अगर आप इसे कोई मजाक या बिजार खबर मान रहे हैं तो अपने ख्‍याल दुरुस्‍त कर लें ये उत्‍तरी भारत के लिए एक विकराल सवाल है जो उनके दरवाजे पर दस्‍तक दे रहा है यहां दूल्‍हे तो हैं पर दुल्‍हन उन्‍हें भारत में अपने शहर ही नहीं राज्‍य से कई हजार किलोमीटर दूर यात्रा करके दूसरे इलाकों से पत्‍नी लानी पड़ रही है जो उनकी भाषा तक नहीं जानती। जिसके चलते अब उत्‍तर से दूर दक्षिणी राज्‍यों तक बहुओं की तलाश में जाने की कवायद शुरू हो गयी है।

बेटों की चाह में गायब हुई बेटियां
बेशक अब उत्तर भारत के कई राज्यों में सेक्स डिटरमिनेशन टैस्ट बैन कर दिया गया हो लेकिन शुरू में इसका चलन बहुत ज्यादा था और बेटों की चाह में बेटियों की भ्रूण हत्या तेजी हुई। चोरी छुपे अब भी कई जगहों पर ऐसा होने की खबरें आती रहती हैं। जिसका नतीजा ये हुआ कि बीते 8 से 10 सालों में बेटियों की जन्म दर तेजी से गिरी और उसका असर अब देखने में आने लगा है जब बेटों के लिए उनकी जीवनसाथी मिलनी बेहद मुश्किल हो गयी है।
हरियाणा का छोरा केरल की दुल्हन
जीहां पिछले कई सालों से लड़कियों की घटती जनसंख्या ने हालात खासे खराब कर दिए हैं और अब ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल रहे हैं खास कर हरियाणा जैसे राज्य में जहां वाकई लड़कियां ना के बराबर हैं। इन इलाकों के लड़के दक्षिणी राज्यों तक पुहंचे अपने लिए पत्नी की तलाश में और कई घरों में केरल से ब्याह कर बहुयें आयी हैं। जब ये शादियां हुई तब ये नवविवाहतें अपने ससुराल में लोगों की भाषा तक नहीं समझती थीं ना अपनी भाषा बोल पाती थीं ना उनकी समझ पाती थीं। हालाकि कई ऐसी लड़कियों से बात करने पर उन्होंने बताया कि काफी साल बीतने के बाद अब वो ठेठ हरियाणवी में बात भी करती हैं और समझ भी लेती हैं। 

दहेज की सम्स्या से बचने का दिखाया रास्ता  
हालाकि इस का एक अच्छा पहलू भी है इससे शादियों में लंबे चौड़े दहेज की मांग पर रोक लग सकी है। जैसे हरियाणा के सोरखी गांव के साधूराम बेरवाल एक ऐसे ही शख्स हैं जिन्होंने जब शादी करने का इरादा किया तो उन्हें अपने गांव या आसपास रिश्तेदारों की जानकारी में अपने मैच की कोई ऐसी लड़की नहीं मिली जिसे वो अपनी पत्नी बना सकते। अतत उन्होंने केरल की अनीता को अपनी जीवन साथी बनाया जो ना यहां की परंपरायें जानती थी ना भाषा। बरहाल अब वो हरियाणवी बोलना सीख चुकी हैं और दो बचचों की मां हैं। उन्होंने ही केरल की श्रीजा की शादी भी अपने पड़ोसी बीरबल से करवायी। श्रीजा अपने परिवार की चार बेटियों में से एक थी और उसकी शादी मां के लिए बड़ा सवाल थी क्योंकि उसके पिता की आंखे बीमारी में जा चुकी थीं और परिवार का ख्याल रखना मुश्किल था। इन दोनों की ही शादियां हरियाणा के लड़कों से बिना किसी दहेज और भरी खर्चे के हो गयी क्योंकि लड़के वालों ने शादी के तमाम खर्चों की जिम्मेदारी भी खुद ही उठायी। 

बुरे असर भी हैं
लड़कियों की संख्या घटने का ये इकलौता अच्छा इफेक्ट है वरना तो इसके बुरे असर ही ज्यादा हैं। एक तो परिवारों में संतुलन बिगड़ रहा है दूसरे हर किसी के लिए तो इतनी दूर से बहू या पत्नी लाना संभव नहीं है। जाहिर सी बात है इसके चलते अपहरण मानव तस्करी के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। लड़कियों के अपहरण कर उन्हें देह व्यापार के लिए बेच देने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके अलावा अगर भारतीय राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर भरोसा करें तो 2013 में 15 से 30 वर्ष की तकरीबन 25000 लड़कियों को देश के विभिन्न राज्यों से अपहरण करके विवाह बाजार में बेचा गया। इसके अलावा भी नौकरी और या शादी का झांसा देकर लड़कियों को पंजाब और हरियाणा के देह बाजार में बेच दिया गया है।

Hindi News from India News Desk

Posted By: Molly Seth