शीशमबाड़ा में ओवरफ्लो कबाड़ा
- एक वर्ष में ही उफन गया शीशमबाड़ा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
- जगह-जगह कूड़े के पहाड़, नहीं हो पा रहा प्रॉपर निस्तारण - प्लांट से उठ रही दुर्गंध, आस-पास के लोगों का जीना हुआ मुहाल देहरादून, कूड़े के ढेरों से शहर को निजात दिलाने के लिए बनाया गया शीशमबाड़ा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट एक वर्ष में ही ओवरफ्लो होने लगा है। अब यहां और कूड़ा डंप करने की जगह नहीं बची है, ऐसे में सड़ रहा ये कूड़ा आस-पास के इलाकों के लिए अभिशाप बन गया है। हालांकि, प्लांट का संचालन कर रही रैमकी कंपनी कूड़े से खाद तो बना रही है, लेकिन स्लो प्रोसेस होने के कारण खाद कम बन रही है और कूड़ा ज्यादा डंप हो रहा है। इसके अलावा प्लांट में भी कई खामियां हैं। हर माह 50 लाख खर्चनगर निगम द्वारा प्लांट का संचालन कर रही रैमकी कंपनी को हर माह कूड़ा उठान से लेकर रिसाइकिलिंग के लिए 50 लाख रुपए दिए जा रहे हैं। लेकिन, इस रकम का कारगर उपयोग नहीं हो रहा। प्लांट में सड़ रहा कूड़ा लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। प्लांट के आस-पास रहने वाले लोग इसे लेकर लगातार आक्रोश जता रहे हैं।
चेंबर्स का पता ही नहींप्लांट के भीतर कंपनी ने कूड़ा डंपिंग के लिए 30 चेंबर बनाए हुए हैं। कूडे़ के पहाड़ के नीचे अब ये चेंबर नहीं दिखाई दे रहे। एक चेंबर में कूड़े को 30 दिन रखे जाने के बाद उससे खाद बनाई जानी थी, इसके बाद ये प्रोसेस साइक्लिक वे में चलती रहती। लेकिन जिस तेजी से कूड़ा डंप किया जा रहा है उस तेजी से खाद नहीं बनाई जा रही। ऐसे में चेंबर ओवरफ्लो हो गए हैं। अब कंपनी खुले आसमान के नीचे ही कूड़े के ढेर लगा रही है, जो खुले में सड़ रहा है।
अब खाद भी बन रही कूड़ा शीशमबाड़ा प्लांट को शुरू हुए एक वर्ष हो चुका है। कंपनी द्वारा कूड़े को रिसाइकिल कर अब तक 2500 टन खाद बनाई गई है। लेकिन, इसकी बिक्री ही नहीं हो रही। ऐसे में खाद भी प्लांट में ही डंप है और कूड़ा हो रही है। कंपनी की ओर से अब 20 टन खाद रोजाना बनाई जा रही है और उसे भी डंप किया जा रहा है। 10 हजार टन नॉन-डिग्रेडेबल कूड़ा डंपप्लांट में 10 हजार टन नॉन-डिग्रेडेबल कूड़ा जमा हो चुका है। कंपनी की ओर से अभी तक इस कूड़े के निस्तारण के लिए कोई रास्ता नहीं निकाला जा सका है। रोज इस ढेर में टनों कूड़ा और डंप हो रहा है।
कूड़ा उठान में कंपनी नाकाम डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन कर रही रैमकी कंपनी कूड़ा उठान में भी नाकाम साबित हो रही है। कंपनी की ओर से पहले चरण में 7 वार्डो से कूड़ा उठान का काम शुरू किया गया था। लेकिन, धरातल पर उतरते ही योजना हवा हो गई। शहर से हर दिन करीब 3.50 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। जबकि प्लांट तक 2.80 मीट्रिक टन कूड़ा ही पहुंच पा रहा है। चेंबर्स में ड्रेनेज सिस्टम नहीं प्लांट में बनाए गए प्रत्येक चेंबर के लिए कूड़े से निकलने वाले गंदे पानी के लिए पाइप छोड़ा गया है, लेकिन इसके निस्तारण और सुरक्षित निकास की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में कूड़े से निकला गंदा पानी प्लांट के चारों ओर जमा हो रहा है और यहां काम करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है। कर्मचारियों के पास मास्क तक नहीं प्लांट में काम कर रहे कर्मचारियों को रैमकी कंपनी द्वारा मास्क तक नहीं दिये गए हैं। उनके स्वास्थ्य परीक्षण के लिए भी किसी तरह का इंतजाम नहीं किया गया है। --------------------------प्लांट में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है। खुले में कूड़े का ढेर है, लेकिन उसके निस्तारण के लिए नगर निगम से बात की जा रही है। इन दिनों कूड़ा भी कम मात्रा में आ रहा है।
मोहित द्विवेदी, इंचार्ज, रैमकी -------------------- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण किया जाएगा। किसी भी प्रकार का खामियां पाए जाने पर कंपनी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और पास के लोगों के लोगों को हो रही समस्या के बारे में पूछा जाएगा। - सुनील उनियाल गामा, मेयर