-अल्लाह की तरफ से बन्दों को 30 रोजों का इनाम है ईद

-ईद का दिखा चांद मंडे यानि आज मनाई जाएगी ईद,

बरेली:

दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने ईद का चांद देखने के बाद उन्होंने सभी को ईद की मुबारकबाद दी, और सभी से ईद को आपसी भाईचारे के साथ सादगी से मनाने की अपील की। वहीं दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खान (सुब्हानी मिया) ने कहा कि अल्लाह की तरफ से बंदों को 30 रोजों का इनाम ईद है। उन्होंने बताया कि इस वक्त दुनिया में कोरोना बीमारी के खात्मे के लिए खुसूसी दुआ करते हुए सभी से अपील की है कि सभी मुसलमान ईद के दिन गरीबों और जरूरतमंदों का खास ख्याल रखें। लॉकडाउन का पालन करते हुए सादगी के साथ घरो में रहकर ईद का त्योहार मनाए। ईद का चांद संडे को सुन्नी बरेलवी, देवबंदी, शिया और अहले हदीस से जुड़े लोगों ने छतों पर चढ़कर चांद देखा जिसके बाद ईद की मुबारकबाद का सिलसिला शुरू हो गया।

अल्लाह की हर तरफ होती है इनामात

सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने भी आलमे इस्लाम को मुबारकबाद देते हुए कहा कि पूरे तीस रोजो का इनाम अल्लाह अपने बन्दों को ईद के रूप में देता। इस दिन अल्लाह की तरफ से नवाजिश और इनामात होते है, जिन्होंने पूरे महीने अपने आप को रजा ए इलाही हासिल करने के लिए खाने पीने और दूसरी चीजों से अपने आप को रोके रखा। अब उनके लिए अल्लाह की तरफ से ये दिन अता किया जाता है। जो खुशी और मुसर्रत से भरपूर होता है।

एहसासों का त्योहार है ईद

उन्होंने आगे कहा कि ईद हमें इस बात की भी दर्स (शिक्षा) देती है कि अपने रब की रजामंदी और खुशनूदी के लिए अल्लाह की इबादत करें। ईद उल फितर मजहबी त्योहार के साथ ही इंसानियत (मानवता) का भी त्योहार है। ये उन एहसासों का त्योहार है जो इंसानियत के लिए बेहद जरूरी है। इस्लाम बताता है कि आपकी दौलत सिर्फ आप ही की नही है अगर उसकी जरूरत आपके भाइयों, बहनों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों को है तो वो उनकी भी है। इसलिए मजहब ए इस्लाम मे जकात और फित्रा का हुक्म साहिबे निसाब मुसलमान को दिया, ताकि लोग गरीबों का ख्याल रखें। नासिर कुरैशी ने बताया कि ईद की नमाज दरगाह पर दरगाह प्रमुख समेत वही लोग अदा करेंगे। जितने लोग अब तक अदा करते आ रहे है बाकी लोग अपने अपने घरों में रहकर चाशत की नमाज अदा करें।

घर पर पढ़े चार रकआत चाशत की नमाज

दरगाह आला हजरत स्थित मरकजी दारुल इफ्ता के मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूखी ने बताया ईद की नमाज जमाअत से ही अदा की जा सकती है। तन्हा तन्हा नहीं और ना ही इस वक्त घरों में ईद जमाअत हो सकती है, इस लिए जो लोग मस्जिदों में या ईदगाह में ईद की नमाज जमाअत से न पढ़ सके। वह अपने घर पर दो रकअत नफल शुकराना या चार रकआत चाशत की पढें।

Posted By: Inextlive