शुक्र है कि कुछ हुआ नहीं!
- सोनिया गांधी के रोड शो में सिक्योरिटी की कमी ने लोगों को चौंकाया, एसपीजी की व्यवस्था के बीच पूरे रोड शो में नहीं दिखी पुलिस
- आतंकी संगठन आईएस के देश के किसी बड़े नेता को टारगेट बनाने का मिला है इनपुट 1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ सत्ता में होने और सत्ता से दूर होने का अंतर क्या होता है शायद इसका एहसास कांग्रेस को मंगलवार को हुए रोड शो के दौरान हुआ होगा। जिस तरह से सोनिया गांधी की सुरक्षा को लेकर उपेक्षा बरती गयी और पुलिस पूरे रोड शो से दूर रही उससे ये साफ हो गया है कि प्रशासन ने सोनिया गांधी की सुरक्षा को गंभीरता से लिया ही नहीं। वो तो शुक्र है कि सब कुछ ठीक ठाक बीत गया वरना प्रशासन ने तो सारे रास्ते खोल रखे थे। दावा था बड़ा बड़ासोनिया गांधी की सुरक्षा को लेकर तैयारी कई दिन पहले से चल रही थी। वीआईपी मूवमेंट के तीन दिन पहले ही एसपीजी ने सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल ली थी। उसने लोकल पुलिस को अपने लेवल पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत रखने को कहा था। इसके लिए दावा था कि एक हजार कांस्टेबल, 200 से ऊपर दरोगा, दो दर्जन से ज्यादा सीओज और 20 से ज्यादा एएसपीज समेत तीन कम्पनी पीएसी को सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दावा ये भी था कि रोड शो के रास्ते में हर चप्पे चप्पे पर फोर्स रहेगी लेकिन ऐसा कहीं भी दिखा नहीं और पूरे रोड शो के दौरान सोनिया गांधी सिर्फ एसपीजी की ही सुरक्षा घेरे में ही दिखीं जबकि सोनिया के अगल बगल और आगे पीछे पुलिस की भी मौजूदगी होनी थी। फिर भी ऐसा नहीं हुआ।
कई बार टूटा सुरक्षा घेरा यही वजह रही कि सोनिया गांधी का सुरक्षा घेरा रोड शो के दौरान कई बार टूटा। वीआईपी फ्लीट में कई बाहरी वाहन आते जाते रहे और इनको रोकने वाला कोई नहीं था। ये हाल तब है जब पिछले दिनों आईबी ने आतंकी संगठन आईएस और आईएसआईएस के निशाने पर मोदी, सोनिया समेत कुछ बड़े नेताओं के होने की आशंका जताई थी। हर मोर्चे पर दिखी ढिलाई - आठ किमी लंबा था रोड शो - सर्किट हाउस से लहुराबीर तक हुआ था रोड शो - कई हजार लोगों की थी भीड़ - शहर के बिजी इलाकों से होकर गुजरा था रोड शो - एसपीजी की सिर्फ दो टीम थी सुरक्षा में - लोकल पुलिस संग बाहर की फोर्स लगाने का था दावा पर साबित हुआ थोथा- दूर दूर तक नहीं थी पुलिस, हर कोई पहुंच रहा था सोनिया तक
- इस वजह से विशेश्वरगंज में लोगों की भीड़ सोनिया तक पहुंची और एक फोटो तक दे दी - इसके अलावा रास्ते में लोग माला पहनाते और हाथ मिलाते भी देखे गए - ये लापरवाही तब जब राजीव गांधी की हत्या ऐसी ही भीड़ में हुई थी - जिसके बाद सोनिया गांधी तक हर किसी को न पहुंचने देने की है सख्त हिदायत