लंदन में साइंटिस्टि्स ने लैब में दुनिया के पहले इंसानी अंडाणु को विकसित करने का नया कारनामा कर दिखाया है। यह सफलता विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है।

साइंस की दुनिया की एक बड़ी उपलब्धि

लंदन के वैज्ञानिकों ने पहली बार प्रयोगशाला में मानव अंडाणु को पूरी तरह विकसित करने में सफलता हासिल कर ली है। उन्होंने ओवरी (गर्भाशय) के टिश्यू की मदद से बनाए अंडाणुओं को प्रारंभिक अवस्था से लेकर पूर्ण अवस्था तक विकसित किया गया है। बता दें कि अभी तक यह प्रयोग सिर्फ चूहों के मामले में ही सफल हो सका था। मोलेक्युलर ह्यूमन रीप्रोडक्शन जर्नल में प्रकाशित इस शोध में ब्रिटेन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कहा कि इससे बांझपन की समस्या को दूर करने के लिए नए उपचार के विकास का रास्ता खुल सकता है। इससे पहले वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में चूहों के अंडाणुओं को पूरी तरह विकसित करने में सफलता पाई थी।

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बांझपन का इलाज अब होगा आसान और इफेक्टिव

एडिनबर्ग के दो शोध अस्पतालों और न्यूयॉर्क के सेंटर फॉर ह्यूमन रीप्रोडक्शन के वैज्ञानिकों ने यह सफलता पाई है। उन्होंने पहली बार मानव शरीर से बाहर प्रयोगशाला में प्रारंभ से पूर्ण अवस्था तक मानव अंडाणु विकसित किए। इस रिसर्च से जुड़े एक वैज्ञानिक एवलिन टेलफर ने कहा, 'लैब में पूर्ण मानव अंडाणु के विकास से बांझपन दूर करने के मौजूदा उपचार का विस्तार हो सकता है। अब हम उन अनुकूल स्थितियों पर काम कर रहे हैं जिससे अंडाणु के विकास में मदद मिलती है। 'इस शोध की सफलता के बाद तमाम विशेषज्ञों ने कहा है कि इससे न सिर्फ मानव अंडाणु के विकास को समझने में मदद मिल सकती है बल्कि यह उन महिलाओं के लिए भी उम्मीद की नई किरण हो सकती है जिन्हें कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के चलते मां बनने में दिक्कतें पेश आ रही हैं।

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Posted By: Chandramohan Mishra