- कैंपस में नहीं हैं सिक्योरिटी के कोई पुख्ता इंतजाम

- कैंपस में ड्यूटी से गायब रहते हैं सिक्योरिटी गा‌र्ड्स

- सिर्फ नाम के लिए लगे है कैंपस में 14 कैमरे

- आम स्टूडेंट्स में फैल रहा दहशत का माहौल

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : शुक्रवार को कैंपस में स्टूडेंट्स के चेहरों पर गुरुवार को हुई की संख्या को देखकर साफ अंदाजा फायरिंग का खौफ साफ नजर आया। वहीं यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन के रवैया अभी भी पहले जैसा है। सिक्योरिटी गा‌र्ड्स अपनी जगहों से गायब मिले। एंट्री गेट पर तैनात गार्ड और पुलिस भी अपनी मस्ती में। कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, कोई मतलब नहीं। सीसीटीवी कैमरों का हाल भी मत पूछिए। महज शोपीस। फिर सवाल यह है कि आखिर कैंपस में वेपन क्यों न आएं?

एंट्री गेटों पर चेकिंग नहीं

अगर बात कैंपस में एंट्री गेटों से शुरू करें तो एंट्री करने वाले किसी भी स्टूडेंट या आदमी की कोई चेकिंग नहीं होती है। कैंपस में एंट्री के लिए तीन गेट हैं। पहला मेन गेट, दूसरा सरछोटू राम इंस्टीट्यूट गेट और तीसरा आवासीय गेट। तीसरा गेट हमेशा बंद रहता है, जिसका कोई भी आसानी के साथ यूज कर सकता है। उनके पास क्या है, कोई चेक नहीं करता। इन दोनों गेटों पर सेक्योरिटी चेक लिए मेटल डिडेक्टर गेट तक नहीं लगे हुए है। ताकि कोई स्टूडेंट या बाहरी आदमी वेपन लेकर जा रहा है तो उसे ट्रेस किया जा सके।

गा‌र्ड्स ड्यूटी से गायब

किसी घटना को रोकने, बंद करने और कैंपस के अंदर विभिन्न स्थानों को सिक्योरिटी कंफर्म करने के लिए गा‌र्ड्स लगाए जाते हैं। बकौल यूनिवर्सिटी रिकॉर्ड ख्ब् घंटों में 8-8 घंटे तीन शिफ्टों में टोटल क्भ्0 गा‌र्ड्स ड्यूटी कर रहे हैं। सच्चाई इससे कोसों दूर है। पूरे कैंपस का राउंड लगाकर देकर देखा जाए तो लाइब्रेरी और एडमिन ब्लॉक को छोड़कर कहीं भी गा‌र्ड्स दिखाई नहीं देंगे। अगर गा‌र्ड्स अपना काम मुस्तैदी से कर रहे होते तो फायरिंग करने वालों को आसानी से पकड़ा जा सकता था।

सिर्फ नाम के कैमरे

सीसीटीवी कैमरों का तो हाल ही बुरा है। यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की माने तो पूरे कैंपस में कुल मिलाकर अलग-अलग ब्लॉक में कुल क्ब् कैमरे लगाए गए हैं। जिनका होना और न होना बराबर ही है। बीटेक सेकंड ईयर के स्टूडेंट कुबेर शर्मा की मानें तो इन कैमरों का कोई मतलब नहीं है। जो इनमें रिकॉर्ड होता है उसकी विजीबिलिटी का लेवल काफी खराब है। अगर कोई कैमरे के नीचे भी आ जाए तो भी कैमरे उसकी पिक्चर क्लियर नहीं कर पाएंगे। इसके बारे में कई बार वीसी को कहा जा चुका है। वहीं बीटेक के ही फोर्थ ईयर के स्टूडेंट राजदीप विकल की मानें तो हमने तो कैमरों के बजट के अलावा इनकी क्वालिटी के बारे में आरटीआई तक दी हुई है। आज तक कोई जवाब नहीं मिला है।

हॉस्टलों में रुटीन चेक नहीं

अब बात आती है हॉस्टल्स की। कैंपस में टोटल म् हॉस्टल्स हैं, जिनमें फ् हॉस्टल्स ब्वायज, दो ग‌र्ल्स और एक हॉस्टल स्पो‌र्ट्स कोटे के स्टूडेंट्स के लिए है। पास्ट में यही हॉस्टल कैंपस में लफड़ों की वजह बने हैं। सूत्रों की मानें तो इन हॉस्टल में उपद्रवी स्टूडेंट्स के पास वेपन भी रखे हुए हैं। जब भी कोई बवाल करना होता है तो हॉस्टल में छिपे हुए वेपन का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बावजूद हॉस्टल में रुटीन चेक नहीं है। हां, वारदात के बाद दिखाने के लिए चेकिंग जरूर होती है। गुरुवार देर रात को फायरिंग की घटना के बाद सभी हॉस्टल चेक हुए, जिनमें से दो बाहरी लड़कों को डिटेक्ट किया गया। सवाल ये है कि आखिर रुटीन जांच क्यों नहीं होती?

एडमिनिस्ट्रेशन का डर नहीं

अब सवाल ये है कि आखिर इस तरह के इंसीडेंट क्यों न हों? इस बात को कोई मना नहीं कर सकता है कि मजबूत व्यवस्था और एडमिनिस्ट्रेशन के आगे हर कोई हथियार डाल देता है। लेकिन यूनिवर्सिटी में ये बात पूरी तरह से उल्टी है। यहां एडमिनिस्ट्रेशन का कोई डर नहीं है। इसका एकमात्र कारण मजबूत व्यवस्था कायम न कर पाना है। ये बात सिक्योरिटी के साथ-साथ एडमीशन प्रोसेस, एग्जाम प्रोसेस और रिजल्ट प्रोसेस पर भी लागू होती है। यूनिवर्सिटी इन सभी में काफी पीछे है। इस कारण से कोई स्टूडेंट एडमिनिस्ट्रेशन को अपनी नोक पर समझता है।

बॉक्स

लगता है इमेज को बट्टा

वैसे यूनिवर्सिटी में गुरुवार को जो हुआ वो कोई नई बात नहीं है। कैंपस में पहले भी फायरिंग की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन ये मामला इसलिए बड़ा था क्योंकि फायरिंग छात्रसंघ के अध्यक्ष पर हुई थी। इन बातों से यूनिवर्सिटी की इमेज को नुकसान पहुंचा है।

कॉमन स्टूडेंट दहशत में

कॉमन स्टूडेंट की बात करें तो वो भी इस घटना के बाद से काफी दहशत में आ गए है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूनिवर्सिटी कैंपस में आम तौर पर जिस तरह का क्राउड देखा जाता है वो शुक्रवार को नहीं था।

ग‌र्ल्स को सिक्योरिटी का डर

वहीं ग‌र्ल्स को भी अपनी सिक्योरिटी का डर रहा। इस तरह की घटना होने के बाद लड़कियों में काफी दहशत में आ जाती हैं। अगर एग्जाम और ऑनलाइन फॉर्म भरवाने का मौका न होता तो बाहर से कोई लड़की नहीं आती है।

घरवालों के आते रहे फोन

छात्रसंघ अध्यक्ष विकास मिश्रा की मानें तो उन्होंने इस घटना के बारे में अपने घर इलाहाबाद में कोई जानकारी नहीं दी थी। जब सुबह घरवालों से न्यूज चैनल और अखबारों में पढ़ा तो सुबह से ही घरवालों और रिश्तेदारों के फोन आ रहे हैं।

जांच के बाद होगी कार्रवाई

शुक्रवार को सुबह यूनियन के नेता और स्टूडेंट्स मिलकर वीसी के पास गए और कार्रवाई की मांग की। इस दौरान यूनियन और स्टूडेंट को भी इस बात की हिदायत दी गई कि खेल को खल ही रहने दिया जाए। बात फायरिंग और मार-पिटाई तक न पहुंचे। वीसी ने सभी आश्वासन दिया है कि इस घटना की प्रॉपर जांच कराई जाएगी।

कैंपस में वेपन काफी गंभीर विषय है। इस बारे में वीसी से कई बार कहा चुका है। मैं खुद जाकर तीन बार लिखित में सिक्योरिटी को लेकर दे चुका हूं। लेकिन कुछ नहीं हुआ है।

- विकास मिश्रा, प्रेसीडेंट, सीसीएसयू स्टूडेंट यूनियन

ऐसी घटनाओं के बाद से लड़कियों में काफी दहशत में आ जाती है। लड़कियों को उनके पेरेंट्स कैंपस में आने ही नहीं देते हैं। ऐसे में उनके जरूरी लेक्चर और क्लास मिस हो जाती है। इसके लिए यूनिवर्सिटी को कुछ करना ही पड़ेगा।

- रिया गर्ग, वाइस पे्रसीडेंट, सीसीएसयू स्टूडेंट यूनियन

इस तरह की घटनाओं को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इससे पहले भी इस तरह की घटना हो चुकी है। इस फायरिंग में कुछ भी हो सकता था। आखिर इसका जिम्मेदार कौन होता?

- मीनल गौतम, फॉर्मर वाइस पे्रसीडेंट, सीसीएसयू स्टूडेंट यूनियन

यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने सिक्योरिटी के जो इंतजाम किए हैं वो पूरी तरह से फेल्योर साबित हुए हैं। इसके बारे में कई बार इंटीमेट किया जा चुका है।

- राजदीप विकल, बीटेक फॉर्थ ईयर

सीसीएसयू में जितने भी कैमरे हैं वो काफी लो क्वालिटी के हैं। अगर कोई कैप्चर हो भी जाए तो उसे पहचानना काफी मुश्किल है। इसे बदलवाने के लिए भी कहा जा चुका है।

- कुबेर शर्मा, बीटेक सेकंड ईयर

कैंपस में जितने भी गार्ड हैं, उन्हें स्टूडेंट्स के रुपयों से चाय पीने और कैंटीन और मेस में खाना खाने के सिवाय कोई काम नहीं है। वो कहीं भी दिखेंगे भी नहीं।

- राणा प्रताप सिंह, बीए एलएलबी

बाहरी स्टूडेंट न आए इसके लिए कार्ड पंच की व्यवस्था करनी चाहिए। सभी के आईडी कार्ड पर बार कोड होने चाहिए। जिसे मशीन में लगाकर स्टूडेंट की पूरी डिटेल सामने आ जाएगी। जिसके के पास कार्ड नहीं होगा वो एंट्री नहीं कर पाएगा।

- मनी यादव, माइक्रो बायोलॉजी

Posted By: Inextlive