फंड की कमी नहीं पर संसाधनों का है टोटा
-पटना निगम के पास टेंडर होने के बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ा है काम
-पीएमसी से है नाराज हैं पार्षद, करोड़ों रुपए की मशीन खा रही है जंगPATNA : पटना नगर निगम के पास फंड की कमी नहीं है पर निगम कर्मी संसाधनों के कमी का रोना रोते हैं। यही वजह है कि आए दिन राजधानी की सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है। हल्की सी बारिश होने के बाद निगम की पोल खुल जाती है। शहर की ऐसी स्थिति होने पर निगम अधिकारी से जब पूछा जाता है तो कहते हैं- 'हमारे पास संसाधनों की कमी है' और कमियों को जल्द पूरा कर लेने का झूठा आश्वासन भी दे देते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। निगम न जाने पिछले कितने सालों से सिर्फ संसाधन खरीदने की बात कर रहा है, लेकिन आज तक पूरे संसाधन की आपूर्ति नहीं हो सकी है। सवाल उठता है कि निगम के पास जो करोड़ो की मशीने हैं उनकी स्थिति आखिर जर्जर क्यों है? वहीं जो मशीनें ठीक है उससे काम क्यों नहीं किया जाता? आखिर निगम, कब तक यूं ही संसाधनों का रोना रोएगा इसका कोई प्रोपर सॉल्यूशन क्यों नहीं निकाला जाता।
कहां गया हैंड फॉगिंग मशीनपटना नगर निगम ने प्रत्येक वार्ड को एक-एक हैंड फॉगिंग मशीन उपलब्ध कराया था, लेकिन आज की तारीख में किसी भी वार्ड में यह मशीन नहीं है। इसका हवाला दिया जा रहा है कि देखरेख के अभाव में मशीन खराब हो चुकी है। वहीं निगम के पास सिर्फ एक बड़ी फॉगिंग मशीन है, बाकि दो मशीन पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं और लगभग 8-क्0 मशीनों की जरूरत है जिसे अभी तक खरीदा नहीं गया है।
निगम की लाचारी या लापरवाही?पटना नगर निगम के पास संसाधनों की इतनी कमी है कि यहां पर दिन भर काम करने के बाद भी कई कमियां रह ही जाती हैं। नूतन अंचल के लिए निगम के पास सिर्फ एक जेसीबी है, पांच कॉम्पेक्टर है जिसमे से चार ही चालू है। फ्8 एचपी के एक ही पंप है जो डेड है। साथ ही सिर्फ क्म् ट्रेक्टर हैं जो मेंटेनेंस नहीं होने के कारण बेकार पड़े हैं। इतना ही नहीं निगम लगातार मैनपॉवर की कमी का रोना भी रोता है। अब इसे क्या कहेंगे की फंड होते हुए भी खराब मशीनों का मेंटेनेंस नहीं किया जा रहा या जरूरत के हिसाब से नए मशीनों की खरीदारी नहीं हो रही। इसे निगम की लाचारी कहेंगे या फिर लापरवाही। नगर निगम के सीटी मैनेजर अरविंद ने बताया कि संसाधनों की खरीददारी के लिये मुख्यालय जिम्मेवार है। वो ही पॉलिसी मेकर है, हमे जो संसाधन मिल रहा है वह काफी नहीं है, लेकिन फिर भी इसी से काम हो रहा है।
मशीनों की ठीक नहीं रहने की वजह नगर निगम के पास वैसे तो बहुत सारी मशीनें नहीं है, लेकिन जो मशीनें है उसकी भी मेंटेनेंस नहीं किया जाता। मशीनों की सही देख-रेख न होने से और समय पर सर्विसिंग नहीं कराने से कई मशीन खराब हो गई है। तीनों अंचलों में सही नहीं है इंतजाम राजधानी पटना को तीन अंचल में बांटा गया है ताकि इसकी बेहतर सफाई व्यवस्था की जा सके। इसमे नूतन राजधानी अंचल सबसे बड़ा अंचल माना जाता है जिसमे ख्9 वार्ड आते हैं। वहीं अन्य अंचल है बांकेपुर अंचल और सीटी अंचल। वहीं नगर निगम ने दावा किया है कि इस माह जरूरत के अनुसार सभी सामानों की खरीदारी पूरी की ली जाएगी। क्भ् अगस्त के पहले खरीदारी का दावा निगम ने किया है। आखिर कहां रहेगा मशीननिगम लगातार मशीनों की खरीददारी के लिये टेंडर निकाल रहा है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर इन मशीनों को खरीदने के बाद इसे रखा कहां जाएगा। अभी निगम के पास जो भी संसाधन है उसे अच्छे तरीके से रखने की जगह तक नहीं है।
पार्षदों की शिकायत - कचरा उठाने वाले ट्रैक्टर की संख्या में कमी है। - संसाधनों की कमी की वजह काफी प्राब्लम होती है। - जरूरत के हिसाब से डीजल नहीं मिलता। - डोर टू डोर कचरा उठाव कब शुरू होगा? ट्रैक्टरों में तेल इतना कम दिया जाता है कि इससे दिन भर में मुश्किल से एक ही ट्रीप हो पाता है। -पिंकी कुमारी, वार्ड पार्षद प्रत्येक कचरा उठाने वाले टै्रक्टर को ़क्0 लीटर तेल दिया जाता है जिससे वो चार से पांच ट्रीप करते है। अगर कोई तेल की कमी की बात करता है तो वह गलत है। -अरविंद, सीटी मैनेजर, निगम निगम जल्द ही मिनी कॉपेक्टर खरीदने जा रहा है और इसे लेकर लगभग तैयारियां पूरी कर ली गयी है। सफाई को लेकर जो भी प्राब्लम होती है उसे जल्द दूर कर लिया जाएगा। - जयसिंह, नगर आयुक्त, पीएमसी