- कहने को शहर में चार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, पर किसी काम के नहीं

- नाले के गंदा पानी को बगैर ट्रीटमेंट अब भी बहाया जा रहा है गंगा में

- सीवरेज से संबंधित योजनाएं पड़ी हैं ठंडे बस्ते में, कौन सुनता है कॉमन मैन की परेशानी

PATNA: राजधानी पटना में नाले की स्थिति देखनी हो, तो बारिश के बाद शहर के किसी भी इलाके में एक बार घूम लीजिए। कोई भी इलाका ऐसा नहीं है, जहां पानी नहीं लगता है। ज्यादा बारिश होने पर बारिश के पानी संग नाले का पानी भी घरों में घुस जाता है। इसकी मेन वजह है 'जर्जर' सीवरेज प्लांट। शहर में चार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं, जो पूरी तरह से बेकार हैं, इस कारण गंगा नदी और पुनपुन नदी में गंदा पानी जा रहा है।

सीवरेज भी हैं इंक्रोच्ड

पटना में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता सिर्फ 109 एमएलडी है, जो चार जोन में बंटा हुआ है। वर्तमान आबादी के अनुसार यह क्षमता काफी कम है, जिससे यहां का सीवरेज सिस्टम अप-टू मार्क नहीं है। वहीं, पूरे शहर में सिर्फ 27 किलोमीटर के एरिया में ही सीवरेज की पाइप फैली हुई है, जबकि इसके विस्तार के लिए कई बार योजनाएं आई जो अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं। पूरे 72 वार्ड से जो सीवरेज सिस्टम अटैच किया हुआ है, वह भी पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। इस लाइन में कई अपार्टमेंट और निजी घरों ने इंक्रोचमेंट कर इसे पूरी तरह से बेकार कर दिया है।

डॉक्यूमेंटेशन के लिए बनती हैं योजनाएं

पटना के सीवरेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए कई बार योजनाएं बनी, पर ये कभी भी धरातल पर नहीं उतारी जा सकीं। पिछले साल ही सिटी में 1300 किलोमीटर तक सीवर पाइपलाइन बिछाने पर मुहर लग चुका था, पर आज तक इसे पूरा नहीं किया जा सका। बुडको के जेनरल मैनेजर बताते हैं कि योजनाएं तो थीं, लेकिन सारी योजनाएं किसी न किसी कारणवश पूरी नहीं हो सकी, पर एक बार फिर से काम शुरू हो रहा है।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति

एरिया - क्षमता - स्थिति

बेऊर - 35 एमएलडी - खराब

पहाड़ी - 25 एमएलडी - खराब

दीघा - 45 एमएलडी - खराब

करमलीचक - 04 एमएलडी - खराब

कुल 109 एमएलडी

बिना ट्रीटमेंट गंगा में जा रहा पानी

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के फेल होने के कारण सम्प हाउस से गंदा पानी सीधे गंगा में डाला जा रहा है। इसे लेकर गवर्नमेंट की ओर से करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, पर आज तक स्थिति यथावत है। हालांकि अब गंगा के किनारे-किनारे बड़े सीवरेज प्लांट लगाए जा रहे हैं, जिससे पानी को फिल्टर कर गंगा में डाला जा सकता है।

कहां-कहां जा रहा है गंदा पानी

शहर को चार जोन में बांटा गया है, जिसमें आधे गंदे पानी को गंगा में और आधे को पुनपुन नदी में डाला जाता है। राजापुर न्यू, राजापुर ओल्ड, बोरिंग रोड, राजीव नगर, पाटलिपुत्रा कॉलोनी, नेहरू नगर और पुनाईचक का गंदा पानी गंगा में छोड़ा जाता है, वहीं बाकी हिस्से के गंदे पानी को बेऊर से पुनपुन नदी में छोड़ा जाता है।

पटना का पूरी तरह से शहरीकरण हुआ ही नहीं है। यहां सीवरेज के लिए कोई ठोस पाइपलाइन नहीं बिछ पाई है। प्लान अच्छा बनेगा, तभी पब्लिक को अच्छी सर्विसेज मिल पाएगी।

-डीएस मिश्रा, जीएम, बुडको

स्टार्टिग फेज में सीवरेज की जो व्यवस्था थी, वह काफी अच्छी थी। जिस तरह से अतिक्रमण कर लोग पाइपलाइन पर घर बनाए हुए हैं और अपार्टमेंट बनाए गए हैं। इससे सारे पाइप जाम हो चुके हैं और पानी वापस जाने लगा है।

-आरएस यादव, फॉरमैन, जल परिषद, राजापुल

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को लेकर काम चल रहा है, इसके बाद ही पटना की समस्या का निदान किया जा सकेगा।

-सत्येंद्र कुमार, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, बुडको

Voices

सीवरेज सिस्टम पूरी तरह चौपट हो चुकी है। सीवरेज की पाइपलाइन सड़कों पर बह रही है, जिससे कई बीमारियां भी हो रही हैं, पर अधिकारी चुप हैं।

-विकास, कुर्जी रोड निवासी

लगता है पटना का सारा गंदा पानी शहर में ही बहता है। मेरी एक दुकान है, पर गंदगी की वजह से कस्टमर्स आते ही नहीं हैं। सरकार की तो कोई प्लानिंग ही नहीं है।

-राहुल कुमार, बोरिंग रोड निवासी

Posted By: Inextlive