवकुटी एसओ प्रिंसिपल की बात को ही झूठा बता रहे हैं। एसओ बीके सिंह ने बताया कि जितनी भी स्कूल बसें चलती हैं वे कहीं न कहीं स्कूल से ही अटैच होती हैं। ऐसे में स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन की पूरी रिस्पांसबिलिटी होती है कि बसों को क्रॉस चेक कराया जाए। बस की कंडीशन, ड्राइवर व क्लीनर का एक्सपीरियंस भी चेक किया जाना चाहिए। प्रिसिंपल ने तो यह भी कहा कि उनको इस बस के बारे में कोई जानकारी तक नहीं थी। वहीं एसओ ने कहा कि पुलिस भी इस मामले में बेहद सीरियस है। मामला सीधे बच्चों से जुड़ा हुआ है।

 

Posted By: Inextlive