- इनफर्टिलिटी को गले लगा रहे यंगस्टर्स, तेजी से कम हो रहा स्पर्म काउंट

इनफर्टिलिटी को गले लगा रहे यंगस्टर्स, तेजी से कम हो रहा स्पर्म काउंट

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: टाइटफिट वियरिंग आज के यंगस्टर्स की पहली पसंद है। अपनी फिटनेस का प्रदर्शन करने के लिए वे इसे लेकर क्रेजी होते हैं। लेकिन यह खबर शायद इन यंगस्टर्स को अपनी सोच बदलने में मजबूर कर दे। क्योंकि चिकित्सकों का कहना है कि टाइटफिट जींस से लेकर अंडर गार्मेट्स मेल इनफर्टिलिटी का कारण बन रहे हैं। इस फैशन की वजह से आज चालीस फीसदी मामलों में उंगली उठ रही है।

दो डिग्री टेंप्रेचर कम होना आवश्यक

डॉक्टर्स का कहना है कि कुदरत ने इंसान के शरीर की रचना सोच समझकर की है। मेल्स की बॉडी में स्पर्म टेस्टिकल्स में बनते हैं। यह हमारी बॉडी से दूर होता है। इसका टेम्प्रेचर बॉडी के टेम्प्रचर से दो डिग्री कम होना जरूरी है। अनुकूल टेम्प्रेचर मिलने पर इसमें पर हार्ट बीट एक हजार से अधिक स्पर्म बनते हैं। लेकिन, जब यही कॉम्बिनेशन डिस्टर्ब होता है तो सीमेन में स्पर्म काउंट कम होने लगता है।

हॉर्मफुल है टाइट कपड़े पहनना

टाइट फिटिंग जींस और अंडर गारमेंट मेल्स की फर्टिलिटी को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। डाक्टर बताते हैं कि ऐसा करने से टेस्टिकल्स का टेम्प्रेचर बॉडी के बराबर हो जाता है और स्पर्म कम संख्या में बनते हैं। कई बार सिंथेटिक क्लोथ्स पहनने से भी टेस्टिकल्स तक हवा नहीं पहुंचती है। जिससे शादी के बाद बच्चा पैदा करने में काफी दिक्कतें पेश आती हैं। सोसायटी में ब्0 फीसदी मेल इनफर्टिलिटी के मामलों में टाइटफिट क्लॉथ अहम कारण बन कर उभरा है।

ख्0 से फ्ब् साल के बीच कर लीजिए शादी

एमएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रीतम दास ऑडिटोरियम में मधुमेह एवं संतानहीनता विषय पर हुए सेमिनार में डॉक्टर्स ने बताया कि ख्0 से फ्ब् साल के बीच शादी का बेहतर समय होता है। इस दौरान फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं की संभावना कम होती है। आमतौर पर यह माना जाता है कि मेल की एज पचास साल होते तक उसका बच्चा सेल्फ डिपेंड हो जाए। टाइमली मैरिज के करने के यह बेनिफिट सामने आते हैं। इस एज के बाद मेल और फीमेल में इनफर्टिलिटी की समस्याएं उभरकर सामने आने लगती हैं। इंडिया में शादी के एक साल बाद तक फीमेल के प्रेगनेंट नहीं होने पर जोड़े को इनफर्टाइल कपल की श्रेणी में देखा जाने लगता है।

महिलाओं से पहले पुरुष कराएं अपनी जांच

सोसायटी में इनफर्टिलिटी के मामलों में अक्सर महिलाओं पर उंगली उठने लगती है। डॉक्टर्स का कहना है बदलते सिनेरियो में इनफर्टिलिटी के कुल मामलों में चालीस फीसदी पुरुष दोषी पाए जाते हैं। इसलिए पहली उंगली उनकी ओर उठनी चाहिए। अगर शादी के एक साल बाद भी बच्चे के चांसेज नहीं बन रहे हैं तो मेल्स को अपनी सीमेन की जांच करानी चाहिए। इससे उनके स्पर्म काउंट और क्वालिटी दोनों सामने आ जाती है।

फैक्ट फाइल

- ग्लोबल एनॉलिसिस में पाया गया कि स्प‌र्म्स की औसम संख्या में फ्ख् फीसदी की गिरावट आई है।

- आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की रिसर्च में पाया गया कि फ्0 सालों में एक मिमी सीमेन में शुक्राणुओं की संख्या छह करोड़ से घटकर दो करोड़ रह गई है।

- एक बार इजैकुलेशन में ख्0 से भ्0 करोड़ स्पर्म निकलते हैं।

- इनमें से सिर्फ भ्0 से क्00 स्पर्म ही अंडाणु तक पहुंचते हैं।

इनफर्टिलिटी के मेन कारण

- तनाव

- हार्मोस का कम या ज्यादा होना

- पूरी नींद नहीं लेना

- दवाओं का अधिक सेवन

- आपसी रिश्तों में तनाव

- तंबाकू, शराब का सेवन

- मोटापा

- आनुवांशिकता

- डिप्रेशन

- टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी

- संक्रमण

- कैंसर

- टाइट जींस और अंडर गारमेंट पहनने से यगस्टर्स को बचना चाहिए। इसकी वजह से टेस्टिकल्स का टेम्प्रेचर बढृ जाता है जिससे स्पर्म डिस्टर्ब होने लगते हैं। आगे चलकर यह इनफर्टिलिटी का मेन कारण बनता है। सोते समय लुंगी या पायजामे का उपयोग करना चाहिए।

डॉ। दिलीप चौरसिया, यूरोलॉजिस्ट

- इनफर्टिलिटी के कुल मामलों में चालीस फीसदी पुरुषों में कमी पाई जाती है। मेरी राय में टाइमली शादी कर लेने के बाद तीस साल की उम्र में पहला बच्चा हो जाना चाहिए। क्योंकि, फ्ब् साल की एज के बाद इनफर्टिलिटी की संभावना बढ़ने लगती है।

डॉ। वंदना बंसल, आईवीएफ एक्सपर्ट

- बहुत ज्यादा तनाव और डिपे्रशन भी इनफर्टिलिटी का मेन कारण बन सकता है। देर रात तक जगना और भरपूर नींद नहीं लेने से कम उम्र में ही बच्चे पैदा करने की शक्ति कम होने लगती है। यंगस्टर्स को अपने पहनावे और लाइफ स्टाइल पर ध्यान देना चाहिए।

डॉ। बीके कश्यप, साइको सेक्सोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive