'डॉक्टर' बनने के ख्वाब पर एमसीआई का कहर
RANCHI : मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट क्वालिफाई करनेवाले सैकड़ों स्टूडेंट्स का करियर अधर में है। एमसीआई के सख्त तेवर और सरकारी की लापरवाही से कई स्टूडेंट्स का 'डॉक्टर' बनने का सपना टूट सकता है। राज्य के दो मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या पहले की तुलना में आधी करने व नए सिरे से काउंसलिंग की वजह से ऐसी सिचुएशन पैदा हो रही है। यही वजह है कि झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा पिछले गुरुवार को मेडिकल की री-काउंसलिंग के दौरान अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया था। ऐसे में पर्षद ने री-काउंसलिंग स्थगित कर दी। अब काउंसलिंग कब से शुरु होगी, इसपर भी सस्पेंस बन गया है।
अनशन पर बैठे थे स्टूडेंट्सझारखंड के तीनों मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की सीटों को लेकर विवाद पिछले दो सालों से चला आ रहा है। पिछले साल रिम्स रांची, एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर और पीएमसीएच धनबाद के 350 सीटों के लिए काउंसलिंग हुई थी। काउंसलिंग के उपरांत स्टूडेंट्स को कॉलेज भी अलॉट कर दिए गए थे। स्टूडेंट्स ने एडमिशन भी ले लिया था। लेकिन, इसी बीच मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या कम कर दी। कई स्टूडेंट्स के एडमिशन कैंसिल कर दिए गए। ऐसे में एडमिशन कैंसिल किए जाने के विरोध में सैकड़ों स्टूडेंट्स आमरण अनशन पर बैठ गए थे.आखिरकार सीटों की संख्या कम करने के फैसले वापस लिए गए।
री-काउंसलिंग में घटा दी सीटें झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (जेसीईसीई) की ओर से इस साल 350 सीटों के लिए काउंसलिंग 10 जून को आयोजित की गई थी। काउंसलिंग की बेसिस पर स्टूडेंट्स को कॉलेज अलॉट कर दिए गए थे। लेकिन, जबतक स्टूडेंट्स एडमिशन की प्रक्रिया पूरी करते, पर्षद ने काउंसलिंग रद करने की घोषणा कर दी। बताया गया कि फिर से काउंसलिंग कराई जाएगी। री-काउंसलिंग की तारीख 21 जून निर्धारित की गई, लेकिन सीटों की संख्या को 350 से घटाकर 250 कर दी गई। रिम्स की सीटों में तो कोई कटौती नहीं की गई, लेकिन पीएमसीएच धनबाद और एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर में सीटों की संख्या को 100-100 से घटाकर 50-50 कर दी गई। सीटों की संख्या कम किए जाने के विरोध में स्टूडेंट्स व उनके अभिभावकों ने मौके पर विरोध-प्रदर्शन किया। इसके बाद काउंसलिंग स्थगित कर दी गई। स्टूडेंट्स को नहीं दी गई जानकारीराज्य में मेडिकल की कितनी सीटों पर काउंसलिंग होनी है, इसकी सही से जानकारी जेसीईसीई की ओर से स्टूडेंट्स को नहीं दी जाती है। इस साल मेडिकल काउंसलिंग दो बार कैंसिल करनी पड़ गई। इसकी वजह राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या को लेकर बनी कंफ्यूजन रही। पहले 350 सीटों के लिए काउंसलिंग हुई, पर बाद में सीटों की संख्या सौ घटाकर 250 कर दी गई। ऐसे में जिन स्टूडेंट्स को कॉलेज अलॉट कर दिया गया था, उनके करियर पर सस्पेंस पैदा हो गया। अब देखना कि आगे घटी हुई सीटों के लिए काउंसलिंग होती है या सीटों की संख्या पहले की तरह बरकरार रहती है।
सीट नहीं घटाने का मिला था आश्वासन राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेज में सीटों की संख्या को लेकर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से इस साल जून में मिले थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वासन दिया था कि झारखंड के मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या नहीं घटाई जाएगी। ऐसे में पहले की ही तरह 350 सीटों के लिए एडमिशन प्रक्रिया शुरु हुई। पहली बार काउंसलिंग तक यही स्थिति थी, लेकिन एमसीआई ने अचानक सीटों की संख्या कम कर दी। ऐसे में पर्षद को घटी हुई सीटों के लिए री-काउंसलिंग आयोजित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सीटों की संख्या पर होता रहा है खेलएमसीआई की अनुशंसा पर सेंट्रल गवर्नमेंट ने 2013-14 सेशन के लिए राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेज में सीटों की संख्या में इजाफा एक साल के लिए किया था। इसके तहत रिम्स में सीटों की संख्या को 90 से बढ़ाकर 150 और एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर व पीएमसीएच धनबाद में सीटों की संख्या 50-50 से बढ़ाकर 100-100 कर दी गई थी। लेकिन, 2014-15 सेशन के लिए बढ़ी हुई सीटों पर एडमिशन लेने पर एमसीआई ने रोक लगा दी। एमसीआई ने रिम्स मे 90 और एमजीएम जमशेदपुर व पीएमसीएच धनबाद में 50-50 सीटों पर ही एडमिशन लेने की परमिशन दी, पर राज्य सरकार के निर्देश पर यहां बढ़ी हुई सीटों के हिसाब से काउंसलिंग ली गई। स्टूडेंट्स ने अलॉट किए गए कॉलेज में एडमिशन भी ले लिया था कि एमजीएम जमशेदपुर और पीएमसीएच धनबाद में सीटों की संख्या आधी कर दी गई। ऐसे में स्टूडेंट्स का विरोध-प्रदर्शन शुरु हो गया था।
स्टूडेंट्स का लंबा चला था आंदोलनसीटों की संख्या घटा देने के बाद स्टूडेंट्स एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर और पीएमसीएच धनबाद में कई स्टूडेंट्स के एडमिशन कैंसिल कर दिए गए। ऐसे में स्टूडेंट्स ने आंदोलन करने का फैसला किया। राजभवन के पास वे आमरण अनशन पर बैठ गए। दस दिनों तक धरना-प्रदर्शन का दौर चलता रहा। अनशन के दौरान दो स्टूडेंट्स की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें हॉस्पिटल के आईसीयू में एडमिट करना पड़ा था। स्टूडेंट्स से मिलने के लिए सरकारी महकमे से जुड़े लोग आए और आश्वासन देकर चले गए। स्टूडेंट्स ने सीएम से लेकर पीएम तक को लेटर भेजा। मामले ने जब ज्यादा तूल पकड़ा तो सरकार ने एमसीआई से सीट की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया, तब जाकर स्टूडेंट्स का फिर से दाखिला मेडिकल कॉलेज में हो पाया था।
हेल्थ सेक्रेटरी बोले, ऑफिस आकर बात कीजिए मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या कम किए जाने के मामले से सरकार भी पल्ला झाड़ रही है। इस बाबत स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इसमें हम क्या कर सकते हैं। सीटों की संख्या को लेकर परेशानी पिछले साल की ही जैसी है। इस बाबत जब हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के विद्यासागर के मोबाइल नंबर पर जब कॉल किया गया तो उन्होंने इसे रिसीव नहीं किया। बाद में मैसेज कर कहा कि जो भी बात करनी है, ऑफिस में आकर कीजिए। ऐसे में सहज ही समझा जा सकता है मेडिकल की पढ़ाई करने की ख्वाहिश रखनेवाले स्टूडेंट्स के सपने के साथ यहां किस तरह मजाक किया जा रहा है। यह है पूरा मामला जेसीईसीई ने राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए इस साल 21 जून को काउंसलिंग कर बढ़ी हुई सीटें स्टूडेंट्स को अलॉट कर दी थी। बाद में एमसीआई द्वारा पीएमसीएच धनबाद और एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर की सीटें सौ-सौ से घटाकर पचास-पचास कर देने के बाद पहले हुई काउंसलिंग को रद कर दी गई। इसके बाद री-काउंसलिंग की तारीख 20 अगस्त निर्धारित की गई। इस दिन री काउंसलिंग और सीटों की संख्या घटाने के विरोध में स्टूडेंट्स व उनके अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया।