शनि अमावस्या के दिन प्रातः/सांय काल सूर्यास्त के पश्चात् स्नान आदि के बाद ’’हरड़’’ का तेल शरीर पर लगाएं पश्चिम दिशा की ओर एक चौकी रखकर उस पर काला वस्त्र बिछाएं श्याम रंग के नीले लाजवंती के पुष्प बिछाएं तथा पीपल के पत्ते पर शनि यन्त्र स्थापित करें।

इस वर्ष 04 मई 2019 वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की दूसरी शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2019) विशेष है क्योंकि इस दिन आश्विनी नक्षत्र अपराह्न 03ः47 बजे तक रहेगा, आयुष्मान योग पूरे दिन रात रहेगा। जिन राशि वालों पर साढ़े साती या ढैय्या का प्रकोप हो, उनको शनि दोष कृत पीड़ा निवारणार्थ- काला वस्त्र, उड़द, काला पुष्प, लोहा आदि दान करते रहना चाहिए। विशेष विषम परिस्थितियों में सविधि ग्रह शान्ति कराएं।
पूजा-अर्चना का समयः-
प्रातः 08ः32 बजे से 09ः40 बजे तक शुभ के चैघड़िया मुहुर्त में,
अपरान्ह 12ः24 बजे से सांय 04ः17 बजे तक चर, लाभ, अमृत के चैघड़िया मुहुर्त में
एवं सांय काल 05ः35 बजे से रात्रि 07ः17 बजे तक लाभ के चैघड़िया मुहुर्त में।
शनिदेव की पूजा विधि
शनि अमावस्या के दिन प्रातः/सांय काल सूर्यास्त के पश्चात् स्नान आदि के बाद ’’हरड़’’ का तेल शरीर पर लगाएं, पश्चिम दिशा की ओर एक चौकी रखकर उस पर काला वस्त्र बिछाएं, श्याम रंग के नीले, लाजवंती के पुष्प बिछाएं तथा पीपल के पत्ते पर शनि यन्त्र स्थापित करें।
सरसों के तेल का दीपक, धूप जलाएं, नैवद्य चढ़ाने के लिए काले उड़द का हलवा, काले तिल से बने लड्डू, अक्षत, गंगाजल, बेल पत्र, काले रंग के फूल आदि रखें। चौकी के चारों ओर तिल के तेल से भरी कटोरियां रखें, इसमें काले तिल के दाने, एक सिक्का, एक पंचमुखी रूद्राक्ष डालें।

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शनि के मन्त्रों का जाप, साधना आदि करने के उपरान्त 07 अथवा 11 शनिवार को इन कटोरियों में अपने चेहरे की छाया देखने के बाद शनिदेव का स्मरण के साथ शनि का दान लेने वालों को दे दें। इस प्रकार पूजा अर्चना करने से दुर्घटना, गंभीर रोग, अकाल, मृत्यु, शास्त्राघात से शनिदेव मुक्त रखते हैं।
- ज्योतिषाचार्य पं. राजीव शर्मा

Posted By: Kartikeya Tiwari