मलेशिया के लापता विमान एमएच370 का सर्च अभियान जारी है. अब तक इसमें 250 करोड़ रुपये से ज्‍यादा खर्च हो चुके हैं. इस सर्च ऑपरेशन में आठ देशों की एक संयुक्‍त टीम लगी है. यह विमान कुआलालांपुर से बीजिंग की उड़ान पर था. वह 8 अप्रैल से ही लापता है. इसमें 152 चीनी और पांच भारतीयों सहित 14 देशों के 227 नागरिक सवार थे.


मानवरहित सबमरीन के डाटा से उम्मीदसर्च अभियान में लगे ऑस्ट्रेलियाई नेवी के पोत ओशियन शील्ड से मानवरहित ब्लूफिन21 मिनी सबमरीन लांच की गई. यह सबमरीन सोनार और कैमरे से लैस है, जो समुद्र की गहराइयों में किसी वस्तु को खोजने में उपयुक्त है. रोबोटिक सबमरीन अपने मिशन से वापस आ चुकी है. अब इसके आंकड़ों का विश्लेषण करना है.विशेष जहाजों से खंगाल रहे हैं समुद्रइस अभियान में दो विशेष जहाजों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इनमें आस्ट्रेलियन नेवी का ओशन शील्ड और यूनाइटेड किंगडम का एसएमएस ईको शामिल है. ये जहाज समुद्र में किसी वस्तु की तलाश के लिए तैयार किए गए हैं. लापता विमान के ब्लैक बॉक्स से निकलने वाली अल्ट्रासॉनिक पिंग्स को कैप्चर करने के लिए इन जहाजों को खास तौर पर विशेष अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है.टीपीएल भी आजमा चुके हैं


टीपीएल यानि टोड पिंग लोकेटर. यह उपकरण आस्ट्रेलियन नेवी के जहाज ओशन शील्ड में लगाया गया था. यह उपकरण किसी भी हाइड्रो सोनिक को ट्रैक करने में सक्षम है. इसके लिए इस उपकरण में हाइड्रो फोन का इस्तेमाल किया गया था, जो पानी में हल्की से हल्की आवाज ट्रैक कर सकता है. उम्मीद थी कि यह लापता विमान के ब्लैक बॉक्स से पिंग हो रही आवाज को सुन लेगा लेकिन निराशा हाथ लगी.मिलिट्री एयरक्राफ्ट से सतह पर नजरलापता विमान के खोजी मिश्ान में विभिन्न देशों के मैरीटाइम सर्विलांसिंग विमानों का भी इस्तेमाल किया गया. इसमें यूएस नेवी का पी8 पोसिडन, जापान का पी3 ओरियन, चीन के दो इल्यूजन आईएल76एस, मलेशिया के दो सी130 हरक्यूलिस शामिल हैं. न्यूजीलैंड और साउथ कोरिया के विमान भी इस मिशन में हैं.पी3 ओरियन बोले तो समुद्र की सर्विलांसिंगयीएस नेवी का समुद्री सर्विलांसिंग एयरक्राफ्ट पी3 भी इस अभियान में लापता विमान की तलाश कर रहा है. इसमें समुद्री सतह पर विमान के अवशेष को डिटेक्ट करने के लिए रडार और इंफ्रारेड सेंसर्स लगाए गए हैं. इसके अलावा इसमें लैंडिग गियर के नीचे तीन कैमरे भी लगाए गए हैं. इनकी मदद से जूम इन करके क्लोज़र लुक की तस्वीर भी खींची जा सकती है. इसमें समुद्री सतह से 1000 फीट नीचे की साउंड को डिटेक्ट करने के लिए एकाउस्टिक डिटेक्टर लगाए गए हैं.खोजी दलों की मदद में लगा इल्युजन आईएल76

इस विमान में चार इंजन है. इन्हें दूरस्थ इलाकों में भारी-भरकम मशीनरी ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस प्लेन की खास बात है कि यह किसी कच्चे रनवे से उड़ान भर सकता है. इसके अलावा इनका इस्तेमाल किसी मानवीय या नैचुरल आपदा से उबरने के लिए भी किया जाता है.समुद्र का चप्पा-चप्पा छान रहा सी130 हरक्युलिसयह कुछ हद तक इल्युजन आईएल76 की तरह ही. इसमें भी चार इंजन लगे हैं. इनका मुख्य काम समुद्र सर्विलांसिंग का है. यह एकमात्र विमान है जो 50 वर्षों से अधिक समय से सेवा में है. इसे लॉकहीड मार्टिन द्वारा डिजायन और निर्मित किया गया था.भारतीय नौसेना का टोही विमान पी8आई विमान से तलाशभारतीय नौसेना के शक्तिशाली टोही विमान पी8आई और वायुसेना के सी130जे हरक्युलस विमान को लापता विमान के खोजी अभियान में मदद देने के लिए भेजा गया. इस अभियान में शामिल भारतीय टोही विमान दुनिया की सबसे ताकतवर टोही प्रणाली से लैस हैं. दोनों विमानों में अत्याधुनिक इलेक्ट्रो ऑप्ट्रोनिक और इनरेड सर्च एंड रिकॉनसंस प्रणाली लगी है.एचएमएस टायरलेस पनडुब्बीयह पनडुब्बी यूनाइटेड किंगडम की रॉयल नेवी का इक्युपमेंट है. इसे मार्च 1984 में लांच किया गया था. इसमें हाईटेक अंडरवाटर डिटेक्टिंग सिस्टम लगा है. इससे समुद्र तल की लोकेशन मापी जा सकती है. मलेशियन विमान की खोज के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया.बर्फ तोड़कर खोज के इंतजाम ज़्यू लांग

यह एक चाइनीज़ जलयान है. यह जमे हुए बर्फ को तोड़ने में सक्षम है. इस पोत को दक्षिणी इलाके में जमे हुए समुद्री सतह में खोज के लिए लगाया गया है. 167 मीटर लंबे इस जलयान में 100 स्क्वॉयर मीटर का लैब स्पेस है. यह एक समय में 128 रिसर्चर्स को ले जा सकता है. यह एक रिसर्च शिप है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh