- जेल के सामने लगती दुकान, मुलाकाती करते खरीदारी

- रोजाना चार से पांच सौ लोग पहुंचते, चल जाती रोजी-रोटी

GORAKHPUR: जेल में बंदियों की मुलाकात कुछ लोगों के लिए चूल्हे-चौके का इंतजाम करती है। मंडलीय कारागार के सामने रोजाना मेले का माहौल रहता है। जेल में बंद लोगों से मिलने पहुंचने वाले लोग पेड़ों की छाया में अपनी बारी का इंतजार करते हैं। इस दौरान लोगों के भूख-प्यास लगने पर ठेलों पर चल रही दुकानें जरूरत का सामान उपलब्ध कराती हैं। कभी-कभी मुलाकाती इन्हीं दुकानों से बंदियों के खाने-पीने का सामान भी लेकर जेल पहुंचते हैं। वरिष्ठ जेल अधीक्षक का कहना है कि कुछ लोग ठेले पर दुकान लगाते हैं। इसी से उनकी रोजीरोटी चलती है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल के बाहर कुछ लोग दुकान लगाते हैं। इससे उनकी थोड़ी बहुत आय हो जाती है।

सामान बेच कमा लेते दो-तीन सौ रुपए

जेल में मुलाकात के लिए दोपहर में इंट्री दी जाती है। इसके पूर्व उनकी पर्ची बनाने से लेकर जांच पड़ताल की प्रक्रिया की होती है। तमाम लोग पर्ची लगाने के लिए सुबह ही परिवार संग पहुंच जाते हैं। जेल के बाहर बने छोटे मुलाकाती हॉल सहित पेड़ों की छाया और अन्य जगहों पर बैठकर लोग गेट खुलने का इंतजार करते हैं। ऐसे में लोगों को जब गुटखा-पान, सिगरेट, पानी, कोल्ड ड्रिंक, मिठाई सहित अन्य सामानों की जरूरत पड़ती है तो वहीं ठेले वालों से खरीदारी करके काम चला लेते हैं। बंदियों से मिलने वाले ज्यादातर लोग पहले से सामान लेकर पहुंचते हैं। लेकिन यदि कोई किसी वजह से कुछ खरीद नहीं पाया तो वह गेट के सामने की दुकान से बिस्कुट, नमकीन, भूजा, लाई खरीद लेता है। ऐसे में वहां दुकान लगाने वाले चार-पांच लोगों की कमाई हो जाती है। एक दिन में हर कोई दो से तीन सौ रुपए कमा लेता है। सोमवार को मुलाकात कम होने से दुकानदारों का सामान नहीं बिका। इससे सभी दुखी नजर आए। पूछने पर डरते हुए कहा कि कोई नुकसान मत करिएगा। ज्यादातर लोग सामान साथ लेकर आते हैं। कभी-कभार दो-तीन सौ रुपए मिल जाते है। लेकिन आज आमदनी नहीं हो पाई।

रोजाना चार से पांच सौ मुलाकाती, लगी रहती भीड़

मंडलीय कारागार में गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, आजमगढ़, मऊ सहित कई जनपदों के बंदी हैं। करीब 19 सौ बंदियों में रोजाना कम से कम डेढ़ से दौ सौ रुपए की मुलाकात लगती है। इन बंदियों से मिलने के लिए रोजाना चार से पांच सौ लोग पहुंचते हैं। उनमें ज्यादातर लोग अपने परिचितों के लिए घर से बना खाने का सामान ले आते हैं। गिनेचुने लोग ही जेल के बाहर खरीदारी करते हैं। जेल के आसपास कोई अन्य दुकान न होने से लोग वहीं सामान लेते हैं।

बढ़ी निगरानी, सीसीटीवी कैमरों पर नजर

जेल में होने वाली गतिविधियों को देखते हुए जेल प्रशासन ने सीसीटीवी कैमरों के जरिए निगरानी शुरू कर दी है। करीब 32 कैमरों को एक्टिव कर दिया गया है जिसका मॉनीटर वरिष्ठ जेल अधीक्षक के कमरे में लगा हुआ है। सीसीटीवी के जरिए जेल की बाउंड्री, वॉच टॉवर, मेस, कैंपस, मुलाकाती इंट्री, बैरकों पर नजर रखी जा रही है। सोमवार को जेल कैमरे काम करते नजर आए। जेल अधिकारियों ने बताया कि हाल के दिनों में अन्य जेलों में हुई घटनाओं को देखते हुए निगरानी बढ़ा दी गई है।

जेल में बंदियों की तादाद

बंदी क्षमता सिद्धदोष विचाराधीन

पुरुष 750 241 1522

महिला 22 15 70

विदेशी 05

बच्चे 13

कुल क्षमता - 822

वर्तमान में तादाद- 1866

मुलाकात का नियम

विचाराधीन बंदियों से मुलाकात हफ्ते में तीन दिन होती है।

सिद्धदोष बंदी से मुलाकात माह में दो दिन होती है।

इन दिनों पर नहीं होती मुलाकात

प्रत्येक शनिवार, 26 जनवरी, 15 अगस्त, बारावफात, होली, दशहरा, बसंत पंचमी, चहेल्लुम, गांधी जयंती, मोहर्रम, ईद उल जुहा, दीपावली, गुड फ्राइडे, ईद, महाशिवरात्रि, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी और क्रिसमस डे।

वर्जन

जेल के बाहर कुछ लोग अस्थाई रूप से दुकानें लगाते हैं। उनसे मुलाकाती खरीदारी करते हैं। कुछ लोग काफी लंबे समय से ठेला लगा रहे है। उनकी स्थिति को देखते हुए कोई रोकथाम नहीं की जाती।

- एसके शर्मा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक

Posted By: Inextlive