आगरा। यूनिवर्सिटी एग्जाम के बाद फेल-पास के खेल में कॉकस सक्रिय हो जाता था। सेटिंग के चलते मा‌र्क्स भी बढ़वा लिए जाते थे। किसी भी लेवल पर मामला पकड़ में नहीं आ सके, इसके लिए चालाक शिक्षा माफिया मूल्यांकन के समय ही खेल करा लिया करते थे। लेकिन, अब ऐसा नहीं हो सकेगा। यूनिवर्सिटी ने नया सिस्टम लागू कर दिया है।

कॉपी पर कोडिंग

यूनिवर्सिटी के एग्जाम चल रहे हैं। उधर, रिजल्ट भी तय समय सीमा में निकालने के आदेश हैं। ऐसे में एग्जाम के साथ ही साथ मूल्यांकन कार्य कराए जाने को लेकर यूनिवर्सिटी खासी गंभीर है। इसबार मूल्यांकन के दौरान भी खासी सावधानी बरती जा रही है। यूनिवर्सिटी में सक्रिय दलाल मूल्यांकन के समय मनमाफिक मा‌र्क्स नहीं बढ़वा सकें, इसी को लेकर इस बार कॉपी पर कोडिंग कराई जा रही है। मूल्यांकन केंद्र पर कॉपी पहुंचने से पहले ही कॉपी पर कोडिंग की जा रही है।

हटाया जा रहा है पेज

इनदिनों खंदारी कैम्पस के सेठ पदम चन्द इंस्टीट्यूट में बीकॉम वोकेशनल की कॉपी जांची जा रही हैं। इस सत्र एग्जाम में जो कॉपी एजेंसी द्वारा मूल्यांकन के लिए केंद्र पर भेजी जा रही है, उनके ऊपर का पेज हटा दिया जा रहा है। पेज के इस हिस्से पर कॉलेज और स्टूडेंट्स के रोल नंबर का उल्लेख होता है। मूल्यांकन के लिए बनाए गए सहायक को-ऑर्डीनेटर डॉ। एन्ड्रयू प्रकाश के अनुसार कॉपी में की जाने वाली गड़बडि़यों को रोकने के मद्देनजर ऐसा किया गया है।

मा‌र्क्स के नाम पर नहीं होगा खेल

डॉ। एन्ड्रयू प्रकाश का कहना है कि कॉपी पर कोडिंग सिस्टम का उद्देश्य कॉकस की जुगाड़बाजी को फेल करना है। पहले यूनिवर्सिटी में सक्रिय दलाल स्टूडेंट्स को पास कराने के लिए ठेका ले लिया करते थे। कॉपी में मा‌र्क्स बढ़वाने पर स्टूडेंट्स सबसे ज्यादा भरोसा करते थे। इसी के नाम पर दलाल स्टूडेंट्स से रकम की वसूली कर लिया करते थे। कोडिंग सिस्टम को लेकर अवेयरनैस के बाद यह गंदा खेल बंद हो सकेगा।

Posted By: Inextlive