- स्कूल बंद के आदेश के बाद भी खोले गए सिटी में स्कूल्स

- सिटी के पब्लिक स्कूल को सामने तो शासन के आदेश भी है एक तरफ

- खुले रहे स्कूल, डीएम के आदेशों को किनारे कर चलती रही पढ़ाई

Meerut : सिटी के पब्लिक स्कूलों के लिए तो डीएम के आदेश भी मायने नहीं रखते। ठंड से बच्चों को राहत दिलाने के लिए शासन ने ख्8 दिसंबर तक इंटर तक के सभी स्कूल्स बंद करने का दावा किया था। मगर बदकिस्मती से न तो डीएम का आदेश चल पाया है न ही प्रॉपर तरीके से स्कूल्स बंद हो पाए हैं। आदेशों को किनारे करते हुए पब्लिक स्कूल बुधवार को भी अपनी ही मनामनी करते रहे।

सिटी के बड़े स्कूल्स भी खुले रहे

सिटी के पब्लिक स्कूलों में कुछ ऐसे स्कूलों के नाम भी सामने आए जो डीएम के आदेशों को भी नहीं मान रहे थे। कंकरखेड़ा स्थित कृष्णा पब्लिक स्कूल, आर्मी स्कूल, किड्स प्ले स्कूल रोहटा रोड, इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल कैंट स्कूल, नेता जी सुभाष एकेडमी कृष्णा नगर तो पूरी तरह से खुले हुए थे। वहीं कुछ स्कूल्स जिनमें एमपीएस ग‌र्ल्स, जीटीबी, ऋषभ एकेडमी आदि स्कूलों में भी बड़ी क्लासेज के स्टूडेंट्स को स्कूल जाते हुए देखा गया।

ठंड में कपकपाते हुए पहुंचे स्कूल

ठंड में ठिठुरते हुए कंधों पर भारी बैग लिए नौनिहालों को सुबह-सुबह स्कूल जाना पड़ा। वहीं पेरेंट्स भी अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए पहुंचे हुए थे। बच्चों के चेहरों पर मायूसी और पेरेंट्स में नाराजगी दिखाई दे रही थी। पेरेंट्स के अनुसार सुबह सुबह बच्चों को स्कूल भेजने में काफी परेशानी होती है। पेरेंट्स का मानना था कि अगर ठंड में बच्चे बीमार पड़ जाएंगे या उन्हें कुछ हो जाता है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी।

एसएमएस के जरिए किया गुमराह

कुछ स्कूलों में तो पेरेंट्स को एसएमएस के जरिए गुमराह भी किया गया। स्कूल्स द्वारा पेरेंट्स को मोबाइल पर मैसेज डाला गया था कि आठवीं तक स्कूल बंद है, लेकिन हाईस्कूल इंटर को आना है। पेरेंट्स में इस मैसेज को लेकर भी असमंजस बनी रही कि आठवीं क्लास से बड़े बच्चों को स्कूल जाना है या नहीं।

एक्स्ट्रा क्लासेज का बहाना

स्कूलों को खोलने की बात से बचने के लिए स्कूल्स एक्स्ट्रा क्लासेज लगाने का बहाना बना रहे थे, जबकि शासनादेश अनुसार तो सीबीएसई, आईसीएसई और यूपी बोर्ड के इंटर तक के सभी स्कूल्स को सख्त रूप से बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। डीएम ने भी सभी स्कूलों ख्8 दिसंबर तक बंद करने का आदेश दिया है।

स्कूल्स तो किसी की भी नहीं सुनते हैं। भले ही सरकारी आदेश हो या फिर डीएम की घोषणा। पब्लिक स्कूलों को तो बस अपनी ही चलानी होती है।

अंकुर जैन, सदर

ठंड तो बच्चों को लगती है अगर बीमार भी होंगे तो बच्चे ही होंगे। स्कूल्स का क्या जाना है। उनको तो बस अपनी मनमर्जी चलाने की ही पड़ी है।

मोनिका, जेलचुंगी

मेरी बेटी आईपीएस में पहली क्लास में पढ़ती है। डीएम के आर्डर के बाद लगा कि चलो ठंड में बच्चों को राहत मिली है। मगर जब स्कूल में भेजना पड़ा तो पता लगा कि स्कूल्स के सामने किसी की भी नहीं चलती है।

पवन, रजबन

करें भी तो क्या करें हम तो केवल स्कूल्स से ही बात कर सकते हैं। जब स्कूल्स के सामने किसी अधिकारी की नहीं चलती तो फिर पेरेंट्स भी क्या कर लेंगे।

शर्मिला, रजबन

स्कूल्स की तो बहुत गलत बात है। वह केवल अपने ही नियमों का पालन करते हैं। स्कूल्स को डीएम या किसी शासन का भी कोई फर्क नहीं पड़ता है।

जसविंद्र सिंह, सदर

केवल एक्स्ट्रा क्लासेज थी

स्कूल बंद ही था केवल एक्सट्रा क्लासेज ही लगाई गई थी। बाकी स्कूल ने डीएम के आदेश का पूरी तरह से पालन किया है।

कपिल सूद, प्रिंसीपल, जीटीबी

हमारा स्कूल तो बंद ही किया गया है, केवल उन्हीं स्टूडेंट को स्कूल बुलाया गया था जो एक्स्ट्रा क्लास अटैंड करने आए थे। इसके अलावा तो सभी की छुट्टी थी।

मधु सिरोही, प्रिंसीपल, एमपीजीएस

Posted By: Inextlive