7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट पेश, वेतन, भत्ते एवं पेंशन में 1 जनवरी से होगी वृद्धि
मासिक वेतन 18,000 रुपयेसातवें वेतन आयोग के चेयरमैन न्यायमूर्ति एके माथुर की अध्यक्षता वाले आयोग की ओर से कल वित्त मंत्री अरुण जेटली को सातवें आयोग की रिपोर्ट सौपीं गई। इस आयोग में 1978 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी विवेक राय, अर्थशास्त्री रथिन राय और आयोग की सचिव मीना अग्रवाल आयोग शामिल है। जिसमें कर्मचारियों के हित में आयोग ने कई बड़ी मांगे रखी है। जिससे अब सरकारी कर्मचारियों को एक बड़ी सौगात के तहत वेतन एवं भत्तों में वृद्धि का लाभ मिलेगा। सबसे खास बात तो यह है कि यह अब आयोग की रिपोर्ट में केन्द्रीय नौकरियों में न्यूनतम मासिक वेतन 18,000 रुपये की मांग की गई है। इसके अलावा भत्ते व पेंशन में 23.55 प्रतिशत की वृद्धि गई है। बढ़ाकर 20 लाख रुपये
इसमें वेतन में 16 प्रतिशत, भत्तों में 63 प्रतिशत और पेंशन में वृद्धि 24 प्रतिशत होगी। जिससे करीब 47 लाख केन्द्रीय कर्मचारी और 52 लाख पेंशनार्थी लाभान्िवत होंगे। सातवें वेतन आयोग की ये सिफारिशें आगामी एक जनवरी, 2016 से लागू हो जाएंगी।इतना ही नहीं सैनिकों की तर्ज पर असैन्य कर्मचारियों के लिए भी ‘समान रैंक, समान पेंशन’ की व्यवस्था की भी मांग की गई। जिसमें अगले साल एक जनवरी से पहले सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी सेवाओं के कर्मचारियों को भी शामिल किया जाए। रिपोर्ट में आयोग ने ग्रैच्युटी निर्धारण में अधिकतम वेतन की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी है। इसके अलावा केन्द्रीय सशस्त्र बलों में सेवानिवृत्ति की उम्र में भी इजाफा किया गया है। जिसमें सेवानिवृत्ति की उम्र 58 साल से बढ़ाकर 60 साल करने की सिफारिश की है। प्रत्येक दस साल बाद इतना ही नहीं सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों के मामले में आयोग ने सिफारिश की है कि उनकी पेंशन को, उनके समेकित वेतन से नहीं काटा जाना चाहिए। इसके अलावा आयोग ने कर्मचारी हित में काफी बड़ी सिफारिशों की सूची पेश की है। बतातें चलें कि केंद्र सरकार प्रत्येक दस साल बाद अपने कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन के लिए वेतन आयोग का गठन करती हैं। गौरतलब है कि सातवां वेतन आयोग का गठन पिछले साल फरवरी में किया गया था। जिस पर आयोग के चेयरमैन जस्टिस एके माथुर ने 18 महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपने को की बात कही थी। हालांकि इस साल अगस्त में सरकार ने इस आयोग के कार्यकाल में इजाफा कर दिया था। जिसके चलते आयोग को दिसंबर 2015 तक समय दिया गया था।
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