-शाहजहां की तरह प्यार को बनाना चाहता है मिसाल

-12 साल से खुद बना रहा है मकबरा, उसी में तैयार की पत्नी और खुद की कब्र

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बेगम की याद में शाहजहां ने आगरा में ताजमहल बनवाया था। ताकि उसकी मोहब्बत दुनिया याद करती रहे। कुछ ऐसी ही सोच से प्रेरित मीरगंज के चुरई दलपतपुर गांव के एक राजमिस्त्री ने भी पत्नी के लिए मकबरा बनाने का निर्णय लिया और 12 वर्षो की अथक मेहनत के बाद अपने प्यार की निशानी को ईट-ईट चुन कर खड़ा कर दिया।

शाहजहां से ली सीख

मीरगज थाना क्षेत्र के गांव चुरई निवासी पुत्तनशाह 90 वर्षीय पेशे से राजमिस्त्री हैं। उनके चार बेटे और दो बेटियां हैं सभी बच्चों की शादी हो चुकी है। पुत्तनशाह ने बताया कि वह पत्नी हमीदन अल्वी 88 वर्षीय से अधिक प्यार करते थे। पुत्तनशाह भी हमीदन से प्यार की ताबीर लिखना चाहते थे। लिहाजा, उन्होंने मकबरा बनाना शुरू कर दिया। ताज्जुब की बात यह है कि मकबरा जैसे ही बनकर तैयार हुआ और पत्‍‌नी हमीदन अल्वी का 5 जून 1016 को बीमारी के चलते इंतकाल हो गया। पुत्तन शाह ने हमीदन को मकबरा में बनी कब्र में दफना दिया। पुत्तनशाह ने बेगम की कब्र के बगल में अपनी कब्र बना रखी है। उनका कहना है कि जब उनकी मौत होगी तो बेटे पास में बनी कब्र में उन्हें दफन करेंगे।

ये है खासियत

पुत्तनशाह ने बातचीत में बताया कि मकबरा करीब 12 साल से खुद ही बना रहे है। मकबरा तीन मंजिल बनकर तैयार हो गया है, जिसमें ग्राउंड फ्लोर पर पुत्तनशाह और पत्नी हमीदन की दो कब्र बनी हैं। फ‌र्स्ट फ्लोर पर मदरसा और इसके साथ एक लाइब्रेरी है, जिसमें सभी धर्मो की पुस्तकें उर्दू अनुवाद में उपलब्ध हैं। इसमें रामायण, गीता, कुरान और आर्यसमाज की पुस्तक सत्यकथा भी उर्दू अनुवाद में मौजूद है। इस समय लाइब्रेरी में करीब 300 अलग-अलग पुस्तकें हैं।

Posted By: Inextlive