रांची: लड़कियों की सुरक्षा के लिए रांची पुलिस ने शक्ति ऐप बनाया है. लेकिन यह ऐप आज खुद ही शक्तिहीन हो चुका है. हालात ये हैं कि कई दिनों तक शक्ति ऐप की घंटियां तक नहीं बजती हैं. महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए झारखंड पुलिस ने ये ऐप लॉन्च किया था. लेकिन कुछ शहरों को छोड़ दें तो अधिकांश जगहों व ग्रामीण इलाकों में जागरूकता के अभाव के कारण शक्ति ऐप का अच्छा रिस्पांस नहीं मिल रहा है. इस ऐप पर बहुत कम ही शिकायत दर्ज हो पा रही हैं. इसके बाद भी इस सिस्टम को ठीक करने के बजाय पुलिस की ओर से इसे नजरअंदाज ही किया जा रहा है.

घर पर ज्यादा भरोसा

कॉलेजों में काफी तामझाम के साथ अधिकारियों ने इस एप्प की जानकारी स्टूडेंट्स के साथ शेयर की थी. रांची वीमेंस कॉलेज, मारवाड़ी कॉलेज समेत कई अन्य कॉलेजों में इस एप्प से लड़कियों को जोड़ा गया. लेकिन आज लड़कियों से इसके बारे में पूछे जाने पर अधिकतर लड़कियां इस एप्प से अंजान ही नजर आती हैं. इसका मुख्य कारण ये है कि शक्ति ऐप का ऑपरेटिंग सिस्टम इतना पेंचीदा है कि कई बार जरूरत पड़ने पर इस ऐप पर शिकायत करने की बजाय लड़कियां घर वालों को ही कॉल करना ज्यादा पसंद करती हैं.

ऐप से अनजान हैं युवतियां

सुरक्षा के लिए शुरू हुई शक्ति ऐप से युवतियां अनजान हैं. राजधानी रांची में महिलाएं और युवतियां शहर में खुद को सेफ महसूस कर सकें और छेड़छाड़ की घटनाओं से खुद को बचा सकें. झारखंड पुलिस ने इसी उद्देश्य से शक्ति ऐप को लॉन्च किया था. सबसे पहले इस ऐप को जमशेदपुर में उसके बाद रांची में लॉन्च किया गया. लेकिन ज्यादातर युवतियों, महिलाओं और छात्राओं को इस ऐप के बारे में कम ही जानकारी है. उन्हें पता ही नहीं है कि उनकी सुरक्षा के लिए कोई ऐप भी तैयार किया गया है.

रांची में भी सेफ नहीं महिलाएं

शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर भी लड़कियां खुद को सेफ फील नहीं करती हैं. सर्कुलर रोड, पुरुलिया रोड, मेन रोड, पीस रोड में लड़कियों और महिलाओं के साथ छेड़खानी आम बात है. हालांकि प्रशासन ने भी महिलाओं व कॉलेज जाने वाली छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कई प्रयास शुरू किए हैं हैं, मगर सभी प्रयास बेकार साबित हो रहे हैं.

बिना स्मार्ट फोन बेकार है ऐप

रांची वूमेंस कॉलेज की कुछ छात्राओं से बात करने पर उन्होंने बताया कि सबके पास स्मार्ट फोन नहीं होता. शक्ति ऐप का आपरेटिंग सिस्टम इतना टफ है कि कई बार जरूरत पड़ने पर भी इस ऐप पर शिकायत दर्ज नहीं हो पाती है. ऐसे में वे घर में ही फोन करना ज्यादा प्रिफर करती हैं.

लेडी पुलिसकर्मी को भी नहीं पता

थानों में पदस्थ महिला पुलिसकर्मियों को भी इसकी विस्तार से जानकारी नहीं है. नाम न लिखने के शर्त पर पीसीआर पेट्रोलिंग टीम की महिला पुलिसकर्मी ने बताया कि उन्हें यह ऐप कैसे काम करता है इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. जाकर उनसे पूछिए जो इसका इस्तेमाल करती हैं.

बंद होने के कगार पर

शक्ति ऐप का अच्छा रिस्पांस नहीं मिल रहा है. रांची में ऐप के आने के बाद उम्मीद की गई थी कि इसका विस्तार अन्य जिलों में भी होगा. लेकिन हालात बता रहे हैं कि अन्य शहरों को तो छोडि़ये, राजधानी में भी शक्ति ऐप कभी भी बंद हो सकता है

Posted By: Prabhat Gopal Jha