'बस चंद कदम दूर थी मौत', आतंक की कहानी ब्रसेल्स के एक चश्मदीद की जुबानी
दहशत के वो चार घंटेमैं गुडग़ांव की एक कंपनी में ग्रुप मैनेजर हूं। ऑफिस के काम से फॉरेन आना-जाना लगा रहता है। इस बार भी ऑफिस के काम से न्यूयॉर्क गया था। वहां से अपनी बहन, जो कनाडा के एम्सटर्डम में रहती हैं, से मिलने के बाद न्यूयॉर्क होते हुए मुझे इंडिया लौटना था। 22 मार्च की सुबह 7.45 बजे ब्रसेल्स के जेवेनटेम एयरपोर्ट पर पहुंचा। वहां चेकइन के बाद गेट नंबर-17 पर डिपार्चर की तैयारी में लगा। करीब 8 बज रहे होंगे। अचानक एक तेज धमाके की आवाज सुनाई पड़ी। कुछ समझ पाता, इसके पहले चीख-पुकार मच गई।
ऐसा लग रहा था जैसे पल भर में पूरा एयरपोर्ट किसी जंग के बाद मैदान में तब्दील हो गया हो। करीब आधे घंटे हम जहां के तहां कोने में खड़े-खड़े अपनी खैरियत के लिए ऊपरवाले का नाम लेते रहे थे। खैर, थोड़े वक्त बाद वहां से हम सभी लोगों को वेयर हाउस ले जाया गया। हमारे पास जो बैग्स या सामान थे, जमा करा लिए गए। उस समय वहां पर बहुत ज्यादा ठंड भी थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा था। लग रहा था पता नहीं क्या होगा। वहां कुछ घंटे रुकने के बाद हमें एक स्टेडियम में ले जाया गया। हमारा किसी से संपर्क भी नहीं हो रहा था। हर पल भारी गुजर रहा था। उसी समय सिक्योरिटी के जरिए पता चला कि कुछ अन्य जगहों पर भी बम ब्लास्ट हुए हैं।
ब्रसेल्स एयरपोर्ट पर हमले के बाद सैयद तौसीफ अहमद के रांची में रह रहे वालिद तनवीर अहमद व वालिदा सोफिया अहमद का बेटे की चिंता में बुरा हाल हो गया था। उन्होंने बताया कि 22 मार्च की सुबह एक टीवी न्यूज चैनल के जरिए पता चला कि ब्रसेल्स एयरपोर्ट पर बम ब्लास्ट हुआ है। ऐसे में कुछ घंटे पहले ही बेटे से बात हुई थी, जो न्यूयार्क से ब्रसेल्स पहुंच रहा था। इससे वे लोग किसी अनहोनी को लेकर घबरा गए। बार-बार बेटे के नंबर पर संपर्क करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा था। दो घंटे बाद किसी तरह संपर्क हुआ। उसके बाद व्हाटसऐप के जरिए बेटे से संपर्क होने पर वे लोग कुछ राहत की सांस ले पाए, लेकिन उसके बाद भी जब तक बेटे की इंडिया में वापसी नहीं हुई, उनके रात-दिन बेचैनी में ही कटे।