कुल 854 में 210 अनफिट वाहन से लाए और ले जाए जा रहे हैं बच्चे

सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन को भी जिम्मेदार दिखा रहे हैं ठेंगा

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ALLAHABAD: यदि आप के लाडले किसी स्कूल के बस से पढ़ने जाते हैं तो सतर्क हो जाएं। क्योंकि अधिकांश स्कूलों के बसों की कंडीशन ठीक नहीं है। आए दिन कहीं न कहीं स्कूली बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें आ रही हैं। इन हादसों में छात्र व छात्राओं की जानें भी जा रही हैं। बावजूद इसके स्कूलों के प्रबंधतंत्र से जुड़े लोग इन हादसों से सबक नहीं ले रहे हैं। प्रबंधतंत्र द्वारा ध्यान न दिए जाने की वजह काफी हद तक प्रशासनिक अधिकारी भी हैं। अधिकारी स्कूलों की बसों में निर्धारित सुरक्षा के मानकों की जांच करना मुनासिब नहीं समझ रहे। ऐसे में तमाम स्कूलों के द्वारा खटारा व असुरक्षित बसों से बच्चों को घर से स्कूल व स्कूल से घर तक छोड़ा जा रहा है। जो खतरे से खाली नहीं है।

वाहन में क्षमता से अधिक बच्चे

एक मैजिक वैन में आठ बच्चों के बैठने की जगह बताई जाती है। लेकिन, वाहन चालक 18 से 20 छात्र व छात्रों को भूसे की तरह ठूंस कर बैठा लेता है। इसकी वजह यह है कि चालक को स्कूल बच्चों के हिसाब से पेमेंट करता है। कमोवेश यही स्थिति स्कूली बसों में भी दिखाई देती है। बसों में भी सीट की क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए जा रहे हैं। बच्चों की जान को जोखिम में डालने वाली इन स्कूली बसों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। लाडले को अच्छी तालीम देने की चाह में तमाम अभिभावक बच्चों की सुरक्षा को लेकर सजगता नहीं दिखा रहे हैं। सभी की आंखे तब खुलती है जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है।

वन थर्ड स्कूली वाहन खटारा

जिले के निजी स्कूलों में लगी ज्यादातर बसें खटारा हो चुकी हैं। इनमें मानक भी पूरे नहीं हैं। बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के ही वे वाहन दौड़ रहे हैं, जो अक्सर दुर्घटना का सबब बन जाती हैं। पुलिस, प्रशासन या फिर एआरटीओ विभाग की नजर इन पर नहीं है। अभिभावक बड़ी रकम खर्च करके बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे हैं। जिनमें से अधिकतर बच्चे स्कूली वाहनों से आते जाते हैं। ज्यादातर स्कूल प्रबंधन बिना ट्रांसपोर्ट परमिट के बच्चों को लाने ले जाने का काम कर रहे हैं।

पिछले साल दी गई नोटिस

बढ़ते हादसों को देखते हुए पिछले साल संभागीय परिवहन विभाग के प्रशासनिक अधिकारी एके सिंह ने सभी स्कूल संचालकों को नोटिस भेजी थी। वाहनों के फिटनेस से संबंधित उनसे जवाब मांगे थे। उनके द्वारा भेजी गई इस नोटिस को कुछ ही स्कूल संचालकों ने गंभीरता से लिया। कुछ ने तो जवाब देते हुए वाहनों के फिटनेस को दुरुस्त करा लिया। मगर ज्यादा ऐसे वाहनों की संख्या सामने आई जिनके फिटनेस समाप्त हो गए है और वह आज भी रोड बच्चों को लाने और ले जाने का काम कर रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन

- बस पीले रंग से पेंट होनी चाहिए।

-आगे और पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए।

-खिड़कियों में शीशे और लोहे की रॉड लगी होनी चाहिए।

-अग्निशमन यंत्र लगा होना चाहिए।

-स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना चाहिए।

-स्कूल बसों का ट्रांसपोर्ट परमिट होना चाहिए।

-बस में फर्स्ट एड बॉक्स होना चाहिए।

-बच्चों को चढ़ाने एवं उतारने के लिये स्कूल का एक सहायक या सहायिका भी हो।

-बस के दरवा•ो ठीक से बंद होने चाहिए और चलती बस का दरवा•ा लॉक हो।

-स्कूल बस की स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

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फिटनेस फीस

-तिपहिया या चार पहिया-हस्तचालि चार सौ रुपए।

-तिपहिया या चार पहिया-स्वचालित-छह सौ रुपए।

-मध्यम या भारी वाहन-हस्तचालित-छह सौ रुपए।

मध्यम या भारी वाहन-स्वचालित-एक हजार रुपए।

बाक्स

स्कूल में अटैच वाहन व कंडीशन

-सभी प्रकार के वाहन मिलाकर-854

-644 वाहनों की फिटनेस है सही।

-210 वाहनों की फिटनेस सीमा समाप्त।

छोटे वाहनों की संख्या-488

फिट वाहनों की संख्या-300

पिछले साल की गई कार्रवाई-258

वर्जन

विभाग द्वारा अभियान चलाकर स्कूली वाहनों पर कार्रवाई की जाती है। पिछले साल जिले के सभी स्कूल संचालकों को नोटिस भेजी गई थी। जल्द ही फिर से उन्हें नोटिस भेजी जाएगी।

एके सिंह, प्रशासनिक अधिकारी

Posted By: Inextlive