रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीक का उपयोग कर तैयार किया गया जनपदवार डाटावेस

रिमोट सेंसिंग एप्लीकेएशन सेंटर ने किया डिजिटल इंडिया के तहत काम

बरेली। अब सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों के आधार पर ही विकास कार्य कराए जाएंगे। इसके लिए रिमोट सेंसिंग एप्लीकेएशन सेंटर ने डिजिटल इंडिया के तहत जनपदवार डाटावेस तैयार किया है। यह डाटावेस सेटेलाइट रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीक का उपयोग कर तैयार किया है। इसे लेकर फ्राइडे को रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन्स सेंटर लखनऊ (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) विभाग द्वारा विकास भवन सभागार में वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता डीएन वीरेंद्र कुमार ंिसह ने की। वैज्ञानिक डॉ.जय कुमार मिश्र ने डिस्ट्रिक्ट वाइज तैयार डाटाबेस का प्रजेंटेशन किया। इस मौके पर सभी जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे।

योजनाओं पर काम आसान

इस तकनीक का उपयोग कृषि, राजस्व, भू-संचय, जल संचय, प्राकृतिक आपदा, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, सिंचाई विभाग, जल निगम, नलकूप, सड़क, वन आदि विभाग से जुड़ी परियोजनाओं के लिए की जा सकती है।

प्राकृतिक आपदा का होगा आंकलन

इस व्यवस्था के माध्यम से प्राकृतिक आपदा का भी आंकलन किया जा सकता है। यानि ओलावृष्टि में फसलों की क्षति का आंकलन, फसलों की कटाई के समय मौसम का पूर्वानुमान किया जा सकता है।

पौधरोपण में मिलेगी हेल्प

पौधरोपण के लिए कौन सा स्थल उपयुक्त होगा की जानकारी इस व्यवस्था से आसानी से मिल सकेगी। इतना ही नहीं वन क्षेत्रों का मानचित्र और क्षेत्र का आंकलन और उसमें आए परिवर्तन आदि की जानकारी हो जाएगी। इसी तरह मृदा संबंधित जानकारियां हासिल हो जाएंगी।

सैटेलाइट से जो तस्वीरें मिलती हैं उनकी मदद से प्राकृतिक संसाधनों को चिन्हित करते हैं। इसके बाद उन आंकड़ों का डाटाबेस तैयार किया जाता है। इन आंकड़ों का प्रयोग सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के प्रबंधन में होता है.-डॉ। जय कुमार मिश्रा, वैज्ञानिक रिमोट सेंसिंग एप्लीकेएशन सेंटर लखनऊ

Posted By: Inextlive