आजकल तो व्‍हाट्ऐप और फेसबुक पर एक ही चीज सबसे ज्‍यादा दिखाई देती है वो है सेल्‍फी। जी हां अच्‍छी से अच्‍छी सेल्‍फी लेने और सोशल मीडिया पर उसे शेयर करने का भूत लोगों पर इस कदर चढ़ा हुआ है कि तमाम लोग दिन भर तरह तरह की सेल्‍फी लेकर सोशल मीडिया द्वारा सबको दिखाते रहते हैं। अगर आप या आपका कोई दोस्‍त या रिश्‍तेदार को सेल्‍फी लेने का ऐसा ही शौक है तो जान लीजिए कि उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं है और उनके लिए ये न्‍यूज पढ़ना बहुत जरूरी है।

फोन पकड़े रहने की बीमारी के बाद अब selfitis का पागलपन

साइकोलॉजी से जुड़े एक्सपर्ट्स मानते हैं कि selfitisएक खास तरह की मेंटल कंडीशन है, जिसमें व्यक्ति को हमेशा यह महसूस होता रहता है कि वो थोड़ी थोड़ी देर में खुद की सेल्फी ले और व्हाट्सऐप या FB पर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को दिखाए। सेल्फी लेने की उनकी यह इच्छा बार बार पैदा होती रहती है और इसके चक्कर में वो कई बार अपना जरूरी काम छोड़कर सेल्फी लेने में ही मस्त रहते हैं। लंदन के वैज्ञानिकों ने बार बार सेल्फी लेने की इस आदत को लेकर एक बड़ी रिसर्च की है और इस कंडीशन को नाम दिया है selfitis। नोमोफोबिया यानि 'हाथ में फोन न होने की मानसिक बीमारी' के साइंटिफिकली प्रूव होने के बाद ही इस टीम ने सेल्फी कंडीशन पर भारत में रिसर्च शुरु की और चौंकाने वाले रिजल्ट निकाले। भारत में भारी संख्या में स्मार्टफोन और फेसबुक यूजर्स मौजूद हैं। भारत में करीब 200 यूजर्स पर सेल्फी को लेकर की गई इस रिसर्च में साबित हो गया कि। सेल्फी लेने की आदत एक मेंटल डिस्ऑर्डर है।

 

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सेल्फाइटिस बिहेवियर पर बड़ी रिसर्च

इंग्लैंड की नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी और मदुरई के थियागराजर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की साइकोलॉजिस्ट टीम ने मिलकर सेल्फी बिहेवियर और नोमोफोबिया पर लंबी रिसर्च की है। वैज्ञानिकों ने सेल्फी बिहेवियर को मापने के लिए सेल्फी बिहेवियर स्केल भी डेवलप किया है, जो बताता है कि कोई व्यक्ति में बार बार सेल्फी लेने के लिए कितनी सनक मौजूद है। किसी व्यक्ति के सेल्फी बिहेवियर को कंट्रोल करने वाले 6 खास फैक्टर भी इस रिसर्च टीम ने खोज निकाले हैं।

 

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सेल्फी को मानसिक बीमारी बताने वाली पुरानी खबर थी फर्जी

इस रिसर्च टीम के एक मेंबर Dr. Mark Griffiths ने बताया कि बार बार 'सेल्फी' लेने को बीमारी बताने वाली एक खबर कुछ समय पहले सुर्खियों में थी, लेकिन बाद में पूरी तरह से अफवाह निकली। अब जो नई रिसर्च सामने आई है, वो तो खासतौर पर भारतीय यूजर्स पर की गई है, इसलिए अब तो कहना ही पड़ेगा कि जिन लोगों को बार बार सेल्फी लेने की आदत है, उन्हें सच में selfitis हो चुका है। ये बीमारी बढ़ने पर यूजर सनक की हद तक अपने लुक और सेल्फी के बारे में सोचने लगेगा। जानने वाली एक और बात यह है, अनोखी और खतरनाक सेल्फी लेने के चक्कर में भले ही दुनिया में तमाम लोग निपट चुके हों, लेकिन फिर भी लोग अपनी यह आदत बदलने के बारे में सोच भी नहीं रहे हैं।

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Posted By: Chandramohan Mishra