Meerut : आपको शायद याद हो सुप्रीम कोर्ट ने दो साल पहले निजी स्कूलों को गरीब बच्चों के लिए 25 प्रतिशत नि:शुल्क एडमिशन का आदेश दिया. साथ ही नजर रखने के लिए सरकारी मशीनरी को भी दिशा निर्देश जारी किए थे लेकिन गरीब के हित में दिए गए कोर्ट का आदेशों का पालन किसी भी स्कूल में होता नहीं दिखा. कुछ ऐसी ही सच्चाई आईनेक्स्ट की टीम आपके सामने रख रही है.


ब्लैक है व्हाईट स्कूलों का सच सुप्रीम कोर्ट ने तो 25 प्रतिशत कोटे के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले बच्चों को शिक्षा का अधिकार दे दिया। पर सिटी के ही पब्लिक स्कूल इस फैसले किस तरह से अवेहलना कर रहे हैं। यह तो शुक्रवार को आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन से साफ हो गया। टीम ने यह देखने के लिए एक बुजुर्ग को उसकी पोती के साथ सिटी के टॉप फोर स्कूलों में एडमिशन के लिए भेजा, लेकिन स्कूलों से उसे केवल नो, नहीं, न के अलावा कुछ नहीं मिला।  दीवान पब्लिक स्कूल, समय: सुबह 10:10 बजेआईनेक्स्ट टीम दीवान पब्लिक स्कूल पहुंची। यहां एक बुजुर्ग गार्जियन ने अपनी 7 साल की पोती के एडमिशन के बारे में जानकारी मांगी। अब बदले में उन्हें क्या मिला, बताते हैं। चौकीदार- अरे कहां घुसे जा रहे हो


बुजुर्ग - हमें अपनी पोती का दाखिला करवाना है। प्रिंसीपल साहब से मिलना है।  चौकीदार- अरे फॉर्म भरा था क्या बुजुर्ग- अरे साहब हमको नहीं पता फॉर्म का, लेकिन हमें तो अपनी पोती को पहली कक्षा में पढ़ाना है। हम ने  सुना है फ्री में एडमिशन हो सकता है।

चौकीदार- साहब यहां है नहीं, फॉर्म खरीदने की डेट निकल गई है। फ्री में यहां नहीं पढ़ाया जा सकता है। समझे और अब चले जाओ। सुबह 11:30 बजे सोफिया गर्ल्स स्कूलयहां भी चौकीदार उस बुजुर्ग की बात तक सुनना ठीक न समझा। बुजुर्ग- मुझे अपनी पोती का दाखिल करवाना है। मैडम से मिलना है। चौकीदार- अभी मैडम अंदर नहीं है। पहले मैडम से मिलना पड़ेगा वो फॉर्म भरने को कहेंगी तो ही भरा जाएगा। बुजुर्ग- पर मेरे पास तो पैसे नहीं है। और मैने सुना है कि  बिना पैसों के दाखिला होता है। चौकीदार- अरे बताया तो, मैडम नहीं है और बिना पैसों के दाखिला नहीं होता है। बुजुर्ग- साहब एक बार अंदर बुला लो।चौकीदार- कहां तो वापस जाओ या फिर प्रिंसीपल मैडम से ही बात करना.   सेंट जोंस पब्लिक स्कूल, समय सुबह 11:15 बजे सेंट जोंस स्कूल में जरूर कायदा दिखाया गया। एडमिशन के लिए पहुंचे बुजुर्ग को बकायदा चौकीदार ने अंदर आने दिया, वहां मौजूद क्लर्क से भी मिल पाए।  क्लर्क: जी बताइए, क्या काम है?बुजुर्ग: जी मुझे अपनी पोती का दाखिला फस्र्ट क्लास में कराना है। मैंने सुना है कि फ्री में दाखिला हो सकता है।  क्लर्क: नहीं जब ये इंग्लिश ही नहीं समझ पा रही है तो कैसे यहां पढ़ पाएगी। अच्छा है आप बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाओ।

इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, समय दोपहर 12:00 बजे इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के भी क्लर्क ने बुजुर्ग को पाठ पढ़ा दिया। जिसके बाद यहां भी बुजुर्ग को कंधे झुकाए वापस लौटना पड़ा।क्लर्क: जी बताइए बाबा क्या कहना है?बुजुर्ग: मुझे अपनी पोती का एडमिशन कराना है। क्लर्क: अभी कहां पढ़ रही है ये?बुजुर्ग: ये पढ़ती नहीं है, लेकिन अब मैं इसे पढ़ाना चाहता हूं। क्लर्क: देखिए, ये अभी नहीं पढ़ सकती है, इंग्लिश भी इसे नहीं आती तो ये कैसे यहां पढ़ेगी।बुजुर्ग: फिर यहां कैसे एडमिशन हो पाएगा?क्लर्क: देखिए आपको इसे हिंदी मीडियम में पढ़ाना होगा, तभी ये आगे पढ़ सकती है। यहां पढ़ाना तो मुमकिन नहीं है। नहीं है पिछले साल का रिकॉर्ड पिछले साल का रिकॉर्ड पूछने पर भी स्कूलों के पास कोई भी जवाब नहीं था। सभी स्कूलों ने पिछले साल के रिकॉर्ड की बात को टालमटोल करते हुए इस तरह के बच्चे न होने की बात कही। यानि सिटी के सभी स्कूल पिछले साल भी एडमिशन के नाम पर जीरो ही रहे है। क्या कहते है स्कूल
अभी तक इस तरह के पेरेंटस नहीं आए। और अगर इस तरह के पेरेंटस एडमिशन के लिए आते है। तो स्कूल में उनके साथ अच्छे से बात की जाएगी। एचएम राउत, प्रिंसीपल दीवान पब्लिक स्कूलपता नहीं पिछले साल का रिकॉर्ड। यह तो सिस्टर मैरी ही बता पाएंगी  वो तो अभी आउट ऑफ स्टेशन है। 15 जनवरी को ही स्कूल आकर मिल लेना।  अखिलेश मिश्रा, सोफिया पे्रस प्रवक्ता इसके बारे में तो कुछ भी नहीं पता आपको मैडम ही बता पाएंगी। अभी मैं इस बारे में कुछ नहीं बता सकता। मिल्खा सिंह, स्कूल टीचर सेंट जोंस स्कूल हमारे पास वैसे ही काफी केस कंसेशन में होते हैं। बाकी उस कोटे के तहत तो अभी तक कोई एडमिशन नहीं हुआ है। भूपेंद्र सिंह, प्रिंसीपल इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल कैंट क्या कहते है अधिकारी पिछले साल भी इस विषय में पब्लिक स्कूलों की एडीएम सिटी और डीएम ने दो से तीन बार बैठक ली थी। स्कूलों को एडमिशन के लिए कहा भी गया था। इस साल भी इस सिलसिले में बैठक ली जाएगी। शिव कुमार ओझा,डीआईओएस हमारे पास पिछली बार का ऐसा कोई रिकार्ड किसी भी स्कूल से नहीं है। अभी तक इस तरह से निजी स्कूलों की कोई सूचना नहीं मिल पाई है। जीवेंद्र सिंह ऐरी, बेसिक शिक्षा अधिकारी

Posted By: Inextlive