- ऐडेड डिग्री कॉलेजों में टीचर्स की भारी कमी, गेस्ट फैकल्टी से क्लासेस चल रही

- उच्च शिक्षा आयोग सत्ताधारी दल की कठपुतली बना, ज्यादातर मामले कोर्ट में

KANPUR:

छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी के ऐडेड कॉलेजों में टीचर्स की जबरदस्त कमी है। कॉलेजों में 50 परसेंट तक टीचर्स की सीटें खाली पड़ी हुई हैं। यहीं नहीं यूनिवर्सिटी का एक मात्र जिओलॉजी डिपार्टमेंट जो कि पीपीएन कॉलेज में चल रहा था। वहां भी ताला लग गया है। टीचर्स की नियुक्ति के लिए हायर एजुकेशन कमीशन बनाया गया था, लेकिन कमीशन की कार्यप्रणाली ऐसी रही कि जो भी नियुक्तियां की गई वो कोर्ट में चैलेंज कर दी गई। इसकी मुख्य वजह यह है कि सत्ताधारी दल उच्च शिक्षा आयोग में अपने चहेते को कुर्सी सौंप देता है। जिसके बाद वहां नियुक्तियों में खेल शुरू हो जाता है।

कहीं हिस्ट्री भी हिस्ट्री न बन जाए

पीपीएन कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। एसके गुप्ता ने बताया कि कॉलेज में टीचर्स की सेक्शन पोस्ट 89 हैं और इस टाइम 53 टीचर्स कॉलेज में कार्यरत हैं। हिस्ट्री डिपार्टमेंट गेस्ट फैकल्टी की सहारे चल रहा है। डीएवी कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ। रेखा शर्मा ने बताया कि कॉलेज में करीब 18 हजार स्टूडेंट्स हैं। परमानेंट फैकल्टी की सेंक्शन पोस्ट करीब 300 हैं। जबकि कॉलेज में इस टाइम परमानेंट टीचर्स 158 कार्यरत हैं। मानदेय में भी करीब 107 टीचर्स काम कर रहे हैं। सांख्यकीय डिपार्टमेंट में एक भी परमानेंट टीचर नहीं है। मानदेय के टीचर डिपार्टमेंट चला रहे हैं।

आयोग से टीचर्स नहीं मिले

डीबीएस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि कॉलेज में शिक्षकों के स्वीकृत पद करीब 178 हैं। इस टाइम करीब 88 परमानेंट फैकल्टी कार्यरत है। मानदेय व गेस्ट फैकल्टी के सहारे क्लासेस कराई जा रही हैं। जुहारी देवी पीजी कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ। बेबीरानी अग्रवाल ने बताया कॉलेज में टीचर्स की सेंक्शन पोस्ट 39 हैं। जिसमें 29 टीचर्स परमानेंट वर्क कर रही हैं। संगीत डिपार्टमेंट में एक भी टीचर नहीं है। वहीं वीएसएसडी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। एएस भटनागर ने बताया कि स्वीकृत पोस्ट करीब 150 हैं। इस टाइम परमानेंट 82 फैकल्टी कार्यरत है। कुछ टीचर्स निश्चित मानदेय पर कार्यरत हैं। टीचर्स की कमी से क्वालिटी बेस एजुकेशन नहीं दी जा सकती है। आयोग से काफी टाइम से टीचर्स की नियुक्ति नहीं हुई है।

आयोग का गठन 1980 में हुआ

उच्च शिक्षा आयोग का गठन शिक्षा की बेहतरी के लिए इयर 1980 में किया गया था। करीब चार साल तक आयोग कोई काम नहीं कर पाया। इस बीच जो भी एडहॉक नियुक्तियां की गई उसे रेगुलर किया गया। इयर 1991 तक जो तदर्थ नियुक्तियां डिग्री कॉलेज मे हुई उन्हें रेगुलर किया गया। आयोग के सही काम न कर पाने की वजह से इयर 1998 में निश्चित मानदेय पर टीचर्स को नियुक्त किया गया यह प्रक्रिया इयर 2006 तक चली।

रिपोर्ट में करप्शन का जिक्र

आयोग ने करीब 35 साल के पीरियड में 1500 प्रिंसिपल व टीचर्स की नियुक्तियां की हैं। आयोग के नियुक्ति के ज्यादातर मामले कोर्ट में चैलेंज किए गए हैं। आयोग पर करप्शन के भी गंभीर आरोप लगे हैं। सीनियर आईएएस बादल चटर्जी से एक मामले की जांच शासन ने कराई थी जिस पर आईएएस ने रिपोर्ट दी थी कि आयोग में कदम कदम पर करप्शन है।

कोर्ट ने कई बार दखल दिया

हकीकत यह है कि सत्ताधारी दल का आयोग में पूरी तरह से दखल होता है। अक्सर कोर्ट में मामले पहुंचते हैं। जिसमें आयोग के मेंबर्स व चेयरमैन पर गाज गिरती है। हाल ही में आयोग के तीन मेंबर आरबी यादव, रूदल यादव, अनिल कुमार यादव को कोर्ट ने बेदखल किया है। इसके पहले लालबिहारी पांडेय पर भी गाज गिरी थी। आयोग की पूरी कार्य प्रणाली हमेशा से ही संदेह के घेरे में रही है। जब भी कोर्ट में मैटर को चैलेंज किया गया वहां से फटकार ही मिली है।

'आयोग के सिस्टम में ट्रांसपैरेंसी न होनी की वजह से समस्याएं आती है। आयोग कभी भी कोर्ट में जिन प्वाइंट पर बहस की गई उसका बचाव नहीं कर पाया। हर बार आयोग को मुंह की खानी पड़ी है। जिस नेक काम के लिए आयोग का गठन किया गया था उसमें वह पूरी तरह से असफल रहा.'

डॉ। बीडी पांडेय, कूटा लीडर

Posted By: Inextlive