- जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका डेमोक्रेसीज का विमोचन

PATNA: बिहार में सब-नेशनल आइडेंटिटी का अभाव है। यह विचारणीय सवाल है कि क्या बिहार में सब-नेशनल आइडेंटिटी का सिंबल अपर कास्ट ही होगा या बैकवर्ड कास्ट से सिंबल उभरेगा। ये कहा आद्री के मानद सचिव शैबाल गुप्ता ने। वे जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका डेमोक्रेसिज के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। बिहार विधानसभा चुनाव, ख्0क्भ् पर केंद्रित डेमोक्रेसिज का विमोचन शैबाल गुप्ता, प्रो। पुष्पेन्द्र, इतिहासकार अशोक अंशुमान और राज कुमार ने संयुक्त रूप से किया। संस्थान के डायरेक्टर श्रीकांत ने कहा कि हमने डेमोक्रेसिज का यह अंक सीएसडीएस के सहयेाग से निकाला है। इस अंक से बिहार के चुनाव को समझने में सहायता मिलेगी। शैबाल गुप्ता ने कहा कि यह पत्रिका बिहार की चुनावी राजनीति पर केंद्रित है। इसके तमाम लेख शोधपरक एवं विश्लेषणात्मक हैं। बिहार में महिलाएं राजनीति के केंद्र में आ गयी हैं। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है।

विभिन्न जातियों का वोटिंग पैटर्न

डॉ। पुष्पेन्द्र ने कहा कि डेमोक्रेसिज का यह अंक संग्रहणीय है, जो बिहार के चुनाव को समझना चाहते हैं उन्हें इससे मदद मिलेगी, लेकिन जो चुनाव से पहले नतीजे देखना चाहते हैं, उन्हें निराशा होगी। इस अंक की खासियत है कि इस पत्रिका में विभिन्न जातियों के वोटिंग पैटर्न को दिखाया गया है, लेकिन बिहार की राजनीति का यही यथार्थ नहीं है। बिहार की राजनीति को जातीय आंकड़ों से अलग हटकर देखने की जरूरत है। प्रो। अशोक अंशुमान ने कहा कि बिहार की उपेक्षा का जो इतिहास है वह लंबा और ऐतिहासिक है। आज भी इसकी उपेक्षा को लेकर राजनीति हो रही है। पत्रकार राज कुमार ने कहा कि संस्थान के निदेशक श्रीकांत के नेतृतव में निकला गया डेमोक्रेसिज का यह अंक बिहार के चुनाव को समझने में सहायक साबित होगा। इस मौके पर अर्थशास्त्री एन.के। चौधरी, सासंद शिवानंद तिवारी, प्रो। रामवचन राय, विद्यानंद विकल, साहित्यकार जुगनू शारदेय, रघुपति सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। संचालन डॉ। वीणा सिंह और धन्यवाद ज्ञापन रजिस्ट्रार डॉ। सरोज कुमार द्विवेदी ने किया।

Posted By: Inextlive