- शहीद मेजर मनोज तलवार के पिता ने बताए वो गर्व के क्षण

- पिता बोले, अब पोता भी करेगा देशसेवा

- 527 योद्धा कारगिल वार में हुए थे शहीद

- 100 रणबांकुरे मेरठ-सहारनपुर मंडल के हुए थे शहीद

- 20 मई 1999 को शुरू हुआ था कारगिल वार

- 26 जुलाई 1999 को रणबांकुरों ने पाई थी फतह

मेरी जिंदगी में सरहद की कोई शाम आए,

काश मेरी जिंदगी मेरे वतन के काम आए,

ना खौफ है मौत का ना आरजू है जन्नत की,

मगर जब कभी जिक्र हो शहीदों का,

काश मेरा भी नाम आए.

Meerut . यकीनन, यही सपना क्रांतिधरा के वीर सपूतों का रहा है. जंग ए आजादी का बिगुल हो या फिर देश के लिए मर मिटने का जज्बा. क्रांतिधरा के रणबांकुरों ने मां भारती के ललाट के लिए अपने प्राणों की आहूति दी. कारगिल वॉर में इनमें से ही एक नाम थे मेरठ के मेजर मनोज तलवार. मेजर मनोज तलवार की कहानी आज हर बच्चे की जुबान है. उनकी बहादुरी के किस्से बच्चों के लिए प्रेरणा बन गई हैं. कारगिल के युद्ध में मेजर मनोज तलवार ने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया था.

तीसरी पीढ़ी भी तैयार

शहीद मेजर मनोज तलवार के पिता पीएल शर्मा बताते हैं कि मनोज की यादें आज भी जेहन में ताजा हैं. उसकी बातें और सेना में जाने की उसकी जिद आज भी भावुक कर देती है. शहीद मेजर मनोज तलवार की कहानी सुनाते हुए उनके पिता 82 वर्षीय रिटायर्ड कैप्टन पीएल तलवार भावुक हो उठते हैं. वे कहते हैं कि वे अब अपने पोते में बेटे की छवि देखते हैं. वे कहते हैं कि पहले बेटे ने राष्ट्रसेवा की, अब उनका पोता राष्ट्रसेवा करेगा. यानि तलवार परिवार की तीसरी पीढ़ी राष्ट्रसेवा की सीढ़ी चढ़ने को तैयार है.

सेना में जाने की रट

शहीद मेजर मनोज तलवार के पिता पीएल तलवार दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से उन यादों को साझा करते हुए भावुक हो उठते हैं. वे कहते हैं कि मनोज हमेशा सेना में जाकर देशसेवा करने की बात कहता था. सेना के तौर तरीकों और जवानों को देखकर मनोज हमेशा यही रट लगाए रहता था एक दिन वो भी देश के लिए बहुत बड़ा कार्य करेगा. पीएम शर्मा बताते हैं कि वह दोस्तों के साथ बैठकर हमेशा जंग की बातें करता था.

पहले तिरंगा फहराया, फिर शहीद

मेजर मनोज तलवार ने कारगिल वॉर में जाने से पहले अपनी मां से कहा था कि मेरा तो समर्पण देश के साथ जुड़ चुका है. अब राष्ट्रसेवा ही मेरा पहला धर्म है. 13 जून 1999 को वो कारगिल के टुरटुक सेक्टर में तिरंगा फहराते हुए दुश्मन की तोप के एक गोले की चपेट में आकर शहीद हो गए. मरणोपरांत उनको वीर चक्र से सम्मानित किया गया. उनके पिता पीएस तलवार ने बताया कि अब वो अपने पोते को भी सेना में भेजने के इच्छुक हैं.

मुजफ्फरनगर में जन्म

मूलरूप से पंजाब के जालंधर और अब मवाना रोड डिफेंस कॉलोनी निवासी सेना में कैप्टन पीएल तलवार के सुपुत्र मनोज तलवार का जन्म 29 अगस्त 1969 को मुजफ्फरनगर की गांधी कॉलोनी में हुआ था. एनडीए में सिलेक्ट होने के बाद सेना में शामिल हुए और वर्ष 1992 में कमीशन प्राप्त कर महार रेजीमेंट में लेफ्टीनेंट पद पर नियुक्त हुए. उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में हुई थी. कमांडो की विशेष ट्रेनिंग के बाद उन्हें असम में उल्फा उग्रवादियों का सफाया करने के लिए भी भेजा गया था. फरवरी 1999 में मेजर मनोज तलवार की रेजीमेंट फिरोजपुर पंजाब में तैनात हुई. इसके बाद सियाचिन में नियुक्ति हो गई थी.

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