इलाहाबाद संग्रहालय में चल रहे मानसून उत्सव के तीसरे दिन भारतीय साहित्य और मानसून विषय पर संगोष्ठी

ALLAHABAD: इलाहाबाद संग्रहालय में चल रहे मानसून उत्सव के तीसरे दिन भारतीय साहित्य और मानसून विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। मुख्य वक्ता सीएमपी डिग्री कालेज के प्राचार्य डॉ। आनंद कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि संस्कृत साहित्य में भवभूति से लेकर श्रीरंजन शूरिदेव तक की रचनाओं में वर्षा ऋतु के महत्व को बखूबी दर्शाया गया है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि वर्षा सौंदर्य और सृजन की जननी है।

बारिश पर फिसलन व उमस

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो। अली अहमद फातमी ने नजीर इलाहाबादी की बारिश पर फिसलन व उमस जैसे विषयों पर लिखी शायरी को उर्दू साहित्य में एक दुर्लभ चित्रण बताया। प्रो। मानस मुकुल दास ने रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं में अभिव्यक्त वर्षा का उल्लेख किया। प्रो। दास ने कहा कि वर्षा का सीधा संबंध प्रकृति के उल्लास से जुड़ा होता है।

निदेशक ने किया स्वागत

संग्रहालय के निदेशक राजेश पुरोहित ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्षा का मानवीय संबंधों से महत्वपूर्ण जुड़ाव होता है। तीसरे दिन का संचालन डॉ। राजेश मिश्रा ने किया। डॉ। सुनील गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उत्सव में सुनील पटनायक, डॉ। उर्मिला श्रीवास्तव, डॉ। वामन वानखेड़े, डॉ। संजू मिश्रा, दिनेश गुप्ता आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive