मानकों की 'परीक्षा' में स्कूली वाहन फेल
1100 स्कूली वाहन आरटीओ में है रजिस्टर्ड
90 फीसदी बसों में सीसीटीवी और जीपीएस नहीं मिले 25 प्रमुख सुरक्षा मानकों पर स्कूली वाहनों की हुई जांच 10 बजे से दोपहर तीन बजे तक आयोजित किया गया शिविर 120 वाहनों की फिटनेस जांच की गई 25 फरवरी तक का समय दिया गया स्कूली वाहनों को आरटीओ विभाग ने जांची स्कूल बसों की फिटनेस, जारी हुए नोटिस सीसीटीवी, जीपीएस, सीट बेल्ट नही, तो नही होगा बसों का संचालनMeerut। स्कूली वाहनों की फिटनेस को दुरुस्त करने के लिए आरटीओ ने रविवार को साकेत आईटीआई के मैदान पर फिटनेस चेकिंग शिविर का आयोजन किया। इस जांच अभियान में 25 प्रमुख सुरक्षा मानकों पर स्कूली वाहनों की जांच की गई। अधिकतर स्कूल वाहन पहुंचे ही नहीं। वहीं, स्कूली वाहनों में इमरजेंसी डोर जाम मिले तो सीट बेल्ट गायब मिली। सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस का मानक 90 प्रतिशत बसों में अधूरा मिला।
120 बसें ही आईआरटीओ मेरठ में 1100 स्कूली वाहन रजिस्टर्ड हैं। इससे अलग सैकड़ों वाहन बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। ऐसे में स्कूली वाहनों की फिटनेस जांच के लिए साकेत आईटीआई शिविर आयोजित किया गया। सुबह 10 बजे से आयोजित शिविर में दोपहर 3 बजे तक करीब 120 वाहनों की फिटनेस जांच की गई। अधिकतर वाहनों में सीसीटीवी, जीपीएस, सीट बेल्ट, फुट रैश और इमरजेंसी डोर की खामियां सामने आई। इस खामियों पर बस संचालकों को सुधार का समय दिया गया।
सीसीटीवी-जीपीएस पर विशेष नजर इस बार कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार स्कूली वाहनों में सीसीटीवी और जीपीएस अनिवार्य कर दिया गया है जबकि अधिकतर बसों में यह दो मानक पूरे नही हैं। ऐसे में फिटनेस चेकिंग अभियान में सभी बस संचालकों को सीसीटीवी लगाने और जीपीएस को अपडेट करने की चेतावनी दी गई। जबकि इसके अलावा बच्चों की हर सीट पर सीट बेल्ट की अनिवार्यता पर नोटिस जारी किया गया। नही खुला इमरजेंसी डोर निरीक्षण के दौरान खुद आरटीओ विजय कुमार ने एक स्कूल बस का इमरजेंसी डोर चेक किया तो डोर जाम मिला और काफी प्रयास के बाद भी डोर नही खुला। इमरजेंसी डोर की इस हालत पर आरटीओ ने नाराजगी जाहिर की। सभी बसों के इमरजेंसी डोर जांच करने और सही करने के आदेश दिए। एक्सपायर्ड मिली दवाईवहीं आरटीओ के निरीक्षण में एक बस में लगे फर्स्ट एड बॉक्स में एक्सपायर्ड दवाई मिली। जिस पर बस चालक को जमकर फटकार लगाई। सभी दवाइयों को तुरंत बदलने का आदेश दिया। इसके बाद बसों में लगे अग्निशमन यंत्र चेक किए गए।
25 फरवरी तक मिला समय निरीक्षण के दौरान वाहनों में जो कमियां मिली उनको दूर करने के लिए सभी स्कूल संचालकों को 25 फरवरी तक का समय दिया गया। इसके बाद भी यदि कमियां दूर नही होती हैं तो उनका परमिट निरस्त कर संचालन बंद करा दिया जाएगा। इसके साथ ही खुद आरटीओ की टीम स्कूलों में जाकर बसों की फिटनेस जांच करेगी। इन मानकों पर हुई जांच मानकों के अनुसार हर बच्चे की सीट पर सीट बेल्ट जरूरी बस में सीसीटीवी और जीपीएस होना चाहिए बस में दो आपातकालीन दरवाजे होने चाहिए। हर स्कूल बस का रंग पीला होना चाहिए। बस के आगे और पीछे स्कूल बस जरूर लिखा होना चाहिए। बस की रफ्तार चालीस किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए दरवाजों पर लॉक लगा हो, प्रेशर हॉर्न ना हो केबिन में बीआईएस मार्क अग्निशमन यंत्र हो सीएनजी वाहन में सिलेंडर के ऊपर सीट ना हो खतरे की चेतावनी वाली लाइट लगी हो अलार्म घंटी या सायरन लगा हो मेडिकल किट होनी चाहिए बस के पीछे आपातकालीन खिड़की हो बस के पीछे भी स्कूल का नाम और पता लिखा होना चाहिएचालक को कम से कम पांच साल का गाड़ी चलाने का अनुभव हो।
चालक शिक्षित और वर्दी में होना चाहिए, नेम प्लेट लगी होनी चाहिए। बसों की 25 प्रमुख सुरक्षा मानकों पर जांच की गई है। जो खामियां है उनके लिए समय दिया गया है। यदि इसके बाद भी मानक पूरे नही होते हैं तो बस संचालकों पर कार्रवाई होगी। विजय कुमार, आरटीओ