वंश का एडमिशन फस्र्ट क्लास में हो गया है. आजकल स्कूल जाने की तैयारी चल रही है. सोमवार को उसके लिए कॉपी-बुक्स बैग स्टेशनरी आदि खरीदी गई. वंश तो नई-नई चीजें देखकर खुश हो गया लेकिन पेरेंट्स को दाम सुनकर पसीने आ गए...

MEERUT : पांच साल के वंश का स्कूल में हो गया है। एक अप्रैल से स्कूल शुरू होने जा रहा है। सो आज सोमवार को वंश अपने पेरेंट्स के साथ सदर बाजार में एक बुक शॉप पर पहुंचा। वंश को स्कूल में किसी भी चीज के बारे में टोका जाए, ये उसे पसंद नहीं है।

815 की बुक्स
बुक डिपो पर पहुंचे वंश ने मासूम सी आवाज में सेल्स मेन से कहा, अंकल मेरी किताबें दे दो। पापा नवनीत ने फस्र्ट क्लास की बुक्स का सेट मांगा। सेल्स मेन से तुरंत पहले से तैयार दीवान पब्लिक स्कूल की किताबों का सेट लाकर दे दिया। कंपल्सरी  बुक और नोट बुक की कीमत 815 रुपए थी।

नया बैग चाहिए
इसके बाद वंश ने तपाक से कहा, पापा बैग भी तो चाहिए। मैं नए बैग के बिना स्कूल नहीं जाऊंगा। बेटे की फरमाइश पर वंश को बैग भी दिलाया गया। जो 300 रुपए का था। फिर शुरु हुआ डिमांड का सिलसिला बॉटल, ज्योमेट्री बाक्स, नेम स्लिप, स्टिकर, स्पार्कल पैन, कलर्स, कलर टेप, इरेजर्स का सेट सब कुछ मिलाकर हिसाब बैठा करीब 1700 का।

डिजाइनर पेंसिल भी
इसके बाद वंश की नजर शाप के शो केस में रखी डिजाइनर पेंसिल पर पड़ गई। उसने वही पेंसिल लेने की जिद पकड़ ली, जो 150 रुपए की थी। पापा की जेब हल्की हो गई। लेकिन वंश के चेहरे पर मुस्कान छा गई।

पापा लंच बाक्स भी चाहिए
अब वंश ने पूछा की पापा मेरी डे्रस कब आएगी। ड्रेस दिलाने के लिए पापा बगल की दुकान में उसे ले गए। फिर वंश की डिमांड पर नए ब्लैक एंड वहाइट शूज और सॉक्स दिलाने लिए के लिए अगली दुकान का रुख किया गया। शॉपिंग के बाद घर लौटते समय  वंश की नजर एक दुकान में रखे लंच बॉक्स पर टिक गई। फिर क्या था बेटे की ये डिमांड भी तत्काल पूरी करनी पड़ी। पापा नवनीत ने बताया कि पूरी शॉपिंग में करीब पांच हजार रुपए खर्च हो गए।

ताकि न हो प्रॉब्लम
पेरेंट्स को एट ए टाइम प्रॉब्लम ना हो और खरीददारी करते हुए कोई आइटम मिस ना हो जाए। इससे बचने के लिए बुक डीलर्स ने पहले से ही किताबों के बंडल और उन पर रेट लिस्ट लगा दी है। बंडल भी हर स्कूल और हर बोर्ड के हिसाब से तैयार किए गए हैं। आइडल बुक डिपो के सुधीर सलूजा का कहना है कि जैसे ही डिमांड आती है। तुरंत सेल्स मेन बंडल हाजिर कर देता है।

दुकानों पर लगा जमघट
सिटी में करीब दो सौ दुकाने है, जिन पर आज कल स्कूली बच्चों का जमघट लगा हुआ है। सभी जगह का नजारा लगभग एक सा है। और हर पेरेंट्स से कम से कम तीन-चार हजार रुपए वसूले ही जा रहे हैं।

हर साल बदल जाती हैं किताबें
पेरेंटस की जेब काटने के लिए स्कूलों ने एक और नया धंधा शुरु किया है। हर साल स्कूल या तो बुक के राइटर या फिर पब्लिशर बदल देते हैं। जिससे अगली क्लास में जाने वाले स्टूडेंट्स सेकेंड हैंड बुक्स खरीद नहीं पाते और चाहे किसी की जेब अलाउ करे या ना करे उन्हें नई किताबें ही खरीदनी पड़ती है।

स्कूल से भी मिल रही किताबें
कई प्राइवेट स्कूलों ने दुकानों से सेटिंग कर ली है। या फिर वो अपने स्कूल से ही बुक्स, कॉपी, बेल्ट, शूज वगैरह इशू करते है। जिसके पैसे बकायदा एडमिशन के टाइम पर ही वसूल कर लिए जाते है।

स्कूल में जमा होंगी
सिटी के कुछ स्कूलों ने रूल बना दिया है कि पेरेंट्स बुक्स का सेट, जिसमें पेंसिल वगैरह सब कुछ होगा। स्कूल में पहले दिन ही जमा कर देंगे। जिसके बाद साल भर बच्चे को पेंसिल, इरेजर या कॉपी जैसे आइटम के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। अगर बच्चे को जरूरत पड़ती है तो स्कूल ये सभी आइटम खुद अरेंज करके बच्चों को देगा।
रेट लिस्ट
क्लास - रेट
1 - 815
2 - 862
3 - 1091
4 - 1139
5 - 1168
6 - 1433
7 - 1505
8 - 1604
(ये रेट दीवान पब्लिक स्कूल की सिर्फ कंपलसरी बुक्स और कापी के हैं। सोर्स : आइडल बुक डिपो)
एडमिशन से लेकर अभी तक का सारा खर्च करीब 7500 रुपए बैठ गया है। लेकिन जो कुछ खरीदा है बेटे की पसंद का ही है।
नवनीत, पेरेंट
बेटे की बुक्स और ड्रेस ही करीब 3000 रुपए की आई है। इसके अलावा एडमिशन में भी करीब 5 हजार रुपए का खर्चा आया। और साल भर की फीस अलग है।
परवीन चौधरी, पेरेंट

Posted By: Inextlive