एडीजी जोन और एसएसपी के 'रेट' का कथित खुलासा करना बुलंदशहर के डिबाई थाने में तैनात एसएचओ परशुराम को महंगा पड़ गया। किसी परिचित से वाट्सएप चैट के दौरान ट्रांसफर-पोस्टिंग के रेट बताने वाले एसएचओ परशुराम को एसएसपी ने तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने का आदेश दिया है।


परिचित से हो रही थी चैटिंगlucknow@inext.co.inLUCKNOW : बुलंदशहर के डिबाई थाना के एसएचओ परशुराम की किसी परिचित से वॉट्स एॅप पर चैटिंग सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। वाट्सएप चैट के स्क्रीन शॉट में एसएचओ परशुराम ने बताया था कि उन्होंने नोएडा से बुलंदशहर ट्रांसफर करवाने के लिये एडीजी जोन प्रशांत कुमार 50 हजार रुपये देने पड़े थे। परिचित के पूछने पर कि उनके होते हुए रुपये क्यों लगेंगे, के जवाब में परशुराम ने लिखा कि योगी सरकार है, हर जगह पैसा चल रहा है। परिचित ने किसी विजय कुमार का डिस्ट्रिक्ट चेंज कराने को कहा तो परशुराम ने लिखा कि वह विजय को बोल दें कि एक लिफाफे में 50 हजार रुपये और दूसरे लिफाफे में एप्लीकेशन एडीजी कैंप ऑफिस में बाबू जी को दे आए। उन्होंने बाबू को अपना रिफरेंस देने को भी कहा।
तीन लाख देने पर मिला चार्ज


परिचित ने परशुराम से आगे पूछा कि एसएसपी बुलंदशहर कृष्णा जी भी पैसा लेते हैं क्या। इसके जवाब में परशुराम ने लिखा कि 'पैसा कौन नहीं लेता, बस माध्यम पता होना चाहिये। कोई भी डायरेक्ट नहीं लेता। उन्होंने खुद के चार्ज मिलने पर भी खुलासा किया। आगे लिखा कि एसएसपी के जानकार को तीन लाख रुपये दिये तो अगले ही दिन थाने का चार्ज मिल गया। आगे चैटिंग में परशुराम ने परिचित को उनके पास आने पर घड़ी ले आने की ताकीद की थी। मचा हड़कंप तो कर दिया सस्पेंडएसएचओ की चैटिंग सोशल मीडिया पर वायरल होने पर डीजीपी मुख्यालय समेत पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। रिश्वतखोरी के आरोप से घिरे एसएसपी बुलंदशहर कृष्ण बहादुर सिंह ने आनन-फानन परशुराम सिंह को 'भ्रामक व असत्य' तथ्यों का उल्लेख वाट्सएप चैट में करने का दोषी पाते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया। साथ ही उन्हें पुलिस लाइन से संबद्ध कर दिया गया। इसके अलावा एसएसपी सिंह ने पूरे मामले की प्रारंभिक जांच एएसपी ग्रामीण बुलंदशहर को सौंपते हुए सात दिन में रिपोर्ट तलब की है।  रिश्वत के आरोप पर जीरो टॉलरेंस

बुलंदशहर में एडीजी जोन व एसएसपी पर रिश्वत वसूलने का आरोप कोई पहला मामला नहीं है, जिसमें आरोप लगाने वाले को ही बिना जांच दंड का भागी बनना पड़ा हो। इससे पहले भी पुलिस अधिकारियों पर रिश्वत के संगीन आरोप लगते रहे हैं लेकिन, उनक आरोपों को तरजीह न मिली। वहीं, अगर आरोप लगाने वाला कोई पुलिस विभाग का इंस्पेक्टर, दारोगा या सिपाही हुआ तो उस पर कार्रवाई होना तय माना जाता है। पिछले साल आगरा के तत्कालीन एसपी क्राइम आनंद कुमार पर जमीन के एक मामले में पांच लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगा। शिकायतकर्ता ने अपने आरोप के पक्ष में दो वीडियो क्लिप तत्कालीन एसएसपी प्रीतिंदर सिंह को सौंपी थीं। आरोप का वीडियो वायरल हुआहालांकि, महज 24 घंटे की जांच में एसपी पर लगे आरोप 'गलत ' पाए गए और उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। इसी तरह पिछले ही साल बरेली में टीआई वीके शर्मा ने एसपी ट्रैफिक कमलेश बहादुर पर दो लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। टीआई शर्मा ने इसका तस्करा जीडी में भी दर्ज कर दिया। पर, आरोपों की जांच के बजाय टीआई शर्मा को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया और एसपी ट्रैफिक को क्लीन चिट दे दी गई। इसी साल बाराबंकी के एसपी पर एक कॉन्सटेबल के रिश्वत लेने के आरोप का वीडियो वायरल हुआ था। इस मामले में भी कॉन्सटेबल को सस्पेंशन का दंड भुगतना पड़ा था।फिर पिट गई पुलिस, पीआरपी जवान का फोड़ा सिर

अब कप्तान तय करेंगे किन थानों में तैनात होंगे एडिशनल इंस्पेक्टर्स

Posted By: Shweta Mishra