- सीवरेज ड्रेनेज के पानी में बह गया जनता का रुपया

- रांची की नालियां उफान पर, सड़क पर पसरा गंदा पानी

- राजधानी के जोन-1 में 357 करोड़ में पूरा करना था प्रोजेक्ट

- चार साल में 85 करोड़ खर्च कर मात्र 37 फीसदी सीवर लाइन ही बिछी

- 22 जून तक टेंडर जमा होगा और 25 जून को टेक्निकल बिड खुलेगा

राज्य सरकार ने जलजमाव से होने वाली परेशानियों और नालियों की समस्या से मुक्ति के लिए सीवरेज ड्रेनेज योजना पर करोड़ों रुपए फूंक दिए गए, लेकिन राजधानी की जनता आज भी सड़कों पर फैलते दरिया पर चलने के लिए मजबूर है। राजधानी में चल रहा सीवरेज ड्रेनेज कार्य कब पूरा होगा इसकी जवाबदेही से नगर निगम से लेकर जिला प्रशासन तक पल्ले झाड़ चुका है। जोन-1 (9 वाडरें) में बरबाद हो चुके सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने की कवायद हो रही है। रांची नगर निगम इस अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए नए सिरे से डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कर रहा है। निगम के द्वारा 10 जून को इस पर प्री बिड मीटिंग की गयी है और 22 जून तक टेंडर जमा होंगे। 25 जून को टेक्निकल बिड खुलेगा। चयनित कंपनी अधूरे पड़े प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाएगी। नगर निगम का कहना है कि पिछले चार साल में मात्र 37 फीसदी ही काम हुआ है।

फिर से बनेगा 350 करोड़ का प्रस्ताव

इस पर अभी तक करीब 85 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, जबकि कुल 357 करोड़ रुपए में लखनऊ की कंपनी ज्योति बिल्डटेक को यह ठेका दिया गया था। अब अधूरे प्रोजेक्ट का नए सिरे से काम कराने पर 350 करोड़ से अधिक खर्च होंगे, क्योंकि डीपीआर रिवाइज्ड होने से 100 करोड़ से अधिक की बढ़ोत्तरी का आकलन किया गया है।

कैसे-कैसे फूंके गए करोड़ों रुपए

2006 में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के डीपीआर का जिम्मा कंसल्टेंट कंपनी मैनहर्ट को दिया गया था। बाद में मैनहर्ट कंपनी ने सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को चार फेज में पूरा करने डीपीआर बनाया। इन चारों फेज के लिए मैनहर्ट द्वारा 1200 करोड़ तक की राशि खर्च करने की बात की गयी। पहले फेज के काम के लिए ज्योति बिल्टडेक कंपनी का चयन भी किया गया। इसके लिए कुल 357 करोड़ खर्च करने की बात सामने आयी थी।

ज्योति बिल्डटेक ने किया था गुमराह

पहले फेज में सिवरेज ड्रेनेज सिस्टम का काम देख रही कंपनी ज्योति बिल्डटेक ने गलत तरीके से निगम को जानकारी दी थी। जब मेयर ने कंपनी द्वारा कुछ वार्ड (1,2,3,4,5) में हुए सीवरेड ड्रेनेज कामों की निरीक्षण किया था, तो कई इलाके में अधूरे काम की शिकायत मिली थी। चेतावनी देने के बाद भी काम की स्थिति सही नहीं होते देख ज्योति बिल्टडेक को टर्मिनेट कर दिया गया था। इससे अभी तक पहले फेज के सिवरेज ड्रैनेज का काम अधूरा है।

अब तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण अधूरा

जोन-1 में शहर के 9 वार्ड हैं, जहां सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट का काम चल रहा था। वार्ड नंबर-1 से 5 और 30 से 33 के बजरा, पंडरा, पिस्कामोड़, बैंक कॉलोनी, रातू रोड, इन्द्रपुरी, अल्कापुरी, धोबी घाट, कांके रोड, मिसिर गोंदा, मोरहाबादी, बूटी बस्ती और बड़गाईं के कुछ क्षेत्रों में सीवर लाइन बिछाई गई है। लेकिन, यहां के लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा, क्योंकि अभी तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण पूरा नहीं हुआ है।

अगले तीन वर्ष तक रह सकती है नारकीय स्थिति

हिनू स्थित लेम बस्ती में बनाए जा रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का मात्र 45 फीसदी काम हुआ है। इसलिए, जिन इलाकों में सीवर लाइन बिछाई गई है, वहां के घरों को सीवर लाइन से जोड़ा नहीं गया है। ऐसे में इन 9 वाडरें के लोगों को इसी साल नहीं बल्कि अगले तीन साल तक बरसात में नारकीय स्थिति का सामना करना पड़ेगा। नए सिरे से टेंडर के बाद भी इसे पूरा करने में कम से कम तीन वर्ष का समय लग जाएगा।

सरकार बदली, फाइलों में बंद हो गईं योजनाएं

राजधानी को चार जोन में बांटकर सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाई गई थी। जोन-1 में काम शुरू हुआ था। पिछली राज्य सरकार ने अन्य तीन जोन में भी सीवरेज-ड्रेनेज बनाने की योजना बनाई थी। सरकार बदलते के साथ योजनाएं फाइलों में बंद हो गयी।

Posted By: Inextlive