मुंबई के काला घोड़ा कांड से हुआ चर्चित, इलाहाबाद में वसूलता था गुंडा टैक्स

रेलवे के दो कांट्रैक्टर्स की गुंडा टैक्स न देने पर कर चुका है हत्या

ALLAHABAD: छोटा राजन गिरोह का शार्प शूटर और इलाहाबाद के व्यापारियों और ठेकेदारों से गुंडा टैक्स वसूली करने वाला शातिर अपराधी नीरज बाल्मीकी आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया। करीब एक साल से रेलवे के कांट्रैक्टर की हत्या में वांछित होने के चलते पुलिस ने उस पर 15 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा था। रीसेंटली उसका नाम सिविल लाइंस में स्थित कॅरियर कोचिंग में गुंडा टैक्स के लिए ताबड़तोड़ फायरिंग में सामने आया था। पुलिस ने उसके पास से असलहा और कारतूस भी बरामद किया है।

लोको काम्प्लेक्स से दिखाई गिरफ्तारी

नीरज वाल्मीकी की गिरफ्तारी सिविल लाइन थाने की पुलिस ने रेलवे स्टेशन स्थित लोको कॉम्प्लेक्स से दिखाई है। पुलिस के अनुसार उसका एक साथी भागने में सफल रहा। एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने पुलिस लाइन में नीरज को मीडिया के सामने पेश किया। पुलिस के अनुसार नीरज ने बताया है कि 2005 में वह पहली बार आ‌र्म्स एक्ट में जेल गया था। जेल में उसकी दोस्ती अपराधी विष्णु रंजन गुप्ता से हुई। कई अन्य अपराधियों के सम्पर्क में आया। इन्हीं से उसे मुंबई में सक्रिय छोटा राजन गिरोह के सदस्यों का कांटैक्ट मिला। उनसे फोन पर बात हुई तो जेल से छूटने के बाद वह मुंबई निकल गया। यहां गैंग में शामिल करने की शर्त रखी गई ड्रग्स डीलर अहमद हुसैन की हत्या। 2006 में इस टारगेट को पूरा करके वह गैंग का भरोसेमंद बन गया। इसे काला घोड़ा कांड के नाम से भी जानते हैं। इसके बाद उसे अजय घोषालिया को मारने की सुपारी दी गई थी। संयोग से हत्या को अंजाम देने से पहले ही वह मुम्बई पुलिस की गिरफ्त में आ गया। जेल से जमानत पर छूटा तो इलाहाबाद आ गया।

रेलवे ठेकेदार थे निशाने पर

पुलिस के अनुसार इलाहाबाद आकर नीरज ने एमईएस के ठेकेदारों को अरदब में लेना शुरू कर दिया। मकसद था रंगदारी वसूलना। उसने सबसे पहले पिंकी गुप्ता नामक रेलवे ठेकेदार को अपना शिकार बनाया। पिंकी उसे कई बार छोटी-बड़ी रकम दे चुके थे। बड़े एमाउंट की मांग आने पर पिंकी ने रंगदारी देने से मना कर दिया तो नीरज ने पिंकी की गोली और बम मारकर हत्या कर दी। इसके बाद ठेकेदारों से वसूली का रास्ता आसान हो गया। पिंकी हत्याकांड में सिविल लाइन के रहने वाले रेलवे के बड़े ठेकेदार प्रताप सिंह गवाह थे। नीरज उन्हें भी सेट करना चाहता था लेकिन प्रताप न तो पैसा देने के लिए थे और न ही गवाही से पीछे हटने के लिए। नीरज ने उन्हें कई बार धमकी दी। इस चक्कर में कई बार प्रताप से कहासुनी भी हुई। इसके बाद नीरज को लगने लगा कि इससे उसका गुंडा टैक्स वसूली का धंधा प्रभावित हो जाएगा तो उसने 2016 में झूंसी रेलवे स्टेशन के बाहर प्रताप सिंह को गोलियों से छलनी कर लिया। इस काम में उसका साथ शनि, शिवा, मंगल व राजू ने दिया था। इस घटना में उसका नाम सीधे आया तो पुलिस पीछे पड़ गई। पुलिस से बचने के लिए वह कई प्रदेश और शहरों में अलग-अलग नाम से रहा। साथी उसके नाम से गुंडा टैक्स वसूलते थे। कॅरियर कोचिंग मामले के बाद पुलिस से उसे पकड़ने को टास्क बना लिया था।

Posted By: Inextlive